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चैत्र नवरात्र : छठे दिन करें मां कात्यायनी की पूजा, जानें विधि, बीज मंत्र व आरती

चैत्र नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के छठे रूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण इनका नाम कात्यायनी रखा गया। माता कात्यायनी की पूजा से विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।

धार्मिक मान्यता है कि इनकी कृपा से योग्य वर और विवाह की सभी अड़चनें दूर हो जाती हैं। ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। माता कात्यायनी सफलता और यश का प्रतीक हैं।

भगवान कृष्ण को पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्ही की पूजा कालिंदी नदी के तट पर की थी। ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

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माता कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है। इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है। शेर पर सवार मां की चार भुजाएं हैं, इनके बायें हाथ में कमल, तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है।

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इनकी पूजा अमोघ फलदायिनी हैं, मान्यता है कि माता कात्यायनी जिस पर प्रसन्न हो जाएं उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से शरीर कांतिमान हो जाता है।

इनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है और साधक के रोग, शोक, संताप और भय आदि सर्वथा नष्ट हो जाते हैं। शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा की जाती है यह स्वयं नकारात्मक शक्तियों का अंत करने वाली देवी हैं।

मां कात्यायनी पूजा विधि
  • सबसे पहले स्नान-ध्यान के बाद शुभ रंगों के वस्त्र पहनकर कलश पूजा करें।
  • इसके बाद मां दुर्गा के स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा करें।
  • पूजा प्रारंभ करने से पहले मां को स्मरण करें और हाथ में फूल लेकर संकल्प जरूर लें।
  • इसके बाद वह फूल मां को अर्पित करें।
  • फिर कुमकुम, अक्षत, फूल आदि और सोलह श्रृंगार माता को अर्पित करें।
  • उसके बाद भोग अर्पित करें। फिर जल अर्पित करें और घी के दीपक जलाकर माता की आरती करें।
  • देवी की पूजा के साथ भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए।
  • मां कात्यायनी को शहद बहुत ही प्रिय है, इसलिए पूजा के समय मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएं ऐसा करने से स्वयं के व्यक्तित्व में निखार आता है।
  • देवी को पीला और लाल रंग अतिप्रिय है। इस वजह से पूजा में आप मां कात्यायनी को लाल और पीला रंग के गुलाब का फूल अर्पित करें इससे मां कात्यायनी आप पर प्रसन्न होंगी।
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माता कात्यायनी पूजा मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना|
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि||
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माता कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।

कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।

हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।

कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।

हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।

जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

 

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चैत्र नवरात्र : पांचवें दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा, जानें विधि, बीज मंत्र और आरती

चैत्र नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप यानी मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण देवी के इस पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।

सिंह पर सवार स्कन्दमाता देवी की चार भुजाएं हैं, जिसमें देवी अपनी ऊपर वाली दांयी भुजा में बाल कार्तिकेय को गोद में उठाए उठाए हुए हैं और नीचे वाली दांयी भुजा में कमल पुष्प लिए हुए हैं।

ऊपर वाली बाईं भुजा से इन्होने जगत तारण वरद मुद्रा बना रखी है व नीचे वाली बाईं भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है और ये कमल के आसान पर विराजमान रहती हैं इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है।

सच्चे मन से पूजा करने पर स्कंदमाता सभी भक्तों की इच्छाओं को पूरी करती हैं और कष्टों को दूर करती हैं। संतान प्राप्ति के लिए माता की आराधना करना उत्तम माना गया है।

माता रानी की पूजा के समय लाल कपड़े में सुहाग का सामान, लाल फूल, पीले चावल और एक नारियल को बांधकर माता की गोद भर दें। ऐसा करने से जल्द ही घर में किलकारियां गूंजने लगती हैं।

स्कंदमाता मोक्ष का मार्ग दिखाती हैं और इनकी पूजा करने से ज्ञान की भी प्राप्ति होती है। माता का यह स्वरूप ममता की मूर्ति, प्रेम और वात्सल्य का साक्षात प्रतीक हैं।

मां स्कंदमाता पूजन विधि
  • प्रात: काल स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद मां का पूजन आरंभ करें एवं मां की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • मां के श्रृंगार के लिए शुभ रंगों का इस्तेमाल करना श्रेष्ठ माना गया है।
  • स्कंदमाता और भगवान कार्तिकेय की पूजा विनम्रता के साथ करनी चाहिए।
  • पूजा में कुमकुम, अक्षत, पुष्प, फल आदि से पूजा करें।
  • चंदन लगाएं, माता के सामने घी का दीपक जलाएं।
  • इसके बाद फूल चढ़ाएं व भोग लगाएं।
  • मां की आरती उतारें तथा इस मंत्र का जाप करें
मां स्कंदमाता के मंत्र

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां स्कंदमाता का प्रिय रंग और भोग

भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है। आरती के बाद 5 कन्याओं को केले का प्रसाद बांटें। मान्यता है इससे देवी स्कंदमाता बहुत प्रसन्न होती है और संतान पर आने वाले सभी संकटों का नाश करती है।

मां स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंदमाता,
पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सब के मन की जानन हारी,
जग जननी सब की महतारी। जय तेरी हो स्कंदमाता
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं,
हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा,
मुझे एक है तेरा सहारा। जय तेरी हो स्कंदमाता
कहीं पहाड़ों पर है डेरा,
कई शहरो में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे,
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे। जय तेरी हो स्कंदमाता
भक्ति अपनी मुझे दिला दो,
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदि देवता मिल सारे,
करे पुकार तुम्हारे द्वारे। जय तेरी हो स्कंदमाता
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए,
तुम ही खंडा हाथ उठाएं।
दास को सदा बचाने आईं,
चमन की आस पुराने आई। जय तेरी हो स्कंदमाता

मां स्कंदमाता स्तोत्र

नमामि स्कन्धमातास्कन्धधारिणीम्।
समग्रतत्वसागरमपारपारगहराम्॥

शिप्रभांसमुल्वलांस्फुरच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्‍‌नभास्कराजगतप्रदीप्तभास्कराम्॥

महेन्द्रकश्यपाíचतांसनत्कुमारसंस्तुताम्।
सुरासेरेन्द्रवन्दितांयथार्थनिर्मलादभुताम्॥

मुमुक्षुभिíवचिन्तितांविशेषतत्वमूचिताम्।
नानालंकारभूषितांकृगेन्द्रवाहनाग्रताम्।।

सुशुद्धतत्वातोषणांत्रिवेदमारभषणाम्।
सुधामककौपकारिणीसुरेन्द्रवैरिघातिनीम्॥

शुभांपुष्पमालिनीसुवर्णकल्पशाखिनीम्।
तमोअन्कारयामिनीशिवस्वभावकामिनीम्॥

सहस्त्रसूर्यराजिकांधनज्जयोग्रकारिकाम्।
सुशुद्धकाल कन्दलांसुभृडकृन्दमज्जुलाम्॥

प्रजायिनीप्रजावती नमामिमातरंसतीम्।
स्वकर्मधारणेगतिंहरिप्रयच्छपार्वतीम्॥

इनन्तशक्तिकान्तिदांयशोथमुक्तिदाम्।
पुन:पुनर्जगद्धितांनमाम्यहंसुराíचताम॥

जयेश्वरित्रिलाचनेप्रसीददेवि पाहिमाम्॥

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चैत्र नवरात्र : चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा, जानें बीज मंत्र और आरती

चैत्र नवरात्र में चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की आदिशक्ति माना जाता है साथ ही माता दुर्गा के इस रूप को सबसे उग्र भी माना गया है।

माता दु्र्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की 8 भुजाएं होती हैं इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है।

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मां कूष्मांडा के आठ हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा और माला होती है और इनके आठवें हाथ में जप की माला है। मां कुष्मांडा सिंह पर सवार होती हैं।

देवी कूष्मांडा की साधना और पूजा से आरोग्य की प्राप्ति होती है। देवी अपने भक्तों को हर संकट और विपदा से निकालकर सुख वैभव प्रदान करती हैं।

साथ ही जो देवी कूष्मांडा की भक्ति करते हैं माता उसके लिए मोक्ष पाने का मार्ग सहज कर देती हैं। माता के भक्तों में तेज और बल का संचार होता है। इन्हें किसी प्रकार का भय नहीं रहता है।

 

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मां कूष्मांडा की पूजा विधि
  • सुबह स्‍नानादि से निवृत्त होकर देवी कूष्मांडा का ध्यान करें।
  • इसके बाद दुर्गा के कूष्‍मांडा रूप की पूजा करें।
  • पूजा में मां को लाल रंग के पुष्‍प, गुड़हल या गुलाब अर्पित करें।
  • इसके साथ ही सिंदूर, धूप, दीप और नैवेद्य भी माता को चढ़ाएं।
  • माता के इस स्वरूप का ध्यान स्थान अनाहत चक्र है इसलिए देवी की उपासना में अनाहत चक्र के मिलते रंग जो हल्का नील रंग है उसी रंग के वस्त्रों को धारण करे। इससे माता के स्वरूप में ध्यान लगाना आसान होगा।
मां कूष्मांडा के मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ओम देवी कूष्माण्डायै नमः॥

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मां कुष्मांडा की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे ।

भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

मां कूष्मांडा का स्तोत्र

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।

कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥

पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।

कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

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ज्वालामुखी के मेजर भावुक शर्मा को सेना मेडल से किया गया सम्मानित

प्रयागराज में नॉर्दर्न कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल ने दिया सम्मान

ज्वालामुखी। कांगड़ा जिला के ज्वालामुखी उपमंडल निवासी मेजर भावुक शर्मा को कश्मीर घाटी में जान पर खेलकर आतंकवादी को मार गिराने के लिए सेना पदक से सम्मानित किया गया है।

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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में नॉर्दर्न कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल ने उन्हें यह सम्मान दिया है। ज्वालामुखी के वार्ड नंबर 7 निवासी संजय शर्मा के पुत्र भावुक शर्मा 21 साल की उम्र में भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल में भर्ती हुए थे।

2023 में उनकी ड्यूटी कश्मीर घाटी के बारामूला में थी। इस दौरान उन्हें एक गांव में आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली।

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भावुक शर्मा ने अपनी टीम के साथ इलाके की घेराबंदी की और काफी समय तक चली मुठभेड़ में भावुक ने एक आतंकी को मार गिराया। मेजर भावुक के पिता संजीव शर्मा सेवानिवृत्त एसीएफ हैं और माता आशा शर्मा गृहिणी हैं।

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माता-पिता के अलावा परिवार में पत्नी राविया शर्मा और बेटी काशवी शर्मा है। मेजर भावुक शर्मा ने दसवीं तक की शिक्षा ज्वालामुखी के सरस्वती बाल भारती स्कूल में की है। इसके बाद डीएवी स्कूल चंडीगढ़ से उन्होंने 12वीं पास की।

21 साल की उम्र में भावुक लेफ्टिनेंट के रूप में सेना में भर्ती हुए थे। 2023 से उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में है। भावुक को सेना पदक मिलने से उनके परिवार सहित ज्वालामुखी के लोग बेहद खुश हैं और गौरान्वित महसूस कर रहे हैं।

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चैत्र नवरात्र : तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें बीज मंत्र और आरती

चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां दुर्गा का ये स्वरूप बेहद ही कल्याणकारी माना गया है। देवी चंद्रघंटा का स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी हैं। बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला हैं।

इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान हैं, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। 10 भुजाओं वाली देवी के हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र विभूषित हैं। इनके गले में सफ़ेद फूलों की माला सुशोभित रहती हैं। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने वाली होती है।

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इनके घंटे की सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य-राक्षस सदैव प्रकम्पित रहते हैं। दुष्टों का दमन और विनाश करने में सदैव तत्पर रहने के बाद भी इनका स्वरूप दर्शक और आराधक के लिए अत्यंत सौम्यता और शांति से परिपूर्ण रहता है।

अतः भक्तों के कष्टों का निवारण ये शीघ्र ही कर देती हैं। इनका वाहन सिंह है। इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों की प्रेत-बाधादि से रक्षा करती है। आपको बताते हैं क्या है मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, मंत्र और आरती …

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मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
  1. मां को शुद्ध जल और पंचामृत से स्नान कराएं।
  2. अलग-अलग तरह के फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर, अर्पित करें।
  3. केसर-दूध से बनी मिठाइयों या खीर का भोग लगाएं।
  4. मां को सफेद कमल, लाल गुडहल और गुलाब की माला अर्पण करें और प्रार्थना करते हुए मंत्र जप करें।
  5. इस तरह देवी चंद्रघंटा की पूजा करने से साहस के साथ सौम्यता और विनम्रता में वृद्धि होती है।
मां चंद्रघंटा बीज मंत्र

“या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।”

पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

देवी चंद्रघंटा की आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम।।
चंद्र समान तू शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती।।

क्रोध को शांत बनाने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।।
मन की मालक मन भाती हो। चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।।

सुंदर भाव को लाने वाली। हर संकट मे बचाने वाली।।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय।।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं। सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।।
शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगदाता।।

कांची पुर स्थान तुम्हारा। करनाटिका में मान तुम्हारा।।
नाम तेरा रटू महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी।।

 

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चैत्र नवरात्र : पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, ये है बीज मंत्र और आरती

चैत्र नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इसी दिन से मां का आगमन होता है और देवी पक्ष की शुरुआत होती है।

मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आइए जानते हैं नवरात्र के पहले दिन देवी मां के शैलपुत्री रूप की पूजा कैसे करनी चाहिए।

मां शैलपुत्री पूजन विधि
  • प्रात: जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें।
  • पूजा के पहले अखंड ज्योति प्रज्वलित कर लें और शुभ मुहूर्त में घट स्थापना कर लें।
  • अब पूर्व की ओर मुख कर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और माता का चित्र स्थापित करें।
  • सबसे पहले गणपति का आह्वान करें और इसके बाद हाथों में लाल रंग का पुष्प लेकर मां शैलपुत्री का आह्वान करें।
  • मां की पूजा के लिए लाल रंग के फूलों का उपयोग करना चाहिए।
  • मां को अक्षत, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प चढ़ाएं. माता के मंत्रों का जप करें।
  • घी से दीपक जलाएं, मां की आरती करें, शंखनाद करें, घंटी बजाएं और मां को प्रसाद अर्पित करें।
नवरात्र के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा करते समय इन बीज मंत्रों का जाप अवश्य करें …
  • या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
  • शिवरूपा वृष वहिनी हिमकन्या शुभंगिनी
    पद्म त्रिशूल हस्त धारिणी
    रत्नयुक्त कल्याणकारिणी
  • ओम् ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:
  • बीज मंत्र- ह्रीं शिवायै नम:
  • वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्
    वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्
मां शैलपुत्री आरती

शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।

घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

 

 

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चैत्र नवरात्र हो रहे शुरू : जान लें कलश स्थापना शुभ मुहूर्त और विधि
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पुराना स्मार्टफोन बेचते वक्त ध्यान रखें ये पांच बातें, फ्रॉड का शिकार होने से बचें
HPPSC : HAS, तहसीलदार, जिला पंचायत अधिकारी के पदों का विस्तृत विज्ञापन जारी

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चैत्र नवरात्र शुरू : कब और कैसे करें कलश स्थापना, जानें शुभ मुहूर्त व विधि

चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल यानी मंगलवार से शुरू हैं। हिंदू धर्म में नवरात्र का बड़ा महत्व है। नवरात्र के 9 दिन माता रानी के भक्त व्रत रखते हैं और मां की पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अलावा नवरात्र के ये पावन दिन शुभ कार्यों के लिए बेहद ही उत्तम माने जाते हैं।

इन दिनों बिना कोई मुहूर्त देखे कई शुभ कार्य किए जाते हैं। नवरात्र में लोग घर में कलश की स्थापना करते हैं और नौ दिनों तक अखंड ज्योति भी जलाते हैं।

माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर चैत्र नवरात्र मेले, बिना पर्ची नहीं हो सकेंगे दर्शन

 

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। इस साल चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को देर रात 11:50 बजे से शुरू होकर 9 अप्रैल को संध्याकाल 08:30 पर समाप्त होगी।

हिंदू धर्म में उदया तिथि मान है, इसलिए 9 अप्रैल को घटस्थापना या कलश स्थापना है। इस साल नवरात्र का आरंभ 9 अप्रैल मंगलवार से हो रहा है।

Breaking हिमाचल : HAS, तहसीलदार, जिला पंचायत अधिकारी के पदों को लेकर बड़ी अपडेट

 

घटस्थापना या कलश स्थापना का समय

9 अप्रैल को घटस्थापना या कलश स्थापना समय सुबह 06 बजकर 02 मिनट से लेकर 10 बजकर 16 मिनट तक है।

इसके अलावा 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है। इन दोनों मुहूर्त में घटस्थापना की जा सकती है।

चैत्र नवरात्र के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है।

‘इस दिन अमृत और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण सुबह 07: 32 से हो रहा है। ये दोनों योग संध्याकाल 05:06 बजे तक है।

केंद्रीय विद्यालय हमीरपुर में प्रवेश के लिए ऑनलाइन पंजीकरण 15 अप्रैल तक
ऐसे करें कलश स्थापना
  • कलश स्थापना करने के लिए सबसे पहले पूजा घर को अच्छी तरह से साफ कर लें
  • इसके बाद एक मिट्टी का बर्तन लें और उसमें साफ मिट्टी रखें
  • अब इसमें कुछ जौ के दाने बो दें और उन पर पानी का छिड़काव करें
  • अब इस मिट्टी के कलश को पूजा घर या जहां पर माता की चौकी हो, वहां इस कलश स्थापित कर दें
  • कलश स्थापना करते और पूजा के समय अर्गला स्तोत्र का पाठ अवश्य करें
  • इसके बाद उस कलश में जल, अक्षत और कुछ सिक्के डालें और ढककर रख दें
  • इस कलश पर स्वास्तिक जरूर बनाएं और फिर कलश को मिट्टी के ढक्कन से ढक दें
  • इसके बाद दीप-धूप जलाएं और कलश की पूजा करें
कलश स्थापना मंत्र

ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:।
पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।
ओम वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्काभसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमा सीद।

घटस्थापना में रखें इन बातों का विशेष ध्यान
  • शास्त्रों के अनुसार, कलश स्थापना या घटस्थापना में हमेशा सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी से बने कलश का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पूजा के लिए लोहे के कलश या स्टील से बने कलश का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • कलश की स्थापना के दौरान दिशा का भी विशेष ख्याल रखें। कलश की स्थापना या तो उत्तर दिशा में या फिर पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए।
  • कलश स्थापना करने से पहले उस स्थान को अच्छे से साफ सफाई कर लें। वहां, पर गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद ही कलश की स्थापना करें।
  • कलश स्थापना के लिए चिकनी मिट्टी और रेतीली मिट्टी को फैला लें और अष्टदल बनाएं।
  • कलश में सप्त मृत्तिका, सुपारी, सिक्का, सुगंध, सर्व औषधी, कौड़ी, शहद, गंगाजल, पंच पल्लव, पीपल, आम बरगद, गूलर और पाखर के पल्लव यदि उपलब्ध न हो तो आम के पल्लव डाल लें।
  • लाल रंग के कपड़े में नारियल लपेटकर कलश के ऊपर रख दें।
    सिंदूर से कलश में स्वास्तिक लगाएं। कलश के ऊपर मिट्टी के बर्तन में धान या चावल डालकर उसके ऊपर ही नारियल स्थापित करें।
    पूजा के बाद वेदी के ऊपर जौं को बो दें।
कांगड़ा : वजूद तो खो ही रही गुलेर रियासत की राजधानी हरिपुर, अब संस्कृति पर भी संकट
चैत्र नवरात्र 2024 की तिथियां

पहला दिन – 9 अप्रैल 2024 (प्रतिपदा तिथि, घटस्थापना)—मां शैलपुत्री पूजा।

दूसरा दिन – 10 अप्रैल 2024 (द्वितीया तिथि)—मां ब्रह्मचारिणी पूजा।

तीसरा दिन – 11 अप्रैल 2024 (तृतीया तिथि)—मां चंद्रघण्टा पूजा

चौथा दिन – 12 अप्रैल 2024 (चतुर्थी तिथि)—मां कुष्मांडा पूजा

पांचवां दिन – 13 अप्रैल 2024 (पंचमी तिथि)—मां स्कंदमाता पूजा

छठा दिन – 14 अप्रैल 2024 (षष्ठी तिथि)—मां कात्यायनी पूजा

सांतवां दिन – 15 अप्रैल 2024 (सप्तमी तिथि)—मां कालरात्रि पूजा

आठवां दिन – 16 अप्रैल 2024 (अष्टमी तिथि)—मां महागौरी पूजा

नौवां दिन – 17 अप्रैल 2024 (नवमी तिथि)—मां सिद्धिदात्री पूजा, राम नवमी

बीड़-बिलिंग : उड़ान भरने के बाद पैराग्लाइडर क्रैश, नोएडा निवासी महिला की गई जान

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ऊना : तालाब में नहाने उतरे थे तीन मासूम, गंवा बैठे जान

कांगड़ा : भडियाड़ा में घर से 103 पेटी अवैध शराब बरामद, शैड में थीं रखी

हिमाचल : पोस्ट कोड 1025, 1036 और 1072 के तहत आवेदन करने वाले दें ध्यान 

चैत्र नवरात्र हो रहे शुरू : जान लें कलश स्थापना शुभ मुहूर्त और विधि
कांगड़ा : महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक, पर वोट कम 

हिमाचल : 10 अप्रैल को सक्रिय हो सकता है पश्चिमी विक्षोभ, यह रहेगा असर
महिलाएं घर बैठे कमाएं पैसा : मुफ्त सिलाई मशीन योजना का ऐसे उठाएं लाभ

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चैत्र नवरात्र हो रहे शुरू : जान लें कलश स्थापना शुभ मुहूर्त और विधि

चैत्र नवरात्र शुरू होने वाले हैं। हिंदू धर्म में नवरात्र का बड़ा महत्व है। नवरात्र के 9 दिन माता रानी के भक्त व्रत रखते हैं और मां की पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अलावा नवरात्र के ये पावन दिन शुभ कार्यों के लिए बेहद ही उत्तम माने जाते हैं।

इन दिनों बिना कोई मुहूर्त देखे कई शुभ कार्य किए जाते हैं। नवरात्र में लोग घर में कलश की स्थापना करते हैं और नौ दिनों तक अखंड ज्योति भी जलाते हैं।

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चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। इस साल चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को देर रात 11:50 बजे से शुरू होकर 9 अप्रैल को संध्याकाल 08:30 पर समाप्त होगी।

हिंदू धर्म में उदया तिथि मान है, इसलिए 09 अप्रैल को घटस्थापना या कलश स्थापना है। इस साल नवरात्र का आरंभ 9 अप्रैल मंगलवार से हो रहा है।

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घटस्थापना या कलश स्थापना का समय

9 अप्रैल को घटस्थापना या कलश स्थापना समय सुबह 06 बजकर 02 मिनट से लेकर 10 बजकर 16 मिनट तक है।

इसके अलावा 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है। इन दोनों मुहूर्त में घटस्थापना की जा सकती है।

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। ‘इस दिन अमृत और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण सुबह 07: 32 से हो रहा है। ये दोनों योग संध्याकाल 05:06 बजे तक है।

हिमाचल में HAS, तहसीलदार, पंचायत अधिकारी सहित इन पदों पर निकली भर्ती-करें आवेदन
ऐसे करें कलश स्थापना
  • कलश स्थापना करने के लिए सबसे पहले पूजा घर को अच्छी तरह से साफ कर लें
  • इसके बाद एक मिट्टी का बर्तन लें और उसमें साफ मिट्टी रखें
  • अब इसमें कुछ जौ के दाने बो दें और उन पर पानी का छिड़काव करें
  • अब इस मिट्टी के कलश को पूजा घर या जहां पर माता की चौकी हो, वहां इस कलश स्थापित कर दें
  • कलश स्थापना करते और पूजा के समय अर्गला स्तोत्र का पाठ अवश्य करें
  • इसके बाद उस कलश में जल, अक्षत और कुछ सिक्के डालें और ढककर रख दें
  • इस कलश पर स्वास्तिक जरूर बनाएं और फिर कलश को मिट्टी के ढक्कन से ढक दें
  • इसके बाद दीप-धूप जलाएं और कलश की पूजा करें
कलश स्थापना मंत्र

ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:।
पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।
ओम वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्काभसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमा सीद।

कांगड़ा : महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक, पर वोट कम 
घटस्थापना में रखें इन बातों का विशेष ध्यान
  • शास्त्रों के अनुसार, कलश स्थापना या घटस्थापना में हमेशा सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी से बने कलश का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पूजा के लिए लोहे के कलश या स्टील से बने कलश का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • कलश की स्थापना के दौरान दिशा का भी विशेष ख्याल रखें। कलश की स्थापना या तो उत्तर दिशा में या फिर पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए।
  • कलश स्थापना करने से पहले उस स्थान को अच्छे से साफ सफाई कर लें। वहां, पर गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद ही कलश की स्थापना करें।
  • कलश स्थापना के लिए चिकनी मिट्टी और रेतीली मिट्टी को फैला लें और अष्टदल बनाएं।
  • कलश में सप्त मृत्तिका, सुपारी, सिक्का, सुगंध, सर्व औषधी, कौड़ी, शहद, गंगाजल, पंच पल्लव, पीपल, आम बरगद, गूलर और पाखर के पल्लव यदि उपलब्ध न हो तो आम के पल्लव डाल लें।
  • लाल रंग के कपड़े में नारियल लपेटकर कलश के ऊपर रख दें।
    सिंदूर से कलश में स्वास्तिक लगाएं। कलश के ऊपर मिट्टी के बर्तन में धान या चावल डालकर उसके ऊपर ही नारियल स्थापित करें।
    पूजा के बाद वेदी के ऊपर जौं को बो दें।
चैत्र नवरात्रि 2024 तिथियां

पहला दिन – 9 अप्रैल 2024 (प्रतिपदा तिथि, घटस्थापना)—मां शैलपुत्री पूजा।

दूसरा दिन – 10 अप्रैल 2024 (द्वितीया तिथि)—मां ब्रह्मचारिणी पूजा।

तीसरा दिन – 11 अप्रैल 2024 (तृतीया तिथि)—मां चंद्रघण्टा पूजा

चौथा दिन – 12 अप्रैल 2024 (चतुर्थी तिथि)—मां कुष्मांडा पूजा

पांचवां दिन – 13 अप्रैल 2024 (पंचमी तिथि)—मां स्कंदमाता पूजा

छठा दिन – 14 अप्रैल 2024 (षष्ठी तिथि)—मां कात्यायनी पूजा

सांतवां दिन – 15 अप्रैल 2024 (सप्तमी तिथि)—मां कालरात्रि पूजा

आठवां दिन – 16 अप्रैल 2024 (अष्टमी तिथि)—मां महागौरी पूजा

नौवां दिन – 17 अप्रैल 2024 (नवमी तिथि)—मां सिद्धिदात्री पूजा, राम नवमी

 

चंबा : 30 दिन पहले रावी में छलांग लगाने वाली युवती का शव मिला, परिजनों का हंगामा
हिमाचल : पोस्ट कोड 1025, 1036 और 1072 के तहत आवेदन करने वाले दें ध्यान 

हिमाचल : 10 अप्रैल को सक्रिय हो सकता है पश्चिमी विक्षोभ, यह रहेगा असर
‘अली’ पर बयान देकर कानूनी पचड़े में फंसे बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री, मांगी माफी

पुराना स्मार्टफोन बेचते वक्त ध्यान रखें ये पांच बातें, फ्रॉड का शिकार होने से बचें
हिमाचल राज्यसभा चुनाव : पर्ची सिस्टम से रिजल्ट को चुनौती, हाईकोर्ट में याचिका दायर

HPPSC : HAS, तहसीलदार, जिला पंचायत अधिकारी के पदों का विस्तृत विज्ञापन जारी

महिलाएं घर बैठे कमाएं पैसा : मुफ्त सिलाई मशीन योजना का ऐसे उठाएं लाभ

हिमाचल के चंबा में आया भूकंप, मंडी और कांगड़ा में भी महसूस हुए झटके, 5.3 रही तीव्रता

हिमाचल : एक जून को राजपत्रित अवकाश घोषित, 19 अप्रैल, 20 और 25 मई को इन्हें छुट्टी
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हिमाचल : भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा ने नियुक्त कीं जिला प्रभारी और प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य

शिमला। हिमाचल भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष वंदना योगी ने जिला प्रभारियों व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्यों की घोषणा की है। चंबा जिला से सीमा चंदेश को प्रदेश सचिव नियुक्त किया गया है।

कांगड़ा से कांता ठाकुर को प्रदेश उपाध्यक्ष, नूरपुर से सोनिया बंटा को प्रदेश सह संयोजक सोशल मीडिया, देहरा से रजनी ठाकुर को प्रदेश सचिव, पालमपुर से पूनम कुमारी को प्रदेश आईटी सह संयोजक नियुक्त किया गया है।

HPBOSE : दसवीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं की अस्थाई डेटशीट जारी, यहां देखें

 

लाहौल स्पीति से वर्षा ठाकुर को प्रदेश सचिव, कुल्लू से अनीता गर्ग को प्रदेश प्रवक्ता सुंदरनगर से सुनीता कटोच को आईटी संयोजक, हमीरपुर से मीनाक्षी राणा को प्रदेश उपाध्यक्ष, ऊना से शीतल भारद्वाज को प्रदेश सचिव नियुक्त किया गया है।

बिलासपुर से सीमा ठाकुर को प्रदेश उपाध्यक्ष, सिरमौर से शकुंतला, सोलन से अनीता वर्मा के प्रदेश उपाध्यक्ष, महासू से शीतल व्यास को प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

हिमाचल में शिक्षक भर्ती को लेकर बड़ी अपडेट : HPPSC लेगा लिखित परीक्षा

 

शिमला से प्रतिभा कंवर को प्रदेश सचिव, मंडी से मनीषा सूद को प्रदेश सचिव औऱ किन्नौर से शशि मल्होत्रा को प्रदेश प्रवक्ता नियुक्त किया गया है।

इनके अलावा रितु शर्मा, चिन्नो देवी, सतिन्द्र कुमारी, निशा शर्मा, सुरेन्द्र कौर, मधु बाला, सरोज, उषा राणा, निधि गुलेरिया, किरण देवी, स्वर्णलता पटियाल, आशा शर्मा, कांता राण, वीना सिंह, वीना शर्मा, पुष्पा ठाकुर, संगीता को सदस्य नियुक्त किया।

HPPSC ने इन पदों के पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न को किया जारी-होंगे दो पेपर

 

 

नर्मदा जसवाल, नीलम, वंदना ठाकुर, वीणा ठाकुर, इंदु, भुवनेश्वरी लुम्बा, सुषमा, द्रोपदी, स्नेहलता, सुनीता ठाकुर, रजनी, प्रवीण छाजटा, अनु पौंड, सुरेन्द्र खाची, मंजूला सरैइक को सदस्य नियुक्त किया।

मंडी : सिक्योरिटी गार्ड के 120 पदों पर होगी भर्ती, जोगिंदर नगर में होंगे साक्षात्कार

 

मंजू सूद, निर्मला ठाकुर, कपिला, दीपाली जसवाल, रीमा राणा, रजनी देवी, रमा गुप्ता, अंजना रावत, सुनीता नेगी, रूबीना नेगी को भी प्रदेश कार्यसमिति सदस्य नियुक्त किया।

इस प्रकार कुल कार्यसमिति सदस्य 42 होंगे। भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्षा वंदना योगी ने बताया कि धन्नो देवी, राज कुमारी ठाकुर, अनिल कश्यप सूद, शुभ महाजन, मधु सूद और सुमन ठाकुर विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।

मुख्यमंत्री सुक्खू आज दिल्ली होंगे रवाना, फिर गुवाहटी और इंफाल की पकड़ेंगे राह 

 

 

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हिमाचल : भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा ने नियुक्त कीं जिला प्रभारी और प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य

कांगड़ा : सिक्योरिटी गार्ड व सुपरवाइजर के 150 पदों पर हो रही भर्ती, इंटरव्यू के लिए पहुंचें

मध्य प्रदेश में छाई सोलन की मां-बेटी : पहाड़ी और हरियाणवी डांस में जीते पदक
हिमाचल : पोस्ट कोड 981 स्क्रीनिंग टेस्ट की तिथि तय, सिलेबस और पैटर्न भी जारी

हिमाचल : पोस्ट कोड 981 स्क्रीनिंग टेस्ट की तिथि तय, सिलेबस और पैटर्न भी जारी

हरिपुर: बनेर खड्ड की दलदल में फंसा बारहसिंगा, सुरक्षित किया रेस्क्यू 

कांगड़ा : कुरुक्षेत्र के टूरिस्ट युवकों की करतूत, दुकानदार पर चाकू से हमला, टांडा में भर्ती

धर्मशाला : टिप्पर से टकराई बाइक, सकोह निवासी युवक की गई जान

हिमाचल में इलेक्ट्रीशियन, फिटर, प्लंबर, मल्टी पर्पस वर्कर के 9 हजार पदों पर होगी भर्ती

हिमाचल पुलिस कांस्टेबल भर्ती : RTC के बाद चार सप्ताह का होगा स्पेशल कमांडो कोर्स

कुल्लू में NHAI का इंजीनियर 50 हजार रिश्वत लेते धरा, NOC की एवज में मांगी थी राशि
हिमाचल में प्राइवेट जॉब के लिए eemis पोर्टल पर कैसे करें पंजीकरण और आवेदन-जानें
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कांगड़ा के BSF ASI प्रवीण सिंह की बड़ी उपलब्धि, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों मिला पुरस्कार

तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक कार्य अवार्ड से नवाजे

कांगड़ा। हिमाचल के कांगड़ा के बीएसएफ एएसआई प्रवीण सिंह को तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक कार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को उन्हें पुरस्कार प्रदान किया।

एएसआई प्रवीण सिंह का जन्म 25 दिसंबर 1975 को कांगड़ा जिला के देहरा उपमंडल की रक्कड़ पंचायत के सर गांव में हुआ। उन्होंने माउंट एवरेस्ट दो बार और माउंट कंचनजंगा सहित 20 से अधिक हिमालय चोटियों पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की है।

हिमाचल में शिक्षक भर्ती को लेकर बड़ी अपडेट : HPPSC लेगा लिखित परीक्षा

 

माउंट भागीरथ 2 पर बीएसएफ पैरा-पर्वतारोहण अभियान के दौरान, उन्होंने अपनी रस्सी में 2 पैरा पर्वतारोहियों का समर्थन किया।

उन्होंने सीएपीएफ, एनटीआरओ, एनईपीए, म्यांमार पुलिस आदि के 3000 से अधिक प्रशिक्षुओं को उच्च ऊंचाई वाली भूमि साहसिक प्रशिक्षण दिया है।

हमीरपुर : ITBP जवान दीपेश की सड़क हादसे में गई जान- डेढ़ माह पहले हुई थी शादी

 

उन्होंने 2003 में केदारनाथ में आपदा के दौरान कालीमठ घाटी में बीएसएफ राहत और पुनर्वास मिशन में सक्रिय रूप से भाग लिया था।

2015 में उन्होंने बीएसएफ स्वर्ण जयंती माउंटेन टेरेन बाइक, स्वच्छ भारत, स्वच्छ हिमालय, स्वच्छ गंगा कैंपिंग के लिए दिल्ली से गंगोत्री तक साइकिलिंग अभियान सफलतापूर्वक पूरा किया। उन्हें डीजी बीएसएफ ने 6 बार प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था।

उनकी निरंतर प्रतिबद्धता, महत्वपूर्ण योगदान और साहस की बेजोड़ भावना के चलते प्रवीण सिंह को तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया है।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रवीण सिंह को तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार 2022 से सम्मानित होने पर बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि साहसिक खेलों में प्रवीण की उल्लेखनीय उपलब्धियां दूसरे लोगों के लिए प्रेरक हैं और सभी को कड़ी मेहनत तथा समर्पण के बल पर अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

हिमाचल में खाकी दागदार : 20 हजार रिश्वत लेते धरा पुलिस अधिकारी-निलंबित

UGC Net December 2023 रिजल्ट को लेकर बड़ी अपडेट, कल नहीं होगा घोषित

 

 

हिमाचल : तीन मंत्रियों से लेकर राजेश धर्माणी, यादविंदर गोमा को सौंपे विभाग

हमीरपुर : ITBP जवान दीपेश की सड़क हादसे में गई जान- डेढ़ माह पहले हुई थी शादी

 

शिमला : जुब्बल में बड़ा हादसा-नाले में गिरी कार, 4 की गई जान, रिश्ते में पति-पत्नी

हिमाचल पुलिस कांस्टेबल भर्ती : RTC के बाद चार सप्ताह का होगा स्पेशल कमांडो कोर्स

वायु सेना अग्निवीर भर्ती, वोकेशनल कोर्स करने वाले युवा भी होंगे पात्र-जानें डिटेल 

शरीर की सारी नसें पलभर में खोल देगा ये घरेलु उपाय, माइग्रेन में भी मिलेगी राहत
HPCU सहित 6 यूनिवर्सिटी में नॉन टीचिंग भर्ती, परीक्षा योजना जारी

Job Alert कांगड़ा : सुरक्षा गार्ड-सुरक्षा सुपरवाइजर के 150 पदों पर भर्ती, 19500 तक वेतन

हिमाचल : पर्यटन होटलों व विश्राम गृहों को लेकर बड़ी अपडेट-मुख्यमंत्री के निर्देश
सोलन : बेरोजगार युवाओं के लिए नौकरी का मौका, 11250 से लेकर 45 हजार तक सैलरी

मंडी में सिक्योरिटी गार्ड के 120 पदों के लिए होंगे साक्षात्कार, कहां होंगे डिटेल में जानें
हिमाचल में लेक्चरर स्कूल न्यू भर्ती के लिए पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न जारी

हिमाचल में इलेक्ट्रीशियन, फिटर, प्लंबर, मल्टी पर्पस वर्कर के 9 हजार पदों पर होगी भर्ती
चंबा : सिक्योरिटी गार्ड, सुपरवाइजर व HR के 274 पदों पर भर्ती, इंटरव्यू शुरू

हिमाचल में प्राइवेट जॉब के लिए eemis पोर्टल पर कैसे करें पंजीकरण और आवेदन-जानें