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विक्रमादित्य को उदयपुर फैमिली कोर्ट से झटका : पत्नी को हर माह देने होंगे 4 लाख

घरेलू हिंसा के मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला

शिमला। हिमाचल के पीडब्ल्यूडी मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को राजस्थान उदयपुर फैमिली कोर्ट-3 से बड़ा झटका लगा है।

उदयपुर फैमिली कोर्ट-3 ने विक्रमादित्य सिंह को हर माह पत्नी सुदर्शना को चार लाख रुपए भरण पोषण देने के आदेश सुनाया है।

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बता दें कि विक्रमादित्य सिंह की शादी 8 मार्च 2019 को उदयपुर के राजसमंद के आमेट राजघराने की बेटी सुदर्शना के साथ हुई थी। विवाह राजस्थान कणोता गांव में हुआ था।

काफी समय तक दोनों साथ रहे, लेकिन बाद में उनके संबंध बिगड़ गए। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद संबंध और भी बिगड़ गए। वीरभद्र सिंह की मृत्यु के बाद सुदर्शना उदयपुर अपने मायके चली गई थीं।

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सुदर्शना ने अपनी सास हिमाचल कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह, विक्रमादित्य सिंह की बहन और अन्य ससुराल वालों पर घरेलू हिंसा के आरोप लगाए थे।

सुदर्शना ने महिला संरक्षण अधिनियम की धारा 20 के तहत उदयपुर के कोर्ट में मामला दायर करवाया। आरोप लगाया कि शादी के बाद वह अपने ससुराल से शिमला आई और कुछ समय बाद उसके साथ मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना की जाने लगी।

 

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हिमाचल सीपीएस नियुक्ति मामला : सरकार को झटका, हाईकोर्ट ने आवेदन किया खारिज

सत्ता सहित 12 विधायकों ने दी है चुनौती
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट ने सीपीएस की नियुक्तियों के मामले में सरकार के आवेदन को खारिज कर दिया है। सुक्खू सरकार ने सीपीएस नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे। सरकार की दलील थी कि सभी याचिकाएं हाईकोर्ट के नियमों के अनुसार दायर नहीं की गई हैं।
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याचिका विधायक सतपाल सत्ती और अन्य 11 विधायकों के द्वारा दायर की है। याचिका में सभी 12 याचिकाकर्ता का एफिडेविट होने चाहिए। दूसरे पक्ष ने कानून के तहत अपना पक्ष कोर्ट में रखा। कोर्ट ने फैसले में सरकार के आवेदन को खारिज कर दिया। अब सतपाल सिंह सत्ती सहित 12 विधायकों द्वारा याचिका पर 16 अक्टूबर को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।
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बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं विधायक सतपाल सत्ती ने अतिरिक्त महाधिवक्ता पंजाब हरियाणा सतपाल जैन, वरिष्ठ अधिवक्ता अंकुश दास, अधिवक्ता वीर बहादुर वर्मा, अंकित धीमान, मुकुल शर्मा और राकेश शर्मा के माध्यम से हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में सीपीएस नियुक्ति को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाया गया है।
फैसले के बारे में मीडिया से बातचीत करते हुए अधिवक्ता वीर बहादुर वर्मा ने बताया कि  हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में सरकार द्वारा मेंटेनेबिलिटी को लेकर किए आवेदन पर जजमेंट के लिए सुनवाई हुई। इसमें हमारे पक्ष में फैसला आया है और सरकार के आवेदन को खारिज कर दिया गया है।
जैसे कि हमें अवगत है कि सीपीएस नियुक्ति को लेकर सतपाल सत्ती एवं 11 अन्य विधायकों ने हाईकोर्ट इनकी नियुक्ति को चुनौती दी थी। पिछली बार 3 अक्टूबर को मुद्दा कोर्ट के समक्ष लगा था, जिसमें लंबी बहस हुई थी, जिसका आज फैसला आया है। इस फैसले में साफ है की याचिका मेंटेनेबल है, मतलब आगे बढ़ाने योग्य है।
उन्होंने कहा कि 16 अक्टूबर को हाईकोर्ट में फिर याचिका सुनवाई होगी। हमने कोर्ट के समक्ष प्रार्थना की है कि अंतरिम निवेदन पर सुनवाई की जाए। सवाल यह उठता है कि अंतरिम निवेदन में क्या होगा, अगर हाईकोर्ट मानता है कि सीपीएस की नियुक्ति पर रोक लगनी चाहिए, तो यह एक बड़ा फैसला माना जाएगा। हमने पहले भी स्पष्ट किया है कि यह सरकारी खजाने का मामला है और इसको लेकर भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला पूर्व में भी सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय का कानून लागू होता है। इससे बड़ा कोई कोर्ट नहीं है।
असम और मणिपुर में भी ऐसे ही मामले को लेकर पूर्व में फैसला सुनाया जा चुका है। फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने सीपीएस को नियुक्ति को अवैध और असंवैधानिक माना है। इसको आधार बनाते हुए हमने विधायक सतपाल सत्ती और अन्य विधायकों के माध्यम से सीपीएस की नियुक्तियों को चैलेंज किया है। हमने आज पहली बाधा पार कर ली है। उन्होंने कहा कि 16 अक्टूबर को कोर्ट याचिका पर फैसला भी सुना सकता और इसे रिजर्व भी रख सकता है।

 

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