हादसे में 13 लोगों के शव हुए हैं बरामद
शिमला। राजधानी शिमला के समरहिल में बीते सोमवार को बड़ा हादसा पेश आया। मंदिर पर लैंडस्लाइड होने से पूजा करने गए काफी लोग मलबे में दब गए। इनमें से 13 के शव बरामद कर लिए गए हैं। बाकी की तलाश को सर्च ऑपरेशन जारी है। वहीं, पूर्व डिप्टी एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट के वकील विनय शर्मा ने आपदा प्रबंधन की पोल खोली है।
अगर अधिवक्ता विनय शर्मा के आरोप सही हैं तो यह काफी चिंतनीय विषय है। क्योंकि मॉक ड्रिल से वास्तविकता काफी भयानक और पीड़ादायक होती है। अपनों की जिंदगी बचाने के लिए लोगों पर एक-एक पल भारी पड़ता है। थोड़ी जल्दी किसी जिंदगी को बचा सकती है और देरी छीन सकती है। ऐसे में हमें आपदा प्रबंधन को और मजबूत करना होगा। इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे। हमारा इस खबर का मकसद किसी की आलोचना या किसी का मनोबल कम करना नहीं है।
बल्कि अगर कोई कमी हो तो भविष्य के लिए उन्हें दूर करना है। क्योंकि प्राकृतिक आपदाओं को किसी भी कवच से रोका नहीं जा सकता है। यह कहां और किस रूप में आएंगी मनुष्य को कुछ पता नहीं।
हाईकोर्ट के अधिकवक्ता विनय शर्मा ने क्या आरोप लगाए हैं, आपको बताते हैं। उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट डालकर लिखा कि शिमला के समर हिल स्थित शिव मंदिर में सावन महीने के आखिरी सोमवार को सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर भोलेनाथ की पूजा कर रहे 30-35 लोग, जिनमें हमारे हाईकोर्ट के युवा वकील भाई हरीश वर्मा और उनकी पत्नी, उनके मकान मालिक के परिवार के 7 लोग, यूनिवर्सिटी में मैथ के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट, उनकी पत्नी और बेटा सहित काफी लोग, अचानक हुए लैंड स्लाइड की चपेट में आ गए।
आसपास के लोग रेस्क्यू के लिए दौड़े। खुद अपने हाथों से मलबा हटाकर रोते बिलखते लोग अपनों को खोज रहे थे। एक घंटे बाद लोकल आर्मी की यूनिट ने रेस्क्यू की कमान संभाली और घटना के दो घंटे बाद आपदा प्रबंधन वाले पहुंचे, वो भी खाली हाथ।
बदइंतजामी के हाल यह थे कि वहां गिरे पेड़ों को काटने के लिए लोगों ने अपने कटर दिए तब पेड़ कटे। मलबा हटाने के लिए जेसीबी पांच घंटे बाद पहुंची। कई जाने तो इसलिए चली गई कि रेस्क्यू ढंग से हुआ ही नहीं। किसी को बचाना तो दूर की बात 30 घंटे बाद भी 15-20 लोग मलबे में दबे पड़े हैं।
फिर किसलिए और किसके लिए बनाया गया आपदा प्रबंधन बोर्ड ? हर दूसरे दिन यह लोग स्कूल यूनिवर्सिटी, कॉलेज, हॉस्पिटल और सड़कों पर मॉक ड्रिल कर रहे होते हैं और आपदा के टाइम यह लोग राजधानी में दो घंटे बाद पहुंच रहे हैं, तो बाकी जगह क्या हाल होंगे ?