रंगोली प्रतियोगिता में निरंजनी, कनिष्का, स्नेहा, खुशी, सेजल, वंशिका और रीतेश का जागृति सदन प्रथम स्थान पर रहा। कीर्ति सदन और ज्योति सदन क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।
इस अवसर पर आरएनटी स्कूल के मुख्य अध्यापक संजय कुमार ने अध्यापकों और छात्रों को संबोधित किया तथा दिवाली व अन्य पर्वों की शुभकामनाएं दीं।
उन्होंने छात्रों को दिवाली के त्योहार में पटाखों का कम से कम प्रयोग करने की सलाह दी ताकि वातावरण प्रदूषित न हो। उन्होंने कहा कि दिवाली का त्योहार हमें बुराई से लड़ने और अच्छाई के मार्ग पर चलने की शिक्षा देता है। इसके उन्होंने उन्होंने छात्रों के प्रयास को भी खूब सराहा।
धनतेरस से दिवाली तक इस बार ग्रहों के दुर्लभ योग बन रहे हैं। दिवाली पर चंद्रमा तुला राशि में संचार करेंगे और यहां पहले से विराजमान मंगल और सूर्य के साथ मिलकर त्रिग्रही योग बनाएंगे।
इस त्रिग्रही योग पर मेष राशि में स्थित गुरु की शुभ दृष्टि रहेगी। इससे गजकेसरी राजयोग बनेगा। इस शुभ योग में अगर आप भूमि और भवन में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको भविष्य में बहुत लाभ होगा।
इसके साथ ही शनि भी 30 साल बाद दिवाली पर अपनी मूलत्रिकोण राशि कुंभ में मार्गी गति से चल रहे हैं।
इन सभी शुभ संयोग से सजे इस त्योहार में धन देने वाली माता गजलक्ष्मी के आशीर्वाद से देवी के शुभ प्रभाव से वृष और तुला सहित पांच राशियों की किस्मत बदलने वाली है। ये पांच राशियां कौन सी हैं और इन पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है हम आपको बताते हैं विस्तार से ….
धनतेरस और दीपावली पर बने शुभ संयोग वृष राशि वालों के जीवन को सुख समृद्धि से भर देंगे और मां लक्ष्मी की कृपा इनके ऊपर साल भर बनी रहेगी। मान-सम्मान में वृद्धि होगी और भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी।
जीवन में सुख भोग के साधन बढ़ेंगे और परिवार में सुख समृद्धि बढ़ेगी। जो लोग काफी समय से विदेश जाने के बारे में सोच रहे हैं उनको बेहतरीन मौके मिल सकते हैं।
कर्क राशि :
इस धनतेरस और दिवाली कर्क राशि वालों की किस्मत चमकने वाली है। इनके परिवार में खुशियां बढ़ेंगी। नौकरी के शुभ अवसर मिलने आरंभ हो जाएंगे और धन में वृद्धि होने के योग हैं।
मां लक्ष्मी की कृपा से अचानक कहीं से रुका धन मिल सकता है। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और कारोबार में कई गुना लाभ होगा। बिजनस में इस बीच कोई बड़ी डील भी कर सकते हैं।
तुला राशि के लोगों के जीवन में दीपावली और धनतेरस पर बने शुभ योग इनको मालामाल कर देंगे। कारोबार में चमक बढ़ेगी और नौकरी में शुभ अवसर प्राप्त होंगे।
किसी दूसरे संस्थान से नौकरी का बुलावा आ सकता है, लेकिन आपको इस संबंध में कोई फैसला काफी सोचकर लेने की जरूरत है। जो भी निवेश इस वक्त करेंगे उसमें लाभ ही होगा।
मकर राशि :
मकर राशि के लोगों के जीवन में मां लक्ष्मी की कृपा से धन समृद्धि के शुभ योग बन रहे हैं जिससे शानदार मुनाफा होगा। अगर जॉब करते हैं और कुछ बेहतरीन अवसर मिल सकते हैं।
आर्थिक पक्ष मजबूत होगा और कहीं से अचानक से रुका धन मिलने से कई रुके कार्य पूर्ण होंगे। आकर्षण में इजाफा होगा और परिवार की तरफ से भी हर प्रकार का सपॉर्ट मिलेगा।
कुंभ राशि के लोगों को शुभ योग के प्रभाव से करियर और कारोबार में कई बेहतरीन अवसर प्राप्त हो सकते हैं। करियर में फिर से दबदबा कायम होगा।
आर्थिक लाभ होगा और जो निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं उनके लिए यह शानदार वक्त है। जीवन में सफलता का प्रतिशत बढ़ जाएगा। मीडिया से जुड़े लोगों के लिए वक्त अच्छा साबित होगा।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन से पांच पर्वों का प्रारंभ होता है जो कि भाईदूज तक चलता है। इस बार धनतेरस 10 नवंबर को मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार इस दिन देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर उत्पन्न हुए थे। इसलिए इसे धनवंतरि जयंती भी कहा जाता है।
इस दिन भगवान धन्वंतरि, इंद्र, कुबेर, वरुण आदि की पूजा की जाती है। इस वर्ष धन्वंतरि धनतेरस पर पांच विशेष योग होने से यह त्योहार बेहद खास है। करीब 59 साल बाद धनतेरस पर पांच योग बन रहे हैं। ये योग हैं गजकेसरी, हर्ष, उभयचारी, दुर्धरा और धनलक्ष्मी जो कि बेहद खास रहेंगे।
इन पांच विशेष योगों के फल स्वरूप देश एवं जनमानस को सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी। इन पांच योग में गजकेसरी, हर्ष, उभयचारी, दुर्धरा और धनलक्ष्मी योग हो रहे हैं। वहीं शुक्रवार का दिन व चंद्रमा और शुक्र ग्रह के एक साथ गोचर करने से यह एक अद्भुत संयोग बना रहा है।
इस दिन सुबह सात से 12 बजे तक अभिजीत मुहूर्त विशेष शुभकारी है। दूसरा दोपहर 1:30 से तीन बजे के मध्य है, इस समय में शुभ की चौघड़िया व कुंभ लग्न विद्यमान है। तीसरा शाम छह बजे से रात नौ बजे के बीच शुभ और अमृत की चौघड़िया व वृष लग्न विद्यमान होगा। यह तीनों समय अवधि खरीदारी के लिए विशेष शुभ होगी।
धनतेरस पर आप धातु से बना कोई पानी का बर्तन खरीद सकते हैं। इस दिन गणेश और लक्ष्मी की अलग-अलग मूर्तियां खरीदें। खील-बताशे, मिट्टी के दीपक जरूर खरीदें। अंकों का बना हुआ धन का कोई यंत्र भी खरीदें। इस दिन सोने-चांदी के आभूषण खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है।
कहते हैं कि इस दिन खरीदारी से धन-संपत्ति में 13 गुना वृद्धि होती है। इस दिन सोना, चांदी, पीतल या स्टील ही खरीदें। धनतेरस के दिन लोहा या प्लास्टिक की चीजें खरीदने से बचें। इस दिन कुबेर और धनवंतरी की एकसाथ पूजा करें। धनतेरस के दिन जरूरतमंदों को दान करने से विशेष लाभ होगा।
धनतेरस की पूजा विधि
शाम को उत्तर दिशा की ओर कुबेर और धनवंतरी की स्थापना करें।
दोनों के सामने घी का एकमुखी दीपक जलाएं।
कुबेर को सफेद मिठाई और धनवंतरी को पीली मिठाई चढ़ाएं।
पहले “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” का जाप करें. फिर “धनवंतरी स्तोत्र” का पाठ करें और प्रसाद ग्रहण करें।
दिवाली के दिन कुबेर को धन के स्थान पर रखें और धनवंतरी को पूजा वाली जगह पर स्थापित करें।
इस दिन दीपदान धनतेरस के दिन यम के लिए आटे का चौमुखा दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर यम का पूजन किया जाता है। मान्यता है इस दिन यम देवता की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है।
धनतेरस पर मुख्य द्वार में दोनों ओर स्वस्तिक का चिह्न जरूर लगाएं। धनतेरस से लेकर भैया दूज तक घर के मुख्य द्वार में वंदनवार लगाएं। घर के मुख्य द्वार पर मां लक्ष्मी के प्रतीकात्मक चरण जरूर लगाएं। धनतेरस से दीपावली तक रोजाना मुख्य द्वार पर बाईं ओर घी का दीपक जलाएं।
नवंबर महीने में कई महत्वपूर्ण त्योहार आ रहे हैं। कौन सा त्योहार किस तारीख को है ये जानने के लिए आपको बार-बार कैलेंडर में तारीख देखने की जरूरत नहीं हम आपके लिए लाए हैं खास त्योहारों की लिस्ट तिथि के साथ। इस लिस्ट को देखकर आप प्लानिंग कर सकते हैं ….
हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने कई व्रत और त्योहार आते हैं जो धार्मिक दृष्टि से बेहद ही खास होते हैं। जुलाई माह में सावन, कांवड़ यात्रा, मासिक शिवरात्रि और संकष्टी चतुर्थी जैसे कई त्योहार आते हैं। देवों के देव महादेव के सबसे प्रिय माह सावन की शुरुआत इस वर्ष चार जुलाई यानी मंगलवार से हो रही है। आइए आपको बताते है कि जुलाई में कौन से व्रत व त्योहार आने वाले हैं …
सावन का पहला सोमवार व्रत (10 जुलाई, सोमवार)
सावन मास के पहले सोमवार का व्रत 10 जुलाई को किया जाएगा। मलमास या पुरुषोत्तम मास की वजह से इस बार सावन मास में चार नहीं बल्कि आठ सोमवार का व्रत किया जाएगा। साथ ही इस दिन रवि योग बन रहा है और पंचक काल भी खत्म हो रहा है। सावन सोमवार के दिन भगवान शिव को जल का अभिषेक और बेलपत्र चढ़ाने मास से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
सावन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी कहा जाता है। कामिका एकादशी का व्रत और शंख चक्र गदाधारी भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भगवान अपने भक्तों की सभी कामनाओं को पूरा करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के सामने घी या तिल का दीपक जलाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
सावन शिवरात्रि और शनि प्रदोष व्रत (15 जुलाई, शनिवार)
सावन मास की शिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष का व्रत भी किया जाएगा। हर वर्ष सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। साल में 12 शिवरात्रि आती हैं लेकिन फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि और सावन मास की शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना और उपवास करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही शनिदेव के दर्शन और शनि चालीसा का पाठ करने से शनि के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।
सावन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। यह तिथि सोमवार के दिन पड़ रही है, इस वजह से इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाएगा। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध कर्म किया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के साथ हवन, जप तप व साधना करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और हर कष्ट दूर हो जाता है।
सावन मलमास या पुरुषोत्तम मास (18 जुलाई, मंगलवार)
सावन मास में मलमास या पुरुषोत्तम मास की शुरुआत हो रही है, जिस वजह से सावन एक नहीं बल्कि दो मास का हो रहा है। यह मास भगवान विष्णु को समर्पित है और सावन में मलमास लगने से हरि और हर की कृपा प्राप्त कर सकेंगे। जिस चंद्र मास में सूर्य का गोचर नहीं होता है अर्थात संक्राति नहीं होती है, उस मास को मलमास या पुरुषोत्तम मास कहते हैं। इस मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। मलमास या पुरुषोत्तम मास भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने और ध्यान करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।
पुरुषोत्तमा एकादशी (29 जुलाई, शनिवार)
अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पद्मिनी या पुरुषोत्तमा एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और धन व वैभव की प्राप्ति होती है। अधिकमाल भगवान विष्णु को समर्पित है और इस मास में एकादशी तिथि का होना बहुत शुभ फलदायी माना गया है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है।