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भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम ने रचा इतिहास : पहली बार जीता एशिया कप

नई दिल्ली। भारत के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम ने इतिहास रचते हुए जूनियर महिला एशिया कप का खिताब जीत लिया है। भारत ने पहली बार ये टूर्नामेंट अपने नाम किया है। फाइनल में टीम इंडिया के सामने साउथ कोरिया की चुनौती थी।

टूर्नामेंट के इतिहास की सबसे सफल टीम साउथ कोरिया को भारत ने 2-1 से हराया। साउथ कोरिया ने सबसे ज्यादा 4 बार टूर्नामेंट को अपने नाम किया है। इस टूर्नामेंट का आयोजन 2021 में ही होना था, लेकिन कोरोना की वजह से दो साल की देरी से खेला गया।

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पहला क्वार्टर गोल रहित बराबर रहने के बाद भारत ने 22वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर पर अनु के गोल की बदौलत बढ़त बनाई। जापान के खिलाफ सेमीफाइनल की निराशा को पीछे छोड़ते हुए अनु ने गोलकीपर के बाईं ओर से गोल दागते हुए भारत को 1-0 से आगे किया।

दक्षिण कोरिया ने हालांकि तीन मिनट बाद पार्क सियो यिओन के गोल की बदौलत स्कोर 1-1 कर दिया। नीलम ने 41वें मिनट में दक्षिण कोरिया की गोलकीपर के दाईं ओर से गोल दागकर भारत को 2-1 से आगे कर दिया जो निर्णायक स्कोर साबित हुआ।

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भारतीय टीम ने इसके बाद अंतिम क्वार्टर में अपनी बढ़त बरकरार रखते हुए जीत दर्ज की। दक्षिण कोरिया को पेनल्टी कॉर्नर के रूप में गोल करने के कई मौके मिले लेकिन टीम इसका फायदा नहीं उठा सकी। इससे पहले महिला जूनियर एशिया कप में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2012 में था जब टीम बैंकॉक में पहली बार फाइनल में पहुंची थी, लेकिन चीन से 2-5 से हार गई।

भारतीय टीम ने इसके बाद अंतिम क्वार्टर में अपनी बढ़त बरकरार रखते हुए जीत दर्ज की। दक्षिण कोरिया को पेनल्टी कॉर्नर के रूप में गोल करने के कई मौके मिले, लेकिन टीम इसका फायदा नहीं उठा सकी। इससे पहले महिला जूनियर एशिया कप में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2012 में था जब टीम बैंकॉक में पहली बार फाइनल में पहुंची थी लेकिन चीन से 2-5 से हार गई।

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HPPSC ने असिस्टेंट प्रोफेसर हिस्ट्री और केमिस्ट्री का रिजल्ट किया घोषित

आयोग ने पर्सनैलिटी टेस्ट का परिणाम निकाला

शिमला। हिमाचल लोक सेवा आयोग (HPPSC) ने असिस्टेंट प्रोफेसर कॉलेज कैडर हिस्ट्री और असिस्टेंट प्रोफेसर कॉलेज कैडर केमिस्ट्री के पर्सनैलिटी टेस्ट का रिजल्ट घोषित कर दिया है। बता दें कि असिस्टेंट प्रोफेसर हिस्ट्री के 37 पदों पर 29 अप्रैल को भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। आयोग ने 5 दिसंबर 2022 को स्क्रीनिंग टेस्ट लिया था। 6 अप्रैल 2023 को स्क्रीनिंग टेस्ट का रिजल्ट घोषित किया। स्क्रीनिंग टेस्ट में 117 सफल घोषित किए गए थे। सफल अभ्यर्थियों का पर्सनैलिटी टेस्ट 26 अप्रैल से 1 मई तक लिया गया।

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वहीं, असिस्टेंट प्रोफेसर कॉलेज कैडर केमिस्ट्री के पर्सनैलिटी टेस्ट का रिजल्ट भी घोषित कर दिया है। 37 पद भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया 29 अप्रैल 2022 को शुरू की थी। आयोग (HPPSC) ने स्क्रीनिंग टेस्ट 1 दिसंबर 2022 को लिया था। स्क्रीनिंग टेस्ट का रिजल्ट 12 अप्रैल 12 अप्रैल 2023 को घोषित किया गया।

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इसमें 108 अभ्यर्थी सफल रहे। सफल अभ्यर्थियों का पर्सनैलिटी टेस्ट 26 अप्रैल से 1 मई तक आयोजित किया गया। आज पर्सनैलिटी टेस्ट का रिजल्ट घोषित कर दिया। रिजल्ट हिमाचल लोक सेवा आयोग (HPPSC) की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। रिजल्ट निकाले जाने की पुष्टि आयोग के सचिव ने की है।

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पझौता का हच्चड़ गांव : जानिए क्या है इतिहास-कैसे जीवन यापन करते हैं लोग

पझौता। हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर की उप तहसील पझौता की ग्राम पंचायत नेहरटी भगोट का एक छोटा सा गांव है हच्चड़। इसके पूर्व में पड़िया गांव, पश्चिम में कलोहा-शकेण तथा उत्तर की ओर मानवा खनिवड़ गांव स्थित है। परगना पझौता के ठीक मध्य में यह अपनी सौम्य स्थिति दर्शाता हुआ आदि काल से स्थित है।

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यहां प्रारंभ से ही ब्राह्मण जाति के लोग रहते हैं। प्राचीन समय में यहां के पूर्वज हाब्बन के समीपस्थ गांव मड़ेची से यहां आए थे। यहां के निवासी बहुत मेहनती हैं। यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। कुछ लोग अपना ब्राह्मण कर्म पौरोहित्य कार्य भी करते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी यह गांव पझौता में अग्रणी है।

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इस गांव के बहुत से लोग सरकारी नौकरी करते हैं। यहाँ गेहूं, मक्की, जौ, धान इत्यादि फसलें उगाई जाती है। नकदी फसलों में मटर, टमाटर, गोभी आदि प्रमुख है। फलों में सेब, आड़ू, पलम आदि के बगीचे भी लगाए जाते हैं। इस प्रकार कृषि, बागवानी, नौकरी एवं पौरोहित्य कर्म आदि से यहां के लोग प्राचीन समय से ही धनधान्य सम्पन्न रहे हैं। इस गांव से पूर्वजों से लेकर अनाज एवं रुपए पूरे पझौता में उधार के रूप में दिए जाते हैं। गांव में मां काली का भव्य मंदिर भी बना हुआ है।

हच्चड़ गांव में हाटी समुदाय से सम्बन्धित अन्य उत्सव, बिशु, माघी, बैसाखी, शनोल आदि भी बड़े हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं साथ ही दीपावली, दशहरा, होली, रक्षाबंधन आदि त्योहार भी धूमधाम से मनाये जाते हैं। यहां पर विशेषकर हाटी समुदाय के लोग रहते हैं। कहा जाता है कि इस गांव के एक पूर्वज संतदास बहुत तपस्वी एवं सिद्ध पुरुष थे।

पुराने समय में वे यहां से तपस्या करने हिमालय क्षेत्र में चले गए। वह वीणा और सितार वादक भी थे। घूमते-घूमते वह हिमालय के टिहरी गढ़वाल के राजा के दरबार में चले गए। वहां दरबार में टिहरी नरेश उनकी वीणा वादन एवं पांडित्य आदि से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने अपने कुल ब्राह्मणों को अपनी ब्राह्मण पुत्री सन्तदास को देने का आदेश दिया।

संतदास वहां से लौट कर यहां हच्चड़ गांव में बस गए। इस प्रकार यहाँ के निवासी उन्हीं ब्राह्मणों की पुत्री और सिद्ध संत दास की संतान होकर अपने को धन्य मानते हैं। इस गांव का इतिहास हमें भेजा है हच्चड़ गांव के शास्त्री रमेश चन्द शर्मा ने। आपके पास भी अपने गांव या आसपास किसी खास स्थान से जुड़ी कोई रोचक जानकारी है तो हमें ewn24news@gmail.com पर जरूर भेजें।

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