सरकार संविधान और संसद का का कर रही है अपमान
शिमला। हिमाचल के सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय ने राज्य सरकार से केंद्रीय कानून को जल्द लागू करने की मांग की है। हाटी विकास मंच ने सरकार को दिवाली तक का अल्टीमेटम दिया है।
दिवाली तक अगर एसटी दर्जे को लेकर कानून लागू नहीं किया गया तो हाटी सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।
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हाटी विकास मंच के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप सिंगटा, मुख्य प्रवक्ता रमेश सिंगटा आदि ने शिमला में पत्रकार वार्ता कर प्रदेश की कांग्रेस सरकार को चेताया है। प्रदीप सिंगटा और रमेश सिंगटा ने कहा कि प्रदेश सरकार जानबूझकर कर सिरमौर जिला के हाटी समुदाय को जनजाति दर्जा देने को लेकर बने कानून को लागू करने में देरी कर रही है।
सरकार संविधान और संसद का अपमान कर रही है। वे मुख्यमंत्री से भी मिले, लेकिन अब बातचीत का दौर खत्म हुआ। अब हाटी समुदाय सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरेगा।
उन्होंने कहा कि हाटी समुदाय सरकार को दिवाली तक का समय देता है, अगर दिवाली तक यह कानून लागू नहीं किया जाता है तो हाटी समुदाय सड़कों पर उतरेगा और महामहिम का दरवाजा खटखटाएगा।
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प्रदीप सिंगटा और रमेश सिंगटा ने कहा कि एससी समुदाय अगर एसटी का हिस्सा नहीं बनना चाहता है तो उनकी इच्छा है और हाटी समुदाय को इसमें कोई आपत्ति नहीं है।
मगर सरकार जिन लोगों को केंद्र सरकार की ओर से यह सौगात दी गई है, उनके लिए जल्द से जल्द कानून को लागू करें, ताकि लाभार्थी व्यक्ति भी इसका लाभ उठा सकें।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के ट्रांस गिरिपार इलाके के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया। इसको लेकर पहले संसद के दोनों सदनों से बिल पास हुआ, जिसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षरों के बाद हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की अधिसूचना जारी हुई।
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वहीं, इस क्षेत्र में रहने वाले अनुसूचित जाति के लोगों ने इसको लेकर आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की। जिसको लेकर मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने सुनवाई की और केंद्र व हिमाचल प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर को होनी है।
वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार में उद्योग मंत्री और सिरमौर से विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि राष्ट्रपति की अधिसूचना के बाद ट्रांस गिरिपार के जनजातीय समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है, लेकिन इसमें एक बड़ी समस्या यह है कि राष्ट्रपति और अंडर सेक्रेटरी की अधिसूचना में अंतर है।
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उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की अधिसूचना में गिरिपार क्षेत्र के सभी लोगों को एसटी के दर्जे में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि अब ऐसे में दोनों अधिसूचनाओं में अंतर है और राष्ट्रपति की अधिसूचना अंतिम मानी जाती है, लिहाजा इस क्षेत्र में कई लोग जो अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं, वे एसटी (ST) कैटेगरी का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं।
इन लोगों की ओर से हाईकोर्ट में सिविल याचिका भी दाखिल की गई है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के अनुसूचित जाति के लोगों की मांग जायज है, ऐसे में अब प्रदेश सरकार केंद्र को एक पत्र लिखेगी, जिसमें केंद्र से इस बाबत स्पष्टीकरण मांगा जाएगा कि किस अधिसूचना को सही माना जाए।
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