फलों के दाम तय करने की गारंटी को लेकर सरकार पर हमला
धर्मशाला। हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन भी विपक्ष ने कांग्रेस सरकार की गारंटी को लेकर सदन के बाहर खूब हल्ला बोला।
विपक्ष के विधायक सेब की पेटियां लेकर विधानसभा पहुंचे और सरकार से पूछा कि सरकार ने बागवानों को फलों के दाम खुद तय करने की गारंटी दी थी वो कब पूरी होगी। कांग्रेस सरकार ने बागवानों से धोखा किया है जो बर्दाश्त नहीं होगा।
नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले 10 गारंटी दी थी जिनमें एक गारंटी बागवानों को उनके फलों के दाम खुद तय करने की दी थी जिसे पूरा नहीं किया गया है।
जब किसान बागवान सरकार के पास इस गारंटी को लेकर पहुंचे तो सरकार ने कहा कि दुनिया में कहीं भी ऐसा कानून नहीं है जहां पर बागवान खुद अपने फलों का दाम तय कर सकते हो।
नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने पूछा कि जब ऐसा कानून ही नहीं है तो कांग्रेस में ने ऐसी झूठी गारंटी बागवानों को क्यों दी। सरकार ने किसानों बागवानों को ठगा है इसलिए विपक्ष लगातार गारंटी को याद दिलाने का काम कर रही है।
पांच गारंटी सत्र के दौरान सरकार को याद दिलाई गई है और आने वाले समय में बची हुई पांच अन्य गारंटी को लेकर भी सरकार से सवाल किया जाएगा।
शिमला। प्रदेश में सेब सीजन की शुरुआत हो चुकी है और अर्ली वैरायटी सेब का मंडियों में आना शुरू हो गया है। प्रदेश के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी सरकारी योजनाओं का जायजा लेने पराला मंडी पहुंचे तो बागवानों ने उन्हें घेर लिया और इससे बागवानों को नुकसान होने की बात कही। प्रदेश में पहली बार वजन के हिसाब से सेब बेचा जा रहा है ऐसे में बागवानों में चिंता और कन्फ्यूजन है।
वहीं, प्रति पेटी 2 किलो की कटौती पर सेब खरीदने के मामले पर प्रदेश बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि सरकार ने सेब को वजन से बेचने का फैसला बजट सत्र के आखिरी दिन कर दिया था। उन्होंने कहा कि मंडियों में सेब वजन के हिसाब से ही बिकेगा फिर चाहे बागवान 5 किलो की पैकिंग लेकर आते हैं या 24 किलो की।
जगत सिंह नेगी ने कहा कि सरकार ने 24 किलो की सीलिंग लगाने का फैसला जनता के हित में देखते हुए किया था अगर इसमें संशोधन की जरूरत है तो सरकार उसके लिए तैयार है और अधिकारियों के साथ बैठकर इसको लेकर फैसला किया जाएगा। वहीं, यूनिवर्सल कार्टन की उपलब्धता को लेकर नेगी ने कहा कि प्रदेश में सेब को वजन से बेचने का यह पहला साल है ऐसे में बागवानों को पिछले बचे हुए पैकेजिंग मैटेरियल का नुकसान ना झेलना पड़े इसलिए यूनिवर्सल कार्टन के इस्तेमाल को फ्लैक्सिबल रखा गया है।
बाहरी राज्यों में भी इसी शर्त को लागू करने की अपील
शिमला। हिमाचल प्रदेश में किलो के हिसाब से सेब खरीदा जाएगा। प्रदेश सरकार ने बीते दिनों किलो के हिसाब से सेब खरीदने का फैसला लिया है। आने वाले सेब सीजन में बागवान किलो के हिसाब से सेब बेच सकेंगे। सरकार के इस फैसले बागवानों को बड़ी राहत मिली है वहीं आढ़ती एसोसिएशन ने भी इस फैसले स्वागत किया है साथ ही सरकार से प्रदेश के बाहर इन्हीं नियमों शर्तों को लागू करने की मांग भी की है।
शिमला के फागु में प्रदेश आढ़ती एसोसिएशन द्वारा बैठक का आयोजन किया गया जहां प्रदेश भर से एसोसिएशन के सदस्य मौजूद रहे। बैठक में आढ़तियों को आ रही समस्याओं को मुख्यमंत्री के समक्ष रखने का फैसला लिया गया। आढ़ती एसोसिएशन हिमाचल महासंघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि किलो के हिसाब से सेब खरीदने का सरकार का फैसला स्वागत योग्य है।
इससे बागवानों को फायदा होगा। सरकार ने 24 किलो का वेट निर्धारित किया है और बागवानों से भी अपील है कि वे 24 किलो की पैकिंग लेकर सेब मंडियों में सेब लाए। उन्होंने सरकार से भी ये आग्रह किया कि प्रदेश की मंडियों के अलावा बाहरी राज्यों में भी इसी शर्त को लागू किया जाए। यदि बाहरी मंडियों में शर्त नहीं रहेगी तो प्रदेश की मंडियों को नुकसान होगा। सरकार सेब बेचने का एक ही पैमाना तय करे।
इसके अलावा सरकार द्वारा साइज के हिसाब से सेब खरीदने का पैमाना रखा है इसको लेकर भी स्थिति सरकार स्पष्ट करे। उन्होंने कहा कि कई किसान नेता ऐसे हैं जो अपना सेब हिमाचल में न बेच कर बाहरी मंडियों में बेचने जाते हैं जबकि उन्हें भी अपनी मंडियों में ही सेब बेचने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सेब मंडियों में जगह का काफी अभाव है और किलो के हिसाब से सेब खरीदते हैं तो जगह ज्यादा चाहिए।
आढ़तियों को स्टोर खरीदने पड़ते हैं, इसके अलावा सेब खरीदने आने वाले बाहरी राज्यों के आढ़तियों की सही से वैरिफिकेशन की जाए ताकि प्रदेश के बागवान ठगी का शिकार न हो इसके अलावा अलग-अलग चैनल से लाइसेंस बनते हैं जबकि सरकार एपीएमसी के तहत ही लाइसेंस बनाए जाएं।
उन्होंने कहा कि हर साल बागवान ठगी का शिकार होते है सेब खरीदने के बाद बाहरी राज्यों के आढ़ती पैसे नहीं देते हैं इसके लिए सरकार द्वारा एसआईटी का गठन किया है जिसमें आढ़तियों को भी उसके दायरे में लाया जाए।