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सिरमौर : होनहार बेटी का जोरदार स्वागत, नेहरटी भगोट की पहली असिस्टेंट प्रोफेसर बनी

बेटी की उपलब्धि से माता-पिता गौरवान्वित

राजगढ़। सिरमौर जिला के राजगढ़ विकास खंड के पझौता क्षेत्र की पंचायत नेहरटी भगोट के गांव तीर गनोह में असिस्टेंट प्रोफेसर (कैमिस्ट्री) बनीं कविता चौहान का धूमधाम से स्वागत किया गया।

जबर सिंह व पुष्पा देवी की पुत्री कविता चौहान ने असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। सोमवार को जब कविता अब गांव पहुंचीं तो पूरा गांव उनके स्वागत के लिए वहां पर मौजूद रहा। फूल मालाओं के साथ कविता का स्वागत किया गया।

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पूरी पंचायत में जश्न का माहौल है क्योंकि पंचायत में कविता पहली लड़की है जिसने असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा उत्तीर्ण की है। कविता चौहान की प्रारंभिक शिक्षा उलख कतोगा व हाई स्कूल सनौरा से हुई है। 12वीं उन्होंने राजगढ़ स्कूल से की और बीएससी डिग्री सोलन कॉलेज से की।

कविता ने एमएससी (केमिस्ट्री) एचपीयू से की है और वर्तमान में वह केमिस्ट्री में ही पीएचडी कर रही हैं। कविता चौहान के पिता जबर सिंह खेती-बाड़ी करते हैं व माता पुष्पा देवी गृहिणी हैं। बेटी की उपलब्धि से माता-पिता गौरवान्वित हैं। इस उपलब्धि से परिवार सहित गांव, पंचायत व पझौता क्षेत्र का नाम रोशन हुआ है।

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बता दें कि हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 29 अप्रैल, 2022 को कॉलेज कैडर असिस्टेंट प्रोफेसर (केमिस्ट्री) के 37 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। पहली दिसंबर 2022 को स्क्रीनिंग टेस्ट आयोजित किया गया था। इसका रिजल्ट 12 अप्रैल को घोषित किया गया था।

इसमें कविता सहित 108 अभ्यर्थियों को पर्सनैलिटी टेस्ट के लिए चयनित किया गया था। 26 अप्रैल से पहली मई तक पर्सनैलिटी टेस्ट आयोजित किया गया। इसका आयोग ने बुधवार (3 मई) को रिजल्ट घोषित किया। इसमें आयोग ने कविता चौहान सहित 30 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की सिफारिश की है। अब विभाग की तरफ से नियुक्ति पत्र जारी होंगे।

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पझौता : किसान की बेटी कविता बनीं केमिस्ट्री की असिस्टेंट प्रोफेसर

एचपीयू शिमला से कर रही हैं पीएचडी

राजगढ़। सिरमौर जिला के राजगढ़ विकास खंड के पझौता क्षेत्र की पंचायत नेहरटी भगोट के गांव तीर गनोह की कविता चौहान ने असिस्टेंट प्रोफेसर (कैमिस्ट्री) बनीं हैं। जबर सिंह व पुष्पा देवी की पुत्री कविता चौहान ने असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है।

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कविता चौहान की प्रारंभिक शिक्षा उलख कतोगा व हाई स्कूल सनौरा से हुई है। 12वीं उन्होंने राजगढ़ स्कूल से की और बीएससी डिग्री सोलन कॉलेज से की। कविता ने एमएससी (केमिस्ट्री) एचपीयू से की है और वर्तमान में वह केमिस्ट्री में ही पीएचडी कर रही हैं।

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कविता चौहान के पिता जबर सिंह खेती-बाड़ी करते हैं व माता पुष्पा देवी गृहिणी हैं। बेटी की उपलब्धि से माता-पिता गौरवान्वित हैं। इस उपलब्धि से परिवार सहित गांव, पंचायत व पझौता क्षेत्र का नाम रोशन हुआ है।

पूरी पंचायत में जश्न का माहौल है क्योंकि पंचायत में कविता पहली लड़की है जिसने असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा उत्तीर्ण की है। कविता चौहान के पिता जबर सिंह ने बताया कि कविता का घर लौटने पर जोरदार स्वागत किया जाएगा।

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बता दें कि हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 29 अप्रैल 2022 को कॉलेज कैडर असिस्टेंट प्रोफेसर (केमिस्ट्री) के 37 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। पहली दिसंबर 2022 को स्क्रीनिंग टेस्ट आयोजित किया गया था। इसका रिजल्ट 12 अप्रैल को घोषित किया गया था।

इसमें कविता सहित 108 अभ्यर्थियों को पर्सनैलिटी टेस्ट के लिए चयनित किया गया था। 26 अप्रैल से पहली मई तक पर्सनैलिटी टेस्ट आयोजित किया गया। इसका आयोग ने बुधवार (3 मई) को रिजल्ट घोषित किया। इसमें आयोग ने कविता चौहान सहित 30 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की सिफारिश की है। अब विभाग की तरफ से नियुक्ति पत्र जारी होंगे।

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पझौता का हच्चड़ गांव : जानिए क्या है इतिहास-कैसे जीवन यापन करते हैं लोग

पझौता। हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर की उप तहसील पझौता की ग्राम पंचायत नेहरटी भगोट का एक छोटा सा गांव है हच्चड़। इसके पूर्व में पड़िया गांव, पश्चिम में कलोहा-शकेण तथा उत्तर की ओर मानवा खनिवड़ गांव स्थित है। परगना पझौता के ठीक मध्य में यह अपनी सौम्य स्थिति दर्शाता हुआ आदि काल से स्थित है।

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यहां प्रारंभ से ही ब्राह्मण जाति के लोग रहते हैं। प्राचीन समय में यहां के पूर्वज हाब्बन के समीपस्थ गांव मड़ेची से यहां आए थे। यहां के निवासी बहुत मेहनती हैं। यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। कुछ लोग अपना ब्राह्मण कर्म पौरोहित्य कार्य भी करते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी यह गांव पझौता में अग्रणी है।

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इस गांव के बहुत से लोग सरकारी नौकरी करते हैं। यहाँ गेहूं, मक्की, जौ, धान इत्यादि फसलें उगाई जाती है। नकदी फसलों में मटर, टमाटर, गोभी आदि प्रमुख है। फलों में सेब, आड़ू, पलम आदि के बगीचे भी लगाए जाते हैं। इस प्रकार कृषि, बागवानी, नौकरी एवं पौरोहित्य कर्म आदि से यहां के लोग प्राचीन समय से ही धनधान्य सम्पन्न रहे हैं। इस गांव से पूर्वजों से लेकर अनाज एवं रुपए पूरे पझौता में उधार के रूप में दिए जाते हैं। गांव में मां काली का भव्य मंदिर भी बना हुआ है।

हच्चड़ गांव में हाटी समुदाय से सम्बन्धित अन्य उत्सव, बिशु, माघी, बैसाखी, शनोल आदि भी बड़े हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं साथ ही दीपावली, दशहरा, होली, रक्षाबंधन आदि त्योहार भी धूमधाम से मनाये जाते हैं। यहां पर विशेषकर हाटी समुदाय के लोग रहते हैं। कहा जाता है कि इस गांव के एक पूर्वज संतदास बहुत तपस्वी एवं सिद्ध पुरुष थे।

पुराने समय में वे यहां से तपस्या करने हिमालय क्षेत्र में चले गए। वह वीणा और सितार वादक भी थे। घूमते-घूमते वह हिमालय के टिहरी गढ़वाल के राजा के दरबार में चले गए। वहां दरबार में टिहरी नरेश उनकी वीणा वादन एवं पांडित्य आदि से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने अपने कुल ब्राह्मणों को अपनी ब्राह्मण पुत्री सन्तदास को देने का आदेश दिया।

संतदास वहां से लौट कर यहां हच्चड़ गांव में बस गए। इस प्रकार यहाँ के निवासी उन्हीं ब्राह्मणों की पुत्री और सिद्ध संत दास की संतान होकर अपने को धन्य मानते हैं। इस गांव का इतिहास हमें भेजा है हच्चड़ गांव के शास्त्री रमेश चन्द शर्मा ने। आपके पास भी अपने गांव या आसपास किसी खास स्थान से जुड़ी कोई रोचक जानकारी है तो हमें ewn24news@gmail.com पर जरूर भेजें।

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