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Mock Drill : पालमपुर सौरभ वन विहार में आई बाढ़, 9 पर्यटक फंसे- किए रेस्क्यू

जिला में मेगा मॉक ड्रिल का आयोजन किया

कांगड़ा। हिमाचल के कांगड़ा जिला में बाढ़ और भूस्खलन आपदा तैयारियों की जांच के लिए मेगा मॉक ड्रिल (Mock Drill) का आयोजन किया गया। जिले में चिन्हित 7 स्थलों पर मेगा मॉक अभ्यास किया गया। पालमपुर उपमंडल के सौरभ वन विहार में मॉक ड्रिल का आयोजन किया। मेगा मॉक ड्रिल डीसी कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल की निगरानी में आयोजित हुई।

मॉक ड्रिल : अचानक बढ़ा पौंग डैम का जलस्तर, तीन गांव आए चपेट में-बचाव कार्य जारी

एसडीएम पालमपुर डॉ. अमित गुलेरिया की अगवाई में आयोजित मॉक ड्रिल (Mock Drill) में सभी विभागों ने भाग लिया। एसडीएम ने बताया कि मॉक ड्रिल के लिए काल्पनिक आपदा के रूप में सौरभ वन विहार में बाढ़ से जल भराव की स्थिति में 9 पर्यटकों के फंसने और घायल अवस्था में बचाव का लक्ष्य दिया गया था। उन्होंने बताया इसमें 5 पुरुष और 4 महिला का बचाव किया गया। इसमें 2 पुरुष एवं एक महिला गंभीर रूप में घायल थे।

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उन्होंने कहा कि सभी विभागों के आपसी समन्वय और कुशल प्रबंधन से मॉक ड्रिल (Mock Drill) व्यवस्थित तरीके से संपन्न हुई। मॉक ड्रिल में पुलिस, होमगार्ड और अग्निशमन के कर्मचारियों ने सभी घायलों को सौरभ वन विहार से बाहर निकाला।

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उन्होंने कहा कि मॉक ड्रिल (Mock Drill) के दौरान घायलों को प्राथमिक उपचार देने के लिए कंडी पुल पर बनीं वर्षाशालिका को अस्थाई उपचार केंद्र बनाया गया था। जहां चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की टीम घायलों के उपचार में जुटी थीं। उन्होंने बताया कि मॉक ड्रिल में सभी विभाग आपदा प्रबंधन की दृष्टि से जुड़ी मशीनरी, वाहन, एंबुलेंस जेसीबी आदि लेकर मौजूद रहे।

ये रहा मॉक ड्रिल का घटनाक्रम

मॉक ड्रिल में गुरुवार सुबह करीब 9 बजे भारतीय मौसम विभाग की ओर से कांगड़ा जिले के ऊपरी इलाकों में भारी बारिश और बादल फटने की आशंका को लेकर मिली चेतावनी पर कांगड़ा जिला प्रशासन तुरंत हरकत में आ गया। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के व्हाट्सऐप ग्रुप में संदेश प्रसारित होते ही तमाम अधिकारी कर्मचारी अपने अपने दायित्व के मुताबिक कार्यों में जुट गए।

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डीसी डॉ. निपुण जिंदल ने इसे देखते हुए जन सुरक्षा के दृष्टिगत सवा 9 बजे एहतियातन एडवाइजरी जारी कर लोगों से नदी-नालों से दूर रहने की अपील की। उन्होंने किसी आपदा की स्थिति में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के दूरभाष नंबर 01892-229050 पर साझा करने का आग्रह किया। साथ ही स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिले के सभी सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में आगामी आदेशों तक छुट्टी घोषित की गई ।

इसी बीच उपायुक्त कार्यालय में बने कमांड, प्लानिंग, लॉजिस्टिक पोस्ट समेत आपदा प्रबंधन से जुड़ी सभी शाखाएं चालू हो गए। इसी दौरान कमांड पोस्ट में भारी बारिश के चलते जिले में 7 जगहों के आपदा प्रभावित होने की सूचना प्राप्त हुई। इसके साथ ही उपमंडल स्तर पर गठित त्वरित प्रतिक्रिया टीमें सक्रिय हो गईं तथा एसडीएम के नेतृत्व में राहत-बचाव ऑपरेशन शुरू हो गया। ये टीमें घटना स्थलों पर पर पहुंच कर राहत बचाव कार्यों में जुट गई हैं। इसमें एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों का भी सहयोग लिया गया।

यह 7 जगहें आपदा प्रभावित

डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि कांगड़ा जिले में भारी बारिश के चलते आपदा की सूचना और प्रतीकात्मक नुकसान मानकर धर्मशाला, पालमपुर, जयसिंहपुर, फतेहपुर, शाहपुर, कांगड़ा और देहरा उपमंडल में अलग अलग जगहों पर मॉक ड्रिल की गई। इसके अलावा अन्य उपमंडलों में अपने अपने स्तर पर भी प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से मॉक ड्रिल की गई। मॉक ड्रिल के तहत पालमपुर में सौरभ वन विहार में न्यूगल खड्ड का जल स्तर बढ़ने से कुछ स्थानीय पर्यटकों के फंसे होने का समाचार मिला।

वहीं, देहरा में सिविल अस्पताल के धरातल में पानी भरने की सूचना प्राप्त हुई। शाहपुर में गज खड्ड में बाढ़ के कारण रजोल गांव के पास कुछ लोगों के फंसे होने की खबर आई, साथ ही धर्मशाला में मांझी खड्ड में बाढ़ के कारण चेतड़ू में स्लम एरिया में रह रहे लोगों के लिए खतरा पैदा होने के चलते उन्हें वहां से सुरक्षित निकालने की चुनौती मिली। वहीं डीसी निवास के पास धर्मशाला-मैकलोडगंज रोड़ पर स्थित पिलर नंबर 4 के पास भूस्खलन के चलते यातायात को बायपास रोड़ की तरफ से डायवर्ट किया गया साथ ही वहां कुछ लोगों के फंसे होने की आशंका के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया।

कांगड़ा में बनेर खड्ड में बाढ़ के कारण अच्छर माता मंदिर में बाहरी राज्यों के कुछ श्रद्धालुओं के फंसे होने की सूचना मिली। वहीं, जयसिंहपुर में हलेड़ खड्ड में बाढ़ के कारण हलेड़ स्कूल में पानी घुसने से कुछ बच्चों के फंसने की सूचना प्राप्त हुई। उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। इसके अलावा हलेड़ गांव में भी करीब 30 घरों में पानी भरने का समाचार प्राप्त होते ही सभी लोगों को सुरक्षित निकालने का कार्य किया गया।

पौंग डैम में जल स्तर बढ़ने से फतेहपुर क्षेत्र के कुछ गांवों में पानी भरने की सूचना मिली। आसपास के गांवों को खाली कराने के साथ ही बीबीएमबी अधिकारियों को डैम से पानी छोड़ने के लिए कहा गया। बहाव क्षेत्र के लोगों को सायरन और गाड़ियों से अनाउंसमेंट के जरिए सचेत किया गया।

आपदा प्रबंधन के हर पहलू पर गौर

इस पूरे घटनाक्रम में आपदा प्रबंधन योजना, रेस्क्यू ऑपरेशन, आपात संचार प्रणाली, विभागीय तालमेल, आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल, संसाधन मैपिंग, रास्ते बहाल करने को मशीनरी का प्रयोग, स्वास्थ्य व्यवस्था, घायलों को मौके पर मेडिकल सहायता देने, एंबुलेंस से घायलों को अस्पताल ले जाने, प्रभावितों को राहत शिविरों में पहुंचाने, राशन एवं पेयजल वितरण व्यवस्था देखने, स्थानीय स्तर पर जन सहयोग समेत स्थिति को सामान्य बनाने से जुड़े आपदा प्रबंधन के हर पहलू पर गौर करने के साथ सभी उपायों को परखा गया।

मॉक ड्रिल के उपरांत डीब्रिफिंग

मॉक ड्रिल पूर्ण होने के उपरांत राज्य मुख्यालय शिमला से राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इस अभ्यास से प्राप्त सीख और अनुभव पर सभी जिलों से फीडबैक ली। इस दौरान अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी एवं आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कांगड़ा के सीईओ रोहित राठौर ने जिले में मॉक ड्रिल के सकारात्मक व विचारणीय बिंदुओं की जानकारी दी।

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मॉक ड्रिल : अचानक बढ़ा पौंग डैम का जलस्तर, तीन गांव आए चपेट में-बचाव कार्य जारी

बाढ़ और भूस्खलन आपदा तैयारियों की जांच को किया अभ्यास

फतेहपुर। कांगड़ा जिला में बाढ़ और भूस्खलन आपदा तैयारियों की जांच के लिए मेगा मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। जिले में चिन्हित 7 स्थलों पर मेगा मॉक अभ्यास किया गया। पालमपुर उपमंडल के सौरव वन विहार में मॉक ड्रिल का आयोजन किया। काल्पनिक आपदा के रूप में मनाली में ग्लेशियर गिरने से पौंग बांध का जल स्तर बढ़ने से खटियाड़ पंचायत के तीन गांव पौंग डैम की चपेट में आ गए, जिससे क्षेत्र में हाहाकार मच गया।

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पौंग डैम जल क्रीड़ा के प्रांगण में रेस्क्यू के लिए टेंट की व्यवस्था की। जैसे हो क्षेत्र में आपदा की खबर पहुंची आपदा मित्र मौके पर राहत कार्यों में जुट गए। सायरन वाली गाड़ियां, विभागों की गाड़ियां व स्वाथ्य विभाग की एबुलेंस भी मौके पर पहुंची।

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जिला के साथ-साथ फतेहपुर प्रशासन व एनडीआरएफ टीम (नूरपुर) के सौजन्य से आज वीरवार को पौंग डैम पर मॉक ड्रिल हुई। संबंधित टीम द्वारा बाढ़ से बचाव बारे जिन उपकरणों व अन्य सामनों का प्रयोग किया गया, उसको भी यहां प्रदर्शित किया गया। पौंग डैम के मॉक ड्रिल की विभिन्न गतिविधियां करवाई गई। एसडीएम फतेहपुर भारती ने ड्रिल का अवलोकन किया।

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एसडीएम ने बताया कि जब भी कोई आपदा या बाढ़ जैसी कोई स्थिति उत्पन्न होती है। उस समय एनडीआरएफ की टीम और जिला व स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर कार्य किया जाता है। मॉक ड्रिल में अग्निशमन विभाग, जल शक्ति विभाग फतेहपुर, सिंचाई विभाग, स्वास्थ्य विभाग, रेडक्रॉस, पीडब्ल्यूडी , एसवाईएल के साथ-साथ अन्य विभागों के जो भी कार्य हैं, उसे भी यहां पर दिखाने का काम किया गया।

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मॉक ड्रिल के दौरान अनाउंसमेंट कर बताया गया कि पौंग बांध का जलस्तर बढ़ने के कारण पानी के तेज बहाव से खटियाड़ पंचायत के पौंग बांध के साथ लगते अठाईस लोगों और उनके तीन मवेशी बह गए हैं, जबकि एक व्यक्ति की मौत हो गई है ।आपदा मित्रों ने 28 लोगों को बचाया। सुनामी व बाढ़ आने से पीने का पानी की सप्लाई बाधित हो चुकी थी, फिर आपातकालीन स्थिति में जल शक्ति विभाग फतेहपुर के अधिशाषी अभियंता विपिन लुणा, सहायक अभियंता विनय डोगरा व कनिष्ठ अभियंता पंकज शर्मा ने मोर्चा संभालते हुए हुए बाधित हो चुकी पानी की सप्लाई को पानी के टैंक से नल लगाकर अस्थाई तौर बहाल किया।

स्टेट सीआईडी से मोहन सिंह पठानिया भी इस आपताकालीन स्थिति में अपनी पूरी भूमिका निभाते हुए नजर आए, जहां पल-पल की जानकारी वो अपने आलाधिकारी को देते हुए नजर आए। संसाधनों की कमी के साथ-साथ क्षेत्र में किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए स्पष्ट कार्ययोजना की कमी दिखी। वहीं एनडीआरएफ की टीम दो घंटे देरी से पहुंची। प्रशासन ने मॉक ड्रिंल की शुरूआत दो घंटे पहले ही कर दी थी। अपातकालीन स्थिति में दो घंटे तक एनडीआरएफ टीम का इंतजार करना पड़ा। आखिर दो घंटे के बाद टीम पहुंची और उसके बाद दस अन्य लोगों को बाहर निकाला गया।

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कांगड़ा जिला में 8 जून को होगी मॉक ड्रिल, डीसी बोले- गंभीरता से लें अधिकारी

अभ्यास भर नहीं वास्तविक घटना की तरह ही करें प्रतिक्रिया

धर्मशाला। डीसी डॉ. निपुण जिंदल ने आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों की बैठक लेते हुए सभी को मॉक ड्रिल को पूरी गंभीरता से लेने को कहा। डीसी ने निर्देश दिए कि मॉक ड्रिल को केवल अभ्यास भर नहीं, बल्कि वास्तविक घटना की तरह ही लें तथा असल आपदा के समय की परिस्थिति के मुताबिक ही प्रतिक्रिया करें। इससे सुधार की दृष्टि से प्रतिक्रिया में लगने वाले समय, समन्वय में गैप समेत अन्य कमियों की सही पहचान हो सकेगी, जिससे आपदा प्रबंधन योजना को आगे और कारगर बनाने में मदद मिलेगी। वह जिले में 8 जून को होने वाली मेगा मॉक ड्रिल से जुड़ी टेबल टॉप अभ्यास कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे थे।

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बता दें कि बाढ़ और भूस्खलन जैसी किसी आपदा के समय बेहतर प्रबंधन के लिए जिला प्रशासन 8 जून को मेगा मॉक ड्रिल के जरिए अपनी तैयारी परखेगा। इस दौरान कांगड़ा जिले में चिन्हित 7 स्थलों पर मेगा मॉक अभ्यास के दौरान बाढ़, भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रतीकात्मक नुकसान मानकर बचाव-राहत कार्यों का मॉक अभ्यास किया जाएगा। डीसी ने कहा कि मॉक ड्रिल का मकसद आपदा के समय में जिला प्रशासन की आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना और मानक संचालन प्रक्रियाओं का मूल्यांकन करना है।

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डीसी ने सभी एसडीएम को आपदा प्रबंधन की दृष्टि से संसाधनों की मैपिंग करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अपने अपने क्षेत्र में किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए स्पष्ट कार्ययोजना बनाएं। यह साफ हो कि उपमंडल स्तर पर कौन से संसाधन उपलब्ध हैं तथा जिला मुख्यालय से उन्हें किस प्रकार की सहायता की आवश्यकता है।

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आपदा प्रबंधन से जुड़ी मशीनरी, वाहन, एंबुलेंस, अस्पताल, राशन उपलब्धता समेत राहत बचाव कार्यों को लेकर हर पहलू की इन्वेंटरी तैयार करें, ताकि किसी भी आपात स्थिति के लिए पूर्व तैयारी रहे। स्टेजिंग एरिया को लेकर स्पष्टता हो। साथ ही यह तय बनाएं कि विभागों-अधिकारियों को आपदा प्रबंधन को लेकर अपने दायित्वों की जानकारी रहे तथा बेहतर आपसी समन्वय सुनिश्चित हो।

किसी भी आपदा के समय स्थानीय लोग सबसे पहले सहायता के लिए उपलब्ध होते हैं। जिले में बड़ी संख्या में लोगों को आपदा मित्रों के तौर पर प्रशिक्षित भी किया गया है। तैयारी की दृष्टि से उन सभी का सहयोग लें।

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डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि जिले में चिन्हित 7 घटना स्थलों पर आपदा संबंधी मॉक ड्रिल होगी। इनमें उपमंडल जयसिंहपुर के हलेड़ गांव तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला हलेड़, कांगड़ा के अच्छर माता कुंड, धर्मशाला में उपायुक्त निवास के पास टावर नंबर 4 तथा चेतड़ू, पालमपुर में सौरभ वन विहार, देहरा में सिविल अस्पताल, फतेहपुर में पौंग डैम तथा शाहपुर के रजोल गांव में बाढ़-भूस्खलन की स्थिति में प्रतीकात्मक नुकसान मानकर आपदा प्रबंधन व बचाव-राहत कार्यों का अभ्यास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एनडीआरफ और एसडीआरएफ के स्वतंत्र पर्यवेक्षक मॉक ड्रिल पर नजर रखेंगे।

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