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चैत्र नवरात्र शुरू : कब और कैसे करें कलश स्थापना, जानें शुभ मुहूर्त व विधि

चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल यानी मंगलवार से शुरू हैं। हिंदू धर्म में नवरात्र का बड़ा महत्व है। नवरात्र के 9 दिन माता रानी के भक्त व्रत रखते हैं और मां की पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अलावा नवरात्र के ये पावन दिन शुभ कार्यों के लिए बेहद ही उत्तम माने जाते हैं।

इन दिनों बिना कोई मुहूर्त देखे कई शुभ कार्य किए जाते हैं। नवरात्र में लोग घर में कलश की स्थापना करते हैं और नौ दिनों तक अखंड ज्योति भी जलाते हैं।

माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर चैत्र नवरात्र मेले, बिना पर्ची नहीं हो सकेंगे दर्शन

 

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। इस साल चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को देर रात 11:50 बजे से शुरू होकर 9 अप्रैल को संध्याकाल 08:30 पर समाप्त होगी।

हिंदू धर्म में उदया तिथि मान है, इसलिए 9 अप्रैल को घटस्थापना या कलश स्थापना है। इस साल नवरात्र का आरंभ 9 अप्रैल मंगलवार से हो रहा है।

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घटस्थापना या कलश स्थापना का समय

9 अप्रैल को घटस्थापना या कलश स्थापना समय सुबह 06 बजकर 02 मिनट से लेकर 10 बजकर 16 मिनट तक है।

इसके अलावा 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है। इन दोनों मुहूर्त में घटस्थापना की जा सकती है।

चैत्र नवरात्र के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है।

‘इस दिन अमृत और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण सुबह 07: 32 से हो रहा है। ये दोनों योग संध्याकाल 05:06 बजे तक है।

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ऐसे करें कलश स्थापना
  • कलश स्थापना करने के लिए सबसे पहले पूजा घर को अच्छी तरह से साफ कर लें
  • इसके बाद एक मिट्टी का बर्तन लें और उसमें साफ मिट्टी रखें
  • अब इसमें कुछ जौ के दाने बो दें और उन पर पानी का छिड़काव करें
  • अब इस मिट्टी के कलश को पूजा घर या जहां पर माता की चौकी हो, वहां इस कलश स्थापित कर दें
  • कलश स्थापना करते और पूजा के समय अर्गला स्तोत्र का पाठ अवश्य करें
  • इसके बाद उस कलश में जल, अक्षत और कुछ सिक्के डालें और ढककर रख दें
  • इस कलश पर स्वास्तिक जरूर बनाएं और फिर कलश को मिट्टी के ढक्कन से ढक दें
  • इसके बाद दीप-धूप जलाएं और कलश की पूजा करें
कलश स्थापना मंत्र

ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:।
पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।
ओम वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्काभसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमा सीद।

घटस्थापना में रखें इन बातों का विशेष ध्यान
  • शास्त्रों के अनुसार, कलश स्थापना या घटस्थापना में हमेशा सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी से बने कलश का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पूजा के लिए लोहे के कलश या स्टील से बने कलश का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • कलश की स्थापना के दौरान दिशा का भी विशेष ख्याल रखें। कलश की स्थापना या तो उत्तर दिशा में या फिर पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए।
  • कलश स्थापना करने से पहले उस स्थान को अच्छे से साफ सफाई कर लें। वहां, पर गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद ही कलश की स्थापना करें।
  • कलश स्थापना के लिए चिकनी मिट्टी और रेतीली मिट्टी को फैला लें और अष्टदल बनाएं।
  • कलश में सप्त मृत्तिका, सुपारी, सिक्का, सुगंध, सर्व औषधी, कौड़ी, शहद, गंगाजल, पंच पल्लव, पीपल, आम बरगद, गूलर और पाखर के पल्लव यदि उपलब्ध न हो तो आम के पल्लव डाल लें।
  • लाल रंग के कपड़े में नारियल लपेटकर कलश के ऊपर रख दें।
    सिंदूर से कलश में स्वास्तिक लगाएं। कलश के ऊपर मिट्टी के बर्तन में धान या चावल डालकर उसके ऊपर ही नारियल स्थापित करें।
    पूजा के बाद वेदी के ऊपर जौं को बो दें।
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चैत्र नवरात्र 2024 की तिथियां

पहला दिन – 9 अप्रैल 2024 (प्रतिपदा तिथि, घटस्थापना)—मां शैलपुत्री पूजा।

दूसरा दिन – 10 अप्रैल 2024 (द्वितीया तिथि)—मां ब्रह्मचारिणी पूजा।

तीसरा दिन – 11 अप्रैल 2024 (तृतीया तिथि)—मां चंद्रघण्टा पूजा

चौथा दिन – 12 अप्रैल 2024 (चतुर्थी तिथि)—मां कुष्मांडा पूजा

पांचवां दिन – 13 अप्रैल 2024 (पंचमी तिथि)—मां स्कंदमाता पूजा

छठा दिन – 14 अप्रैल 2024 (षष्ठी तिथि)—मां कात्यायनी पूजा

सांतवां दिन – 15 अप्रैल 2024 (सप्तमी तिथि)—मां कालरात्रि पूजा

आठवां दिन – 16 अप्रैल 2024 (अष्टमी तिथि)—मां महागौरी पूजा

नौवां दिन – 17 अप्रैल 2024 (नवमी तिथि)—मां सिद्धिदात्री पूजा, राम नवमी

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चैत्र नवरात्र हो रहे शुरू : जान लें कलश स्थापना शुभ मुहूर्त और विधि

चैत्र नवरात्र शुरू होने वाले हैं। हिंदू धर्म में नवरात्र का बड़ा महत्व है। नवरात्र के 9 दिन माता रानी के भक्त व्रत रखते हैं और मां की पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अलावा नवरात्र के ये पावन दिन शुभ कार्यों के लिए बेहद ही उत्तम माने जाते हैं।

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घटस्थापना या कलश स्थापना का समय

9 अप्रैल को घटस्थापना या कलश स्थापना समय सुबह 06 बजकर 02 मिनट से लेकर 10 बजकर 16 मिनट तक है।

इसके अलावा 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है। इन दोनों मुहूर्त में घटस्थापना की जा सकती है।

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। ‘इस दिन अमृत और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण सुबह 07: 32 से हो रहा है। ये दोनों योग संध्याकाल 05:06 बजे तक है।

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  • कलश स्थापना करने के लिए सबसे पहले पूजा घर को अच्छी तरह से साफ कर लें
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  • अब इसमें कुछ जौ के दाने बो दें और उन पर पानी का छिड़काव करें
  • अब इस मिट्टी के कलश को पूजा घर या जहां पर माता की चौकी हो, वहां इस कलश स्थापित कर दें
  • कलश स्थापना करते और पूजा के समय अर्गला स्तोत्र का पाठ अवश्य करें
  • इसके बाद उस कलश में जल, अक्षत और कुछ सिक्के डालें और ढककर रख दें
  • इस कलश पर स्वास्तिक जरूर बनाएं और फिर कलश को मिट्टी के ढक्कन से ढक दें
  • इसके बाद दीप-धूप जलाएं और कलश की पूजा करें
कलश स्थापना मंत्र

ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:।
पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।
ओम वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्काभसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमा सीद।

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  • शास्त्रों के अनुसार, कलश स्थापना या घटस्थापना में हमेशा सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी से बने कलश का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पूजा के लिए लोहे के कलश या स्टील से बने कलश का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
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  • कलश स्थापना के लिए चिकनी मिट्टी और रेतीली मिट्टी को फैला लें और अष्टदल बनाएं।
  • कलश में सप्त मृत्तिका, सुपारी, सिक्का, सुगंध, सर्व औषधी, कौड़ी, शहद, गंगाजल, पंच पल्लव, पीपल, आम बरगद, गूलर और पाखर के पल्लव यदि उपलब्ध न हो तो आम के पल्लव डाल लें।
  • लाल रंग के कपड़े में नारियल लपेटकर कलश के ऊपर रख दें।
    सिंदूर से कलश में स्वास्तिक लगाएं। कलश के ऊपर मिट्टी के बर्तन में धान या चावल डालकर उसके ऊपर ही नारियल स्थापित करें।
    पूजा के बाद वेदी के ऊपर जौं को बो दें।
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पहला दिन – 9 अप्रैल 2024 (प्रतिपदा तिथि, घटस्थापना)—मां शैलपुत्री पूजा।

दूसरा दिन – 10 अप्रैल 2024 (द्वितीया तिथि)—मां ब्रह्मचारिणी पूजा।

तीसरा दिन – 11 अप्रैल 2024 (तृतीया तिथि)—मां चंद्रघण्टा पूजा

चौथा दिन – 12 अप्रैल 2024 (चतुर्थी तिथि)—मां कुष्मांडा पूजा

पांचवां दिन – 13 अप्रैल 2024 (पंचमी तिथि)—मां स्कंदमाता पूजा

छठा दिन – 14 अप्रैल 2024 (षष्ठी तिथि)—मां कात्यायनी पूजा

सांतवां दिन – 15 अप्रैल 2024 (सप्तमी तिथि)—मां कालरात्रि पूजा

आठवां दिन – 16 अप्रैल 2024 (अष्टमी तिथि)—मां महागौरी पूजा

नौवां दिन – 17 अप्रैल 2024 (नवमी तिथि)—मां सिद्धिदात्री पूजा, राम नवमी

 

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माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर चैत्र नवरात्र मेले, बिना पर्ची नहीं हो सकेंगे दर्शन

डीसी ने धारा 144 के तहत आदेश किए जारी

ऊना। माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर में चैत्र नवरात्र मेले के दौरान लोगों की सुविधा और सुचारू कानून व्यवस्था के लिए 9 से 17 अप्रैल तक विशेष व्यवस्था लागू रहेगी।

इसे लेकर जिला दंडाधिकारी जतिन लाल ने धारा 144 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए आदेश जारी किए हैं।

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जारी आदेश के मुताबिक मेले के दौरान कानून व्यवस्था में तैनात जवानों को छोड़कर किसी भी व्यक्ति द्वारा हथियार लेकर चलने पर पूर्ण पाबंदी रहेगी।

डीसी ने कहा कि मेलावधि के दौरान माता श्री चिंतपूर्णी जी के दर्शानार्थ बनाए गए पंजीकरण काउंटर पर पर्ची लेना अनिवार्य रहेगा। श्रद्धालु बिना पर्ची माता श्री चिंतपूर्णी जी के दर्शन नहीं कर सकेंगे।

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जतिन ने बताया कि नवरात्र के दौरान ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए मंदिर न्यास को छोडकर अन्यों द्वारा लाऊड स्पीकर के इस्तेमाल करने पर पूर्ण मनाही रहेगी।

मेले के दौरान ब्रॉस बैंड, ड्रम, लंबे चिमटे इत्यादि के लाने पर भी पूर्ण पाबंदी रहेगी। यदि कोई व्यक्ति इन वस्तुओं को अपने साथ लाता है तो उन्हें पुलिस द्वारा स्थापित बैरियर पर ही जमा करवाना होगा।

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साथ ही इस दौरान पॉलीथीन के इस्तेमाल पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। खुले में और सड़क किनारे लंगर लगाने पर भी प्रतिबंध रहेगा और आतिशबाजी इत्यादि की भी अनुमति नहीं होगी।

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प्रथम चैत्र नवरात्र : काली बाड़ी मंदिर शिमला में उमड़ा भक्तों का सैलाब

मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना कर लिया आशीर्वाद

शिमला। चैत्र नवरात्र की शुरुआत आज से हो गई है। 22 से 30 मार्च तक चलने वाले नवरात्र में भक्त मां के नौ रूपों की पूजा-अर्चना करेंगे। पहले नवरात्र पर हिमाचल प्रदेश के शक्तिपीठों में सुबह से ही भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिली।

माता चिंतपूर्णी मंदिर चैत्र नवरात्र मेले, इन पर रहेगी पाबंदी-पढ़ें

राजधानी शिमला के प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर में भी भक्त शीश नवाने पहुंच रहे हैं। पहले दिन मां के शैलपुत्री रूप की पूजा-अर्चना की गई। मान्यता है कि नौ दिन मां के नौ रूपों की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की मन की मुराद पूरी होती है और घर परिवार में सुख-शांति आती है।

 

सुक्खू सरकार ने बदले IPS और HPS, अभिषेक होंगे DIG नार्दन रेंज धर्मशाला

कालीबाड़ी मंदिर के पुजारी मुक्ति चक्रवर्ती ने बताया कि सूर्य के उत्तरायण के समय जो नवरात्र होते हैं उन्हें चैत्र नवरात्र कहा जाता है। नौ दिन माता रानी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है मां भक्तों की आराधना से प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान देती हैं। पुजारी मुक्ति चक्रवर्ती ने बताया कि चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जा रही है। सभी इन नवरात्र में अपने प्रदेश देश की उन्नति और शांति के लिए प्रार्थना जरूर करें।

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