कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन से पांच पर्वों का प्रारंभ होता है जो कि भाईदूज तक चलता है। इस बार धनतेरस 10 नवंबर को मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार इस दिन देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर उत्पन्न हुए थे। इसलिए इसे धनवंतरि जयंती भी कहा जाता है।
इस दिन भगवान धन्वंतरि, इंद्र, कुबेर, वरुण आदि की पूजा की जाती है। इस वर्ष धन्वंतरि धनतेरस पर पांच विशेष योग होने से यह त्योहार बेहद खास है। करीब 59 साल बाद धनतेरस पर पांच योग बन रहे हैं। ये योग हैं गजकेसरी, हर्ष, उभयचारी, दुर्धरा और धनलक्ष्मी जो कि बेहद खास रहेंगे।
इन पांच विशेष योगों के फल स्वरूप देश एवं जनमानस को सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी। इन पांच योग में गजकेसरी, हर्ष, उभयचारी, दुर्धरा और धनलक्ष्मी योग हो रहे हैं। वहीं शुक्रवार का दिन व चंद्रमा और शुक्र ग्रह के एक साथ गोचर करने से यह एक अद्भुत संयोग बना रहा है।
इस दिन सुबह सात से 12 बजे तक अभिजीत मुहूर्त विशेष शुभकारी है। दूसरा दोपहर 1:30 से तीन बजे के मध्य है, इस समय में शुभ की चौघड़िया व कुंभ लग्न विद्यमान है। तीसरा शाम छह बजे से रात नौ बजे के बीच शुभ और अमृत की चौघड़िया व वृष लग्न विद्यमान होगा। यह तीनों समय अवधि खरीदारी के लिए विशेष शुभ होगी।
धनतेरस पर आप धातु से बना कोई पानी का बर्तन खरीद सकते हैं। इस दिन गणेश और लक्ष्मी की अलग-अलग मूर्तियां खरीदें। खील-बताशे, मिट्टी के दीपक जरूर खरीदें। अंकों का बना हुआ धन का कोई यंत्र भी खरीदें। इस दिन सोने-चांदी के आभूषण खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है।
कहते हैं कि इस दिन खरीदारी से धन-संपत्ति में 13 गुना वृद्धि होती है। इस दिन सोना, चांदी, पीतल या स्टील ही खरीदें। धनतेरस के दिन लोहा या प्लास्टिक की चीजें खरीदने से बचें। इस दिन कुबेर और धनवंतरी की एकसाथ पूजा करें। धनतेरस के दिन जरूरतमंदों को दान करने से विशेष लाभ होगा।
धनतेरस की पूजा विधि
- शाम को उत्तर दिशा की ओर कुबेर और धनवंतरी की स्थापना करें।
- दोनों के सामने घी का एकमुखी दीपक जलाएं।
- कुबेर को सफेद मिठाई और धनवंतरी को पीली मिठाई चढ़ाएं।
- पहले “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” का जाप करें. फिर “धनवंतरी स्तोत्र” का पाठ करें और प्रसाद ग्रहण करें।
- दिवाली के दिन कुबेर को धन के स्थान पर रखें और धनवंतरी को पूजा वाली जगह पर स्थापित करें।
इस दिन दीपदान धनतेरस के दिन यम के लिए आटे का चौमुखा दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर यम का पूजन किया जाता है। मान्यता है इस दिन यम देवता की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है।
धनतेरस पर मुख्य द्वार में दोनों ओर स्वस्तिक का चिह्न जरूर लगाएं। धनतेरस से लेकर भैया दूज तक घर के मुख्य द्वार में वंदनवार लगाएं। घर के मुख्य द्वार पर मां लक्ष्मी के प्रतीकात्मक चरण जरूर लगाएं। धनतेरस से दीपावली तक रोजाना मुख्य द्वार पर बाईं ओर घी का दीपक जलाएं।
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