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हिमाचल के बागवानों की बल्ले-बल्ले, विदेशी सेब की टेंशन खत्म, केंद्र का बड़ा फैसला

केंद्र ने न्यूनतम आयात मूल्य 50 रुपये प्रति किलो किया तय

शिमला। हिमाचल प्रदेश के सेब बागवानों के लिए राहत भरी खबर है। केंद्र सरकार ने सेब पर न्यूनतम आयात मूल्य 50 रुपये प्रति किलो तय किया है। इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। देश के सेब उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए केंद्र ने आयात नीति में संशोधन कर 50 रुपये न्यूनतम आयात मूल्य तय किया है। कांग्रेस ने इसे नाकाफी करार दिया है तो भाजपा ने फैसले का स्वागत किया है।

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संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने बताया कि विदेशी सेब के कारण हिमाचल के सेब उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ रहा था। ईरान का सेब भारत में औसतन 20 से 25 रुपये के दाम पर आयात होता था। इससे प्रदेश के बागवानों को काफी नुकसान होता था, वह पिछले 3 सालों से आयात मूल्य बढ़ाने की मांग कर रहे थे। वह केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार इसे सौ फीसदी करेगी।

वहीं, कांग्रेस ने इस फैसले को नाकाफी बताया है। हिमाचल किसान कांग्रेस के प्रवक्ता रविंद्र सिंह ने बताया कि यह फैसला स्वागत योग्य है, लेकिन यह बढ़ोतरी उतनी नहीं है, जितनी होनी चाहिए। सरकार ने 50 रुपए से कम मूल्य के सेब को तो सुरक्षित कर लिया है, लेकिन इससे अधिक के सेब को भी सरंक्षित करने की जरूरत है। आज बाजार में सेब 100 से 120 प्रति किलो बिक रहा है। न्यूनतम आयात मूल्य को बढ़ाकर सौ रुपए किया जाना चाहिए।

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नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और समस्त केंद्र सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने सेब उत्पादकों के लिए एक बड़ा एवं ऐतिहासिक निर्णय लिया है। उन्होंने कहा भारत में भूटान को छोड़ विदेश से न्यूनतम 50 रुपए प्रति किलो से कम दाम पर अब सेब नहीं आएगा। केंद्र सरकार के इन आदेशों का सेब राज्य हिमाचल के बागवानों को बड़ा लाभ होने जा रहा है। इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए हम केंद्र सरकार और भाजपा के समस्त नेतृत्व का तहे दिल से धन्यवाद करते हैं।

उन्होंने कहा केंद्र सरकार ने सेब पर आयात शुल्क 50 फीसदी लगा दिया है, जिसके लगने के बाद विदेश से आने वाला सेब न्यूनतम 75 रुपए प्रति किलो मिलेगा। उदाहरण के लिए 100 रुपए प्रति किलो का सेब अब भारत में आयात शुल्क लगने के बाद 150 रुपए का मिलेगा। इस सेबों के परिवहन का खर्च अलग से जुड़ेगा।

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अगर पिछले 5 साल में सेब उत्पादन को देखा जाए तो वर्ष 2019-20 कुल पेटियां 3.58 करोड़ (एक पीटी में औसत 20 किलो सेब आता है), 2020-21 में 2.40 करोड़ पेटियां, 2021-22 में 3.22 पेटियां, 2022-23 में 3.52 पेटियां का उत्पादन हुआ है। उन्होंने कहा कि अब प्रदेश की 4,500 करोड़ रुपए की सेब आर्थिकी को नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।

उधर, हिमाचल किसान कांग्रेस ने सेब के लिए एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की मांग की है। शिमला में मंगलवार को पत्रकार वार्ता के दौरान किसान कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता कंवर रविंद्र सिंह ने कहा कि अभी तक इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित नहीं किया गया है। ऐसे में मंडियों के उतार चढ़ाव से इसके रेट पर असर पड़ता है।

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उन्होंने कहा कि जिस तरह स्वामीनाथन की रिपोर्ट अनाज के लिए दाम तय किया गया है, उसी तरह सेब और आम के लिए भी समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाना चाहिए। उन्होंने सेब को वजन के हिसाब से बेचने की व्यवस्था करने के लिए सरकार का आभार जताया, लेकिन साथ में कहा कि सेब की पैकिंग के लिए यूनिवर्सल कार्टन लागू किया जाना चाहिए।

रविंद्र सिंह ने फसलों के लिए मौजूदा बीमा योजना के मुआवजे की प्रक्रिया को भी गलत बताया और कहा कि इसके लिए प्रधान और पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा तय किया जाना चाहिए। रविंद्र सिंह ने कहा कि जल्द ही मुख्यमंत्री के साथ किसान कांग्रेस की एक बैठक होगी, जिसमें बागवानों और किसानों की ये सभी मांगें रखी जाएंगी।

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