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कांगड़ा जिला के बलिदानी अरविंद की पत्नी को मिलेगी सरकारी नौकरी

कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार चौधरी ने दिया आश्वासन

पालमपुर। जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के कंडी इलाके में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में बलिदानी नायक अरविंद कुमार कुमार का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार पैतृक बालकोट शमशान घाट में किया गया। बलिदानी के भाई भूपिंदर कुमार ने उन्हें मुखाग्नि दी।  कांगड़ा जिले के सुलह के सूरी (मरहूं) इलाके के बलिदानी अरविंद कुमार का पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक गांव लाया गया।

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मुख्यमंत्री की ओर से कृषि एवं पशुपालन मंत्री चौधरी चंद्र कुमार  ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। मुख्य संसदीय सचिव शहरी विकास एवं शिक्षा आशीष बुटेल, सुलाह के विधायक विपिन सिंह परमार, हिमाचल प्रदेश कृषि विकास बैंक के अध्यक्ष संजय चौहान, पूर्व विधायक जगजीवन पॉल, डीसी डॉ निपुण जिंदल, एसपी शालिनी अग्निहोत्री आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित की। सेना की ओर से डिप्टी जीओसी ब्रिगेडियर एमएस बैंस, कर्नल एमएस रावत कर्नल आशुतोष कर्नल शैलभ सहित सैन्य अधिकारियों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।

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कृषि एवं पशुपालन मंत्री चौधरी चंद्र कुमार, सीपीएम आशीष बुटेल हिमाचल प्रदेश कृषि विकास बैंक के अध्यक्ष संजय चौहान ने बलिदानी अरविंद कुमार के घर में उसके परिजनों से भेंट कर घटना पर गहरा दुख जताया और शोक संतप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। कृषि मंत्री ने कहा कि दुख की इस घड़ी में प्रदेश सरकार परिवार के साथ है। उन्होंने सरकार की और से हर संभव सहयोग की बात कही।

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उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार बलिदानी की पत्नी को सरकारी क्षेत्र में नौकरी देने का आश्वासन दिया और राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मरहूं का नामांकरण बलिदानी अरविंद के नाम पर करने की बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से राहत के रूप में 5 लाख परिवार को एसडीएम के माध्यम से उपलब्ध करवा दिया गया है। उन्होंने राजौरी में आतंकवादियों से मुठभेड़ में बलिदान हुए सेना के सभी जवानों के बलिदान पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि देश उनके सर्वोच्च बलिदान को हमेशा याद रखेगा।

 

इससे पहले आज सुबह बलिदानी अरविंद कुमार की पार्थिव देह पैतृक गांव पहुंची। जैसे ही पार्थिव देह घर पहुंची तो चारों ओर चीख पुकार मच गई। पालमपुर के होल्टा मिलिट्री स्टेशन से पार्थिव देह मरहूं के चटियाला लाई गई। उस समय भारी बारिश हो रही थी। ऐसा लग रहा था मानो शहीद की शहादत पर आसमां भी रो रहा है।

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बलिदानी की पत्नी बिंदू देवी ने लाल जोड़े में पति को अंतिम विदाई दी। इसी लाल जोड़े में अरविंद उसे ब्याह कर लाए थे और आज उसी लाल जोड़े में पत्नी ने अपने शहीद पति को आंखों में आंसू के साथ अंतिम विदाई दी। माता निर्मला देवी को अपने बेटे की शहादत पर गर्व तो है पर अपने लाडले के चले जाने का दुख भी बहुत है। माता निर्मला देवी का भी रो-रोकर बुरा हाल था।

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बलिदानी अरविंद के पिता उज्ज्वल सिंह लोक निर्माण विभाग से करीब आठ साल पहले रिटायर हुए थे। रिटायरमेंट के 2 साल बाद वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे और उनकी याददाश्त चली गई। अरविंद ने अपने पिता के इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी और सेना के कई अस्पतालों में उनका इलाज करवाया। ऐसे में वह अपने बेटे की शहादत से अंजान हैं। वह भीड़ को देखकर बस टकटकी लगाए हुए थे।

पिता उज्जवल सिंह इस बात से अंजान से थे कि आखिर यहां हो क्या रहा है। अरविंद की शादी सुलह के साथ लगते गांव पनतेहड़ में लगभग पांच साल पहले हुई थी। शहीद अरविंद की दो बेटियां हैं। इनमें शानमिता चार और छोटी बेटी शानविका दो साल की है। अरविंद की एक बहन भी है।

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