सरकार ने 167 जेई की सेवाएं कर दी हैं समाप्त
शिमला। हिमाचल पंचायती राज विभाग में विलय और छठे वेतन आयोग की मांग को लेकर हड़ताल पर डटे हिमाचल जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों पर सरकार ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार ने वीरवार को हड़ताल पर डटे 167 कनिष्ठ अभियंताओं (जेई) की सेवाएं समाप्त कर दी हैं।
साथ ही आउटसोर्स के माध्यम से भर्ती के निर्देश जारी किए हैं। वहीं, सूचना आ रही है कि बर्खास्त कर्मचारियों में कुछ वापस ज्वाइन करना चाहते हैं। इसको लेकर हिमाचल पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि ऐसी सूचना मिली है। अगर कोई वापस आना चाहता है तो उनका स्वागत है। हम किसी का बुरा नहीं करना चाहते हैं।
मीडिया से बातचीत में पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि लंबे समय से हिमाचल जिला परिषद कर्मचारी हड़ताल पर थे।सरकार इन कर्मचारियों की मांगों को लेकर गंभीर भी है। पहला कदम उठाते हुए सरकार ने इन्हें स्टेट कैडर में लाने का काम किया और उनकी बाकी मांगों को लेकर भी सरकार चिंतित है।
हिमाचल सरकार भी चाहती है कि इनका विलय हो और इन्हें वित्तीय लाभ मिलें, लेकिन प्रदेश आपदा के दौर से जूझ रहा है और वर्तमान में यह स्थिति नहीं है कि इन कर्मचारियों को सभी बेनिफिट दिए जा सकें।
ऐसे में डिपार्टमेंट ने कड़ा फैसला लेते हुए हड़ताल पर बैठे 167 कर्मचारियों को बर्खास्त किया है। साथ ही आउटसोर्स पर 1 साल के लिए कर्मचारियों को रखने की प्रक्रिया को भी शुरू करने को कहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार आपदा से जूझ रही है। प्रदेश में 90 से 95 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र है। सारे विकास के कार्य पंचायतों के माध्यम से होते हैं। जिला परिषद कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से आम लोगों का नुकसान हो रहा है।
लोगों ने घर, डंगे बनाने हैं। मनरेगा के तहत 1 हजार 85 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं, वो काम होने हैं। सारे काम रुक गए हैं। जिला परिषद कर्मियों से शुरू से निवेदन भी रहा कि अभी यह समय ठीक नहीं है।
पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने मीडिया के माध्यम से सभी जिला परिषद कर्मियों से निवेदन किया है कि वे अपनी ड्यूटी ज्वाइन करें। सरकार गंभीरतापूर्वक उनकी मांगों पर विचार करेगी। उन्होंने साफतौर पर कहा कि कर्मचारी जब तक हड़ताल पर हैं नो वर्क नो पे लागू रहेगा।
इसमें किसी भी प्रकार की रियायत नहीं दी जाएगी। यह नहीं है कि कर्मचारी हड़ताल खत्म कर दें और उन्हें पैसे वापस दिए जाएंगे। नो वर्क नो पे तो लागू ही रहेगा। बता दें कि जिला परिषद कर्मचारी 30 सितंबर से हड़ताल पर हैं। लगातार पंचायती राज विभाग में मर्जर की मांग कर रहे हैं।
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