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हिमाचल में मौसम की बेरुखी ने चिंता में डाला, काफी कम हुई बारिश

मार्च में भी बारिश की कोई ज्यादा संभावना नहीं

शिमला। हिमाचल में इस बार जनवरी, फरवरी में कम बारिश और फरवरी में ही गर्मी के आलम ने सबको हैरान कर दिया है, साथ ही चिंता भी बढ़ा दी है। मार्च माह में भी राहत नहीं मिलने की संभावना है। ऐसे में आगे गर्मियों में सूखे की स्थिति से दो चार होना पड़ सकता है। सबसे अधिक समस्या पेयजल की आ सकती है।

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बता दें कि हिमाचल में बीते 36 घंटों के दौरान कई क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी रिकॉर्ड की गई है। इस दौरान लाहौल स्पीति, कुल्लू, किन्नौर की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी व निचले हिस्सों में हल्की बारिश की फुहारें पड़ी हैं। प्रदेश में आगामी 48 घंटों तक मौसम खराब बने रहने की संभावना है।

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मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि इस बार जनवरी और फरवरी महीने में काफी कम बारिश हुई है। इसके अलावा फरवरी महीने में तापमान ने कई साल के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। जनवरी माह की बात की जाए तो फरवरी में ज्यादा सूखे वाली स्थिति है। 1 जनवरी से 28 फरवरी तक 2 महीने में सामान्य से 187.1 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार 117 मिलीमीटर बारिश ही रिकॉर्ड की गई है।

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इस बार सोलन जिले में सबसे ज्यादा सूखे वाली स्थिति बनी हुई है। यहां सामान्य से 68 फीसदी कम बारिश हुई है। सुरेंद्र पॉल ने कहा कि प्रदेश में बारिश कम होने का कारण पश्चिमी विक्षोभ का कमजोर होना है। इस बार पश्चिमी विक्षोभ काफी कमजोर पड़ गए थे, जिसके चलते ना तो बर्फबारी हुई और ना ही बारिश हुई है। मार्च में भी बारिश की कोई ज्यादा संभावना नहीं हैं, जिससे कोई बड़ी राहत मिल सके।

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इस बार बर्फ के लिए तरसी ‘पहाड़ों की रानी’, पर्यटकों-व्यवसायियों के हाथ लगी निराशा

पिछले 10 सालों में सबसे कम दर्ज हुई हुई बारिश-बर्फबारी

हिमाचल में इस बार सर्दियों में मौसम की बेरुखी देखने को मिली है। विंटर सीजन में बर्फ से लदी रहने वाली पहाड़ों की रानी इस बार बर्फ के लिए तरस गई। शिमला के ऊंचे पहाड़ों पर तो बर्फबारी हुई लेकिन शिमला के रिज मालरोड़ की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाली बर्फ की सफेद चादर नहीं बिछी और अब आधी फरवरी बीत जाने के बाद इसकी उम्मीद भी नहीं की जा सकती है।

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शिमला में बर्फ को देखने के लिए देश भर से पर्यटक शिमला पहुंचते हैं लेकिन इस बार पर्यटकों के साथ ही पर्यटन से जुड़े लोगों को भी बर्फबारी के सीजन में निराशा ही हाथ लगी। जो पर्यटक बर्फ के लिए शिमला आते थे उन्होंने इस बार कुल्लू,मनाली व शिमला के ऊपरी क्षेत्र कुफरी नारकंडा जाने में दिलचस्पी दिखाई जिससे जिन लोगों की रोजी रोटी सीधे पर्यटन से जुड़ी है उन्हें नुकसान झेलना पड़ा। जिससे टूर एंड ट्रेवल, होटल, रिज पर घोड़ों की सवारी कराने वालों, और फोटो खींचकर परिवार चलाने वालों के साथ गर्म कपड़ों के दुकानदारों निराशा हाथ लगी।

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इन लोगों का कहना है कि शिमला में नवंबर के अंत में बर्फबारी शुरू हो जाया करती थी लेकिन इस बार मौसम ने बेरुखी ही दिखाई। बर्फ न पड़ने से जो पर्यटक बर्फ को निहारने शिमला पहुंचते थे वे बर्फ को देखने कुफरी नारकंडा के साथ ही कुल्लू मनाली की और जा रहे हैं जिससे जिस तरह उनका कारोबार चलता था वह इस बार उतना नहीं चल पाया है।

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आमतौर पर दिसंबर-जनवरी में बर्फ से लकदक रहने वाले पहाड़, कुदरत की सफेद चांदी का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि राज्य के अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फ गिरी, लेकिन कम ऊंचाई वाले हिल स्टेशन इस बार पर्यटकों को मायूस कर रहे हैं। हाड़ कंपाती सर्दियों के सीजन में अब गर्माहट का एहसास होने लगा।

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मौसम विज्ञानियों के अनुसार वर्ष 2016 के बाद शिमला में इस बार मौसम का मिजाज इतना गर्म रहा। इस बार सर्दियों के सीजन में यहां पिछले 10 सालों में सबसे कम बारिश हुई और बर्फ भी कम गिरी है। इस बार दिसंबर और जनवरी में कंपकपाती ठंड नहीं, बल्कि कई सालों की अपेक्षा तापमान अधिक रिकॉर्ड किया गया। वर्ष 2021 में जहां ठंड ने 5 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा था। वहीं, 2022 के दिसंबर और 2023 के जनवरी महीने में तापमान काफी हाई रहा। वर्ष 2016 में दिसंबर-जनवरी में अधिकतम तापमान 15-22 डिग्री सेल्सियस तक रहा। साल 2017 में यह 13-21 डिग्री था।

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