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बड़े आंदोलन की तैयारी में सेब बागवान, शिमला में बनाई रणनीति

हिमाचल, कश्मीर, केरल के पूर्व विधायकों ने लिया भाग

शिमला। हिमाचल के सेब बागवान सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं। हिमाचल सेब उत्पादक संघ अन्य किसान संगठनों को संगठित करके सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तैयार करने में जुट गया है। इसी कड़ी में आज शिमला में हिमाचल, कश्मीर, केरल के पूर्व विधायकों व विशेषज्ञों ने सेब बागवानी की चुनौतियों पर विचार साझा किए और भविष्य में बागवानी बचाने के लिए आंदोलन की रणनीति तैयार की।

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शिमला के रोटरी टाउन हॉल में सेब उत्पादकों ने सेब बागवानी को आगे ले जाने के लिए मंत्रणा की। ठियोग से सीपीआईएम विधायक व बागवान नेता राकेश सिंघा ने कहा कि जम्मू कश्मीर सबसे बड़ा सेब उत्पादक है। हिमाचल में बागवानी को आगे बढ़ाने के लिए जो शोध व कार्य किए जाने चाहिए थे वह नहीं हो पाए हैं।

सरकार बागवानों को उनकी दशा पर छोड़ देती है। सरकार ने बागवानों के सामने आ रही चुनौतियों का आकलन आज तक नहीं किया। लेखकों और वैज्ञानिकों ने इस पर शोध व लेख लिखे हैं, जिसके माध्यम से सेब की खेती में आ रही चुनौतीयों को समझने की कोशिश की है। भविष्य में किसान संगठनों को साथ लेकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।

वहीं, कश्मीर से आए पूर्व विधायक मोहम्मद यूसुफ बताते हैं कि सेब उत्पादक राज्यों के सामने आज कई बड़ी चुनौतियां हैं। सरकार बागवानों की मांगों को अनदेखा कर रही है। बागवान लागत से भी कम कमा पाता है। स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के अनुसार ही बागवानों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। किसान कर्ज के बोझ में दबे हैं। एक तरफ सरकारी पैसा ना होने के बात कहती है, दूसरी तरफ पूंजीपतियों के लाखों करोड़ कर्ज माफ किए गए हैं। सेब उत्पादक राज्यों को आज एकजुट होकर हक के लिए आवाज उठाने की जरूरत हैं।

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हिमाचल : साढ़े चार साल का बच्चा तकलुंग चेतुल रिनपोछे का चौथा पुनर्वतार

लाहौल-स्पीति के नवांग ताशी के रूप में हुई पहचान
काजा। हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति में स्पीति घाटी के ताबो क्षेत्र के रंगरिक गांव के साढ़े चार साल के बच्चे की पहचान तिब्बती बौद्ध धर्म के निंगमा स्कूल के प्रमुख तकलुंग चेतुल रिनपोछे के चौथे पुनर्वतार के रूप में की गई है।
दोरजीडक मठ शिमला में तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं और हिमाचल प्रदेश के हिमालयी क्षेत्र के अन्य बौद्ध शिष्यों ने बालक भिक्षु का स्वागत किया और इस दौरान बालक के बौद्ध धर्म के अनुसार बाल काटे गए और वस्त्र धारण करवाए गए।
लाहौल-स्पीति के ताबो में सेरकोंग पब्लिक स्कूल की नर्सरी कक्षा का नन्हा नवांग ताशी राप्टेन औपचारिक रूप से गुरु बन गया है। शिमला के पंथाघाटी में दोरजीडक मठ में अपनी धार्मिक शिक्षा शुरू करेगा।
बौद्ध गुरुओं ने बालक के घर जाकर इसकी पहचान करने के बाद आज शिमला में विधिवत बालक का नाम बदलकर तकलुंग चेतुल रिनपोछे रख दिया है जो दोरजीडक मठ के अनुयायियों का आगामी गुरु होगा।
बालक के दादा छेतन अंगचूक ने बताया कि यह लाहौल-स्पीति, किन्नौर के साथ-साथ देश और दुनिया के बौद्ध अनुयायियों के लिए हर्ष का विषय है। उनके घर में तकलुंग चेतुल रिनपोछे के पुनर्वतार से वह काफी खुश हैं।
वहीं, बौद्ध धर्म के अनुयायी तकलुंग चेतुल रिनपोछे के पुनर्वतार से काफी खुश हैं। पिछले सात साल से लोग इसका इंतजार कर रहे थे जो आज विधिवत रूप से दोरजीडक मठ में संपन्न हो गया है। लोग उनका आशीर्वाद लेने के लिए नेपाल, भूटान, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से आज शिमला पहुंचे है।
नवांग ताशी का जन्म 16 अप्रैल, 2018 को रंगरिक गांव लाहौल-स्पीति में हुआ है, लेकिन अब आगामी शिक्षा शिमला के दोरजीडक मठ पंथाघाटी में होगी क्योंकि बालक की पहचान उच्च बौद्ध भिक्षुओं द्वारा तकलुंग चेतुल रिनपोछे के चौथे अवतार के रूप में हुई है।
शिमला : बर्फबारी से निपटने को प्रशासन ने कसी कमर, पांच सेक्टर में बांटा शहर

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शिमला : बर्फबारी से निपटने को प्रशासन ने कसी कमर, पांच सेक्टर में बांटा शहर

शिमला। हिमाचल प्रदेश में बारिश व बर्फबारी का दौर शुरू होने वाला है। राजधानी शिमला में भी बर्फबारी के चलते कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। इससे निपटने के लिए जिला प्रशासन ने पहले ही प्लान तैयार कर लिया है।

बर्फबारी में शहर की सभी आवश्यक सेवाएं सुचारू चलती रहें इसके लिए शहर को पांच सेक्टर में बांटा गया है। इसके लिए नगर निगम पीडब्ल्यूडी व बिजली विभाग को समय रहते तैयारियां करने के निर्देश भी दे दिए गए हैं।

उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी ने कहा कि शहर को हिमपात के लिए पांच सेक्टर में विभाजित किया गया है। प्रत्येक सेक्टर में संबंधित विभाग के अधिकारियों की ड्यूटी सुनिश्चित की गई है। उन्होंने सेक्टर अनुसार सभी नोडल अधिकारियों के साथ बैठक कर कदम उठाने के निर्देश दिए। बर्फबारी में पर्यटक सीजन भी चरम पर होता हैं ऐसे में ट्रैफिक जाम न हो इसके लिए भी योजना बनाई जाएगी।

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HPPSC ने जारी की असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी की Answer Key

5 दिसंबर तक साक्ष्यों सहित भेजें आपत्तियां

शिमला। हिमाचल लोक सेवा आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी (कॉलेज कैडर) के स्क्रेनिंग टेस्ट की आंसर की (Answer Key) जारी कर दी है।  स्क्रीनिंग टेस्ट 27 नवंबर को आयोजित किया गया था।

… तो क्या डॉक्टर नहीं बन पाएगी सरोत्री की मेधावी निकिता चौधरी? 

अगर किसी अभ्यर्थी को आंसर की में किसी उत्तर को लेकर कोई आपत्ति हो तो वह 5 दिसंबर तक साक्ष्यों सहित आपत्ति भेज सकता है। आपत्तियां डाक और कूरियर से भेजी जा सकती हैं। साथ ही हिमाचल लोक सेवा आयोग के कार्यालय में खुद आकर भी आपत्तियां दी जा सकती हैं।

आयोग के नियमों के अनुसार ईमेल और उक्त के अलावा अन्य माध्यम से भेजी भेजी आपत्तियां स्वीकार नहीं होंगी। साथ ही आधी अधूरी आपत्तियों पर भी ध्यना नहीं दिया जाएगा। आपत्तियां भेजने के लिए परफोर्मां आयोग की वेबसाइट पर है।

हिमाचल: खाई में गिरी कार, धू-धू कर जली-फौजी युवक ने ऐसे बचाई जान

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… तो क्या डॉक्टर नहीं बन पाएगी सरोत्री की मेधावी निकिता चौधरी?

शिमला/कांगड़ा। मेधावी छात्रा निकिता चौधरी का सपना पूरा होने में दिव्यांगता बाधा बन गई है।  दिव्यांगता के कारण डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज, अस्पताल टांडा ने एमबीबीएस (MBBS)में प्रवेश देने से इनकार कर दिया है।

उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष और राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य प्रो. अजय श्रीवास्तव ने राज्यपाल को पत्र लिखकर निकिता को न्याय दिलाने की मांग की है। राज्यपाल अटल मेडिकल विश्वविद्यालय मंडी के कुलाधिपति भी हैं।

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प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि कांगड़ा जिले की तहसील बड़ोह के गांव सरोत्री की निकिता चौधरी ने इस वर्ष नीट की कठिन परीक्षा उत्तीर्ण की। वह दिव्यांगता के कारण व्हीलचेयर यूजर हैं। कांगड़ा के मेडिकल बोर्ड ने उसे 75% विकलांगता का प्रमाण पत्र दिया था। उसे मेरिट के आधार पर राज्य कोटे की एमबीबीएस की सीट टांडा मेडिकल कॉलेज में मिलनी थी।

नीट की शर्तों के अनुसार ऐसे उम्मीदवारों को उसके द्वारा अधिकृत मेडिकल बोर्ड से विकलांगता का प्रमाणीकरण कराना आवश्यक है। चंडीगढ़ के सेक्टर 32 का राजकीय मेडिकल कॉलेज इसके लिए नीट ने अधिकृत किया था। निकिता ने वहां से विकलांगता का प्रमाण पत्र लिया जो 78 फीसदी का है। नीट के नियमों के अनुसार 80 फीसदी तक विकलांगता वाले युवा एमबीबीएस में प्रवेश के पात्र हैं।  इस आधार पर उसका प्रवेश टांडा मेडिकल कॉलेज में हो जाना चाहिए था।

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टांडा मेडिकल कॉलेज ने नीट के नियमों के विपरीत जाकर उसका दोबारा मेडिकल कराया और प्रमाण पत्र में उसकी विकलांगता 90 फीसदी कर दी। वहां उससे यह भी कहा गया कि तुम पढ़ाई के दौरान व्हीलचेयर से कैसे चल पाओगी। गौरतलब है कि कांगड़ा के मेडिकल बोर्ड और चंडीगढ़ के मेडिकल कॉलेज के अधिकृत बोर्ड ने उसकी विकलांगता को ‘प्रोग्रेसिव’ नहीं बताया था। टांडा मेडिकल कॉलेज के बोर्ड ने प्रमाण पत्र पर लिखा कि उसकी बीमारी प्रोग्रेसिव है यानी भविष्य में और भी बढ़ सकती है।

प्रो. अजय श्रीवास्तव ने राज्यपाल को बताया कि अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी और टांडा मेडिकल कॉलेज द्वारा दोबारा उसका मेडिकल किया जाना बिल्कुल गैरकानूनी है, क्योंकि यह मेडिकल कॉलेज विकलांगता प्रमाण पत्र बनाने के लिए नीट द्वारा अधिकृत ही नहीं किया गया है। मेडिकल कॉलेज को नीट द्वारा अधिकृत मेडिकल बोर्ड वाले विकलांगता प्रमाण पत्र को ही स्वीकार करना चाहिए था।

हिमाचल: खाई में गिरी कार, धू-धू कर जली-फौजी युवक ने ऐसे बचाई जान

अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी के नियमों के अनुसार राष्ट्रीय कोटे की एमबीबीएस सीटों के लिए विकलांगता का प्रमाण पत्र टांडा मेडिकल कॉलेज दोबारा नहीं बनाया जाता। यानी यदि निकिता चौधरी को राष्ट्रीय कोटे की सीट टांडा मेडिकल कॉलेज में मिली होती तो चंडीगढ़ मेडिकल कॉलेज द्वारा जारी विकलांगता प्रमाण पत्र के आधार पर ही उसे दाखिला मिल जाता।

उन्होंने राज्यपाल से कहा कि अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी और टाटा मेडिकल कॉलेज ने एक दिव्यांग मेधावी छात्रा के साथ अन्याय किया है। निकिता चौधरी के दसवीं में 93 फीसदी और 12वीं की परीक्षा में 96 फीसदी अंक थे। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों को बाधा रहित वातावरण देना विकलांग जन अधिनियम 2016 के अंतर्गत राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।

बाधा रहित वातावरण मिलने पर उसकी दिव्यांगता पढ़ाई में रुकावट नहीं बन सकती। सुप्रीम कोर्ट भी दृष्टिबाधित एवं व्हीलचेयर यूजर दिव्यांगों को एमबीबीएस में प्रवेश देने के लिए कई फैसले कर चुका है। उन्होंने पत्र में मांग की कि अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति होने के नाते राज्यपाल को तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप कर मेधावी छात्रा का जीवन बर्बाद होने से बचाना चाहिए।

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शिमला : ननखड़ी में पहाड़ी से टकराई कार, तीन घायल, एक की हालत गंभीर

नालबन के पास पेश आया हादसा

रामपुर। शिमला जिला के रामपुर ननखड़ी में नालबन के पास एक हादसा पेश आया है। यहां पर एक मारुति कार पहाड़ी से टकरा गई। हादसे में 3 लोग घायल हुए हैं जिनमें से एक व्यक्ति की हालत गंभीर है। व्यक्ति को ननखड़ी अस्पताल से IGMC शिमला रेफर किया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर हादसे के कारणों की जांच शुरू कर दी है।

हिमाचल में 3 पक्षी व एक तेंदुए को लिया गोद, 5 हजार से 2 लाख रेट तय

जानकारी के अनुसार हादसा शनिवार रात पेश आया है। कार में सवार चारों लोग ननखड़ी बाजार से धरान होते हुए रामपुर की तरफ जा रहे थे। जैसे ही कार नालबन के पास पहुंची तो चालक का बैलेंस बिगड़ा और कार पहाड़ी से टकरा गई। स्थानीय लोगों ने हादसे की सूचना ननखड़ी पुलिस को दी। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची।

घायलों को ननखड़ी अस्पताल पहुंचाया गया। घायलों में चालक सुनील मेहता, कपिल देव और चुन्नी लाल शामिल हैं जिनमें से चुन्नी लाल की हालत गंभ्रीर है। चुन्नी लाल को ननखड़ी अस्पताल से IGMC शिमला रेफर कर दिया गया है। डीएसपी चंद्रशेखर ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि घायलों का इलाज चल रहा है साथ ही पुलिस जांच कर रही है।

टीम इंडिया के सीरीज जीतने के अरमानों पर फिरा पानी, बराबरी का है मौका

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शिमला हिल्स विंटर चैलेंज, चार जिलों के 36 प्रतिभागियों ने लिया भाग

37 किलोमीटर लंबी इस रेस में 22 किलोमीटर ट्रैक

शिमला। एमटीबी शिमला हिल्स ने शिमला हिल्स विंटर चैलेंज आयोजित किया। चैलेंज के आयोजन का मकसद हिमाचल प्रदेश के साइकिलिस्ट को बढ़ावा देना है। शिमला में आयोजित इंटर चैलेंज में चार जिलों के 36 प्रतिभागियों ने भाग लिया। 37 किलोमीटर लंबी इस रेस में 22 किलोमीटर कंपीटीटिव ट्रैक शामिल है। इस आयोजन के जरिए प्रदेश की साइकिलिस्ट को आगे बढ़कर राष्ट्रीय स्तर पर जाने का मौका मिलेगा।

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MTB शिमला के संयोजक मोहित सूद ने कहा कि एक दिवसीय विंटर चैलेंज हिमाचल प्रदेश के साइकिलिस्ट को बढ़ावा देने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में इससे जुड़ा टैलेंट भरा पड़ा है, जिसे मंच की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि देश में 10 साल के दो साइकिलिस्ट में भाग ले रहे हैं, जो अन्य युवा साइकिलिस्ट के लिए भी प्रेरणा हैं। मोहित सूद ने बताया कि 36 प्रतिभागियों में से केवल एक ही लड़की इस रेस में भाग ले रही है, जो काफी कम है। हालांकि इसके पीछे इन दिनों स्कूल-कॉलेजों में चल रही परीक्षाएं हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताओं से हिमाचल प्रदेश के युवा टैलेंट को मदद मिलती है।

शिमला हिल्स विंटर चैलेंज, चार जिलों के 36 प्रतिभागियों ने लिया भाग

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हिमाचल में 3 पक्षी व एक तेंदुए को लिया गोद, 5 हजार से 2 लाख रेट तय

अक्टूबर माह में शुरू की थी योजना
शिमला। हिमाचल प्रदेश में लोग चिड़ियाघरों के जानवरों को गोद ले सकते हैं। आपको सुनने में यह अजीब जरूर लगेगा, लेकिन ऐसा हो सकता है। इसके लिए अलग-अलग जानवरों व पक्षियों के लिए अलग-अलग रेट हैं। हालांकि ये जानवर चिड़ियाघर में ही रहेंगे।
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व्यक्ति जिस भी जानवर को गोद लेगा उसकी जानकारी पिंजरे के बाहर बोर्ड लगाकर दी जाएगी। इस योजना को अक्टूबर माह में ही राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने इसे लांच किया है। इतना ही नहीं राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने खुद पक्षी को गोद लेते हुए 12 हजार रुपये दिए हैं।
प्रधान मुख्य संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्यजीव राजीव कुमार ने बताया कि इस योजना को अक्टूबर माह में शुरू किया गया था। इसके तहत अभी तक 3 पक्षी व एक तेंदुए को गोद लिया गया है। इसमें राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने हिमाचल के राजकीय पक्षी जाजुराना को गोद लिया है।
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इस योजना के तहत चिड़ियाघर में मौजूद तेंदुआ, शेर, भूरा भालू, काला भालू, हिमाचल के राज्य पक्षी जाजुराना समेत अन्य पशु पक्षियों को गोद लिया जा सकता है। हर पशु या पक्षी को गोद लेने के लिए एक निश्चित राशि रखी गई है। ये रकम सालाना 5 हजार रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक है। इस योजना में पूरा चिड़ियाघर या रेस्क्यू सेंटर भी गोद ले सकते हैं।
हालांकि पशु पक्षियों को गोद लेने की योजना देश के कई राज्यों में चलाई जा रही है, लेकिन अब इसे हिमाचल प्रदेश में लागू किया गया है। पशु पक्षियों को गोद लेने की सालाना फीस की बात करें तो तेंदुआ की 2 लाख, शेर की 2 लाख, भालू की 2 लाख, सांभर की 50 हजार, ग्रिफन वल्चर की 50 हजार,  घोरल की 25 हजार, बारकिंग डियर की 25 हजार रुपए सालाना है।
लैपर्ड कैट की 25 हजार, ईमू की 25 हजार, फीजेंट की 12 हजार, लव बर्डस की 12 हजार, कछुआ की 12 हजार, पूरे चिड़ियाघर की 1 करोड़, पूरे रेस्क्यू सेंटर की 1 करोड़, छोटे पक्षी की 5 हज़ार, मनाली, सराहन, चायल की फीजेंटरी की 25 लाख रुपये सालाना रखी गई है।

मनाली : सोलंगनाला में श‍टरिंग हटाते ही ढह गया निर्माणाधीन पुल

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शिमला : हसन वैली में टकराई दो गाड़ियां, एक व्यक्ति जख्मी-IGMC में भर्ती

शिमला। जिला शिमला स्थित हसन वैली में शनिवार सुबह दो गाड़ियों में जोरदार टक्कर हो गई। हादसे में एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुए हैं। 60 वर्षीय श्याम सिंह वर्मा के सिर व कमर सहित टांगों में चोटें आई है। उन्हें इलाज के लिए आईजीएमसी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। गाड़ियों की टक्कर इतनी जोरदार थी कि दोनों गाड़ियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं।

हिमाचल के युवक की जीरकपुर में मौत, नशे की लत ने ले ली जान 

श्याम सिंह वर्मा का इलाज आईजीएमसी में चल रहा है। घायल श्याम सिंह ठियोग तहसील के ददास गांव के रहने वाले हैं। पुलिस से प्राप्त सूचना के अनुसार ओवर टेक के चलते यह हादसा हुआ है। हादसे के समय श्याम सिंह शिमला और राजेंद्र कुफरी जा रहे थे। श्याम सिंह को ज्यादा चोट आई है वहीं राजेंद्र सुरक्षित है।

सुबह के समय पेश आए इस हादसे के चलते काफी देर तक लंबा जाम लगा रहा। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और यातायात सुचारू करवाया। ढली पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

हिमाचल विधानसभा चुनाव: आम मतदाताओं की संख्या में वृद्धि 

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हिमाचल विधानसभा चुनाव: आम मतदाताओं की संख्या में वृद्धि

इन चुनाव में बढ़कर 55.25 लाख हो गई

शिमला। हिमाचल में 2017 के विधानसभा चुनाव की तुलना में 2022 के विधानसभा चुनाव में आम मतदाताओं की संख्या में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले विधानसभा चुनाव में यह संख्या 49.88 लाख थी, जो इन चुनाव में बढ़कर 55.25 लाख हो गई। इस संख्या में 18 से 19 वर्ष की आयु वर्ग के 1.93 लाख नए मतदाता भी शामिल हैं। यह जानकारी मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने आज यहां दी।

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उन्होंने बताया कि 2017 के विधानसभा चुनाव में सेवा अहर्ता मतदाताओं तथा मतदान ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी मतदाताओं के डाक मतपत्रों को छोड़कर, कुल 37.27 लाख लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया था, जबकि इन चुनाव में कुल 41.60 लाख लोगों ने मतदान किया, जिसके परिणामस्वरूप मतदान प्रतिशतता में 11.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या में लगभग 5.37 लाख जबकि मताधिकार का प्रयोग करने वाले मतदाताओं की संख्या में 4.33 लाख की वृद्धि हुई है।

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इस विश्लेषण के माध्यम से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि 2017 के उपरांत 2022 के विधानसभा चुनाव में नए पंजीकृत मतदाताओं की मतदान प्रतिशतता लगभग 80.5 रही।

मनीष गर्ग ने बताया कि चुनाव आयोग के प्रयासों से हिमाचल प्रदेश में मतदाताओं की जागरूकता के लिए उत्सव कार्यक्रम तथा राज्यव्यापी चुनाव जागरूकता अभियान चलाया गया, जिसके परिणामस्वरूप प्रदेश में नए मतदाताओं के नामांकन तथा मत प्रतिशतता में वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि ‘हर वोट मायने रखता है’ तथा ‘कोई भी मतदाता पीछे ना छूटे’ के संकल्प को पूरा करने की दिशा में   प्रदेश में विशेषकर युवा मतदाताओं को जागरूक करने के लिए 2524 चुनाव साक्षरता क्लब और 7881 चुनावी पाठशालाओं का भी गठन किया गया।

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