ऋषि महाजन/नूरपुर। राजस्व जिला नूरपुर के तहत शराब के ठेकों की नीलामी 7 मार्च, 2024 को होगी। हिमाचल प्रदेश आबकारी नीति 2024-25 के लिए राजस्व जिला नूरपुर के अंतर्गत पड़ने वाली यूनिटों के टेंडर भरने की तिथि 6 मार्च 2024 रखी गई है।
निविदा एवं नीलामी की तिथि 7 मार्च 2024 आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी हिमाचल प्रदेश के अदेशानुसार 7 मार्च वीरवार को सुबह 10 बजे उप आय़ुक्त राज्य कर एवं आबकारी राजस्व जिला नूरपुर स्थित जाच्छ कार्यालय में डीसी कांगड़ा की अध्यक्षता में होगी।
नूरपुर राजस्व जिला के तहत 112 शराब की दुकानों की नीलामी होगी। इच्छुक व्यक्ति 6 मार्च को उप आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी राजस्व जिला नूरपुर स्थित जाच्छ के कार्यालय में संपर्क कर मोहर बंद निविदा जमा करवा सकते हैं।
7 मार्च को निर्धारित शर्तों को पूरा करके सीधे बोली दे सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए दूरभाष नंबर 01893-226031 पर भी संपर्क किया जा सकता है। यह जानकारी उप आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी प्रीत पाल सिंह ने दी है।
यूनिट का नाम शराब की दुकानों की संख्या यूनिट मूल्य
मंडी।जिला पर्यटन विकास अधिकारी कार्यालय मंडी के कार्यालय में प्रयोग की जा रही एस्टीम कार मॉडल 2005 की नीलामी होगी। नीलामी 18 अक्टूबर को सुबह 11 बजे जिला पर्यटन विकास अधिकारी कार्यालय चडयारा, समीप विस्को रिसोर्ट, मंडी में निर्धारित की गई है। यह जानकारी उप निदेशक, पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन मंडी मनोज कुमार ने दी।
उन्होंने बताया कि इच्छुक व्यक्ति 18 अक्टूबर को सुबह 11 बजे पांच हजार रुपये की धरोहर राशि जमा करवा कर इस नीलामी में भाग ले सकते हैं। नीलामी की नियम व शर्तों के बारे में पूर्ण जानकारी विभाग के कार्यालय से किसी भी कार्य दिवस पर सुबह 10 बजे से सायं 5 बजे तक प्राप्त की जा सकती है।
कुल्लू। जिला कुल्लू में टायर (बड़ा आकार), टायर (छोटा आकार), टाइप राइटर (अंग्रेजी), टाइप राइटर (हिंदी), फैक्स मशीन तथा साइक्लोस्टाइल मशीन की नीलामी होगी। जिला पर्यटन विकास अधिकारी कुल्लू सुनैना शर्मा ने बताया कि सार्वजनिक नीलामी इस कार्यालय के परिसर में जैसे है जहां है कि स्थिति में 13 जून 2023 को दोपहर 11.30 बजे की जाएगी।
उन्होंने बताया कि नीलामी के लिए प्रत्येक बोलीदाता के धरोहर राशि के रूप में 500 रुपए की राशि इस कार्यालय में दिनांक 13 जून 2023 को 11 बजे तक नगद जमा करवानी होगी। यह राशि असफल बोलीदाताओं को नीलामी की कार्रवाई के पश्चात लौटाई जाएगी, जबकि सफल बोलीदाता को धरोहर राशि बिक्री की राशि में समायोजित की जाएगी।
सफल बोलीदाता को उच्चतर बोली की पूर्ण राशि बोली समाप्त होने पर इस कार्यालय में नगद ड्रॉफ्ट के माध्यम से जमा करनी होगी। उच्चतर बोली की राशि जमा करने के पश्चात अनुपयोगी सामग्री / अप्रयुक्त सामग्री को कार्यालय के परिसर से 24 घंटे के भीतर हटाना होगा। नीलाम की जाने वाले अनुपयोगी सामग्री / अप्रयुक्त सामग्री का निरीक्षण निर्धारित तिथि से पूर्व किसी भी कार्य दिवस को 10 से 5 बजे तक किया जा सकता है।
क्रांति संस्था के संस्थापक धीरज महाजन ने जताया था नीलामी का विरोध
मैक्लोडगंज। डूका वो लैब्राडोर डॉग है जिसने पिछले 12 वर्ष अपनी सेवाएं तिब्बतियों के अध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा की सिक्योरिटी में दीं। सेवाएं देकर जब वह बूढ़ा हो गया तो उसकी नीलामी तय कर दी गई। सूंघने की जबरदस्त क्षमता के लिए मशहूर डूका विस्फोटकों को ट्रेस करने में माहिर है। 12 साल की सेवाओं के बाद डूका को रिटायर करने का फैसला लिया गया।
पुलिस विभाग ने आज केंद्र सरकार की अनुमति से मैक्लोडगंज पुलिस लाइन में शिव मंदिर के समीप इसकी नीलामी की। इस नीलामी में 5 लोगों ने भाग लिया और धर्मशाला के अजय ने डूका को 1,550 रुपए में खरीद लिया। इतने साल सेवा देने के बाद अपने घर और उन सब लोगों से दूर जाना डूका के लिए कितना मुश्किल होगा ये कोई नहीं समझ पाया। ये बेजुबान तो अपनी बात रखने में असमर्थ था लेकिन इसके लिए आवाज उठाई क्रांति संस्था के संस्थापक धीरज महाजन ने।
डूका की नीलामी का पता जब क्रांति संस्था के संस्थापक धीरज महाजन को चला तो उन्होंने मौके पर जाकर इसका विरोध जताया और कहा कि इस बेजुबान की भी भावनाएं हैं और अन्य किसी और जगह पर जाकर य़ह अपने पुराने मालिक और माहौल को याद करेगा। उनकी इस बात को डीएसपी नितिन चौहान ने सराहा और नीलामी के बाद डूका को उसके पुराने हैंडलर राजीव को ही सौंप दिया। यानी कि अब डूका दलाई लामा सिक्योरिटी डीएसपी कार्यालय में ही रहेगा।
इस बात से प्रदेशभर के पशु प्रेमी काफी खुश हैं। क्रांति संस्था ने पुलिस विभाग का भी आभार जताया जिन्होंने उनकी बात सुनी। धीरज महाजन ने कहा कि हम सभी मिलकर अगर प्रयास करते रहे तो कभी भी इन बेजुबानों पर अत्याचार नहीं होगा।
दलाई लामा की सुरक्षा में तैनात DSP नितिन चौहान ने बताया कि डूका की सबसे बड़ी खूबी विस्फोटकों से पुलिस को आगाह करना है। वह दलाई लामा के सार्वजनिक कार्यक्रमों से पहले आयोजन स्थल पर रेकी करता था, उसके बाद ही कार्यक्रम सेफ समझे जाते थे। साल 2010 में डूका को आर्मी ट्रेनिंग सेंटर से एक लाख 23 हजार रुपए देकर लाया गया था। उस समय यह सात माह का था। उसकी कुछ ट्रेनिंग यहां हुई। उसके बाद वह लगातार एक सोल्जर की तरह अपनी सेवाएं दे रहा था।