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जाखू रोपवे पर मॉक ड्रिल : ट्रॉली से तीन पर्यटकों को किया रेस्क्यू

समर्थ अभियान के तहत अभ्यास किया आयोजित

शिमला। आपदा प्रबंधन के तहत जिला प्रशासन द्वारा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ होमगार्ड तथा विभिन्न विभागों के सहयोग से समर्थ अभियान के तहत आज जाखू रोपवे पर मॉक अभ्यास आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (प्रोटोकॉल) ज्योति राणा ने की।

संयुक्त रूप से चलाए गए मॉक अभ्यास के दौरान लगभग सौ मीटर की ऊंचाई से रोपवे ट्रॉली से तीन पर्यटकों को सुरक्षित जमीन पर रेस्क्यू गया, जिसमें एक पर्यटक को कुर्सी पर बैठकर जबकि दो पर्यटकों को फुल सीट हार्नेस के माध्यम से जमीन पर सुरक्षित उतारा गया।

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इस अवसर पर ज्योति राणा ने बताया कि समर्थ अभियान के तहत इस मॉक अभ्यास को जाखू रोपवे में आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य किसी भी आपात स्थिति में पर्यटकों को रोपवे ट्रॉली से सुरक्षित जमीन पर रेस्क्यू करना है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों परवाणू रोपवे में संचालन में दिक्कत या रुकावट आने के कारण कुछ पर्यटक रोपवे ट्रॉली में फंस गए थे, जिन्हें काफी कोशिशों के बाद सुरक्षित निकाला गया था।

ऐसी दिक्कत या रूकावट भविष्य में यदि जाखू रोपवे में आती है तो उससे निपटने के लिए यह मॉक अभ्यास किया गया है, ताकि आपातकालीन स्थिति के दौरान शीघ्र अति शीघ्र पर्यटकों को सुरक्षित निकाला जा सके। उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन के तहत बहुत सी गतिविधियों के मॉक अभ्यास की प्रक्रिया जारी है, जिसमें से यह प्रक्रिया भी एक है।

जगसन कंपनी जिन्होंने इस रोपवे का निर्माण किया है उसके प्रबंधक मदन शर्मा ने बताया कि जिला प्रशासन के निर्देश पर यह मॉक अभ्यास यहां चलाया गया है। उन्होंने बताया कि 10 अप्रैल 2017 से यह रोपवे संचालित है, जिसका निरीक्षण लोक निर्माण विभाग की मैकेनिकल विंग द्वारा हर महीने किया जाता है, लेकिन पर्यटकों की सुरक्षा के दृष्टिगत कंपनी के इंजीनियर प्रतिदिन रोपवे के संचालन से पहले रोपवे मोटर व अन्य सभी कल पुर्जों को चेक कर रिर्पोट सौंपते हैं, उसके उपरान्त ही रोपवे चलाने की प्रक्रिया आरंभ भी जाती है।

उन्होंने कहा कि रोपवे की कुल लम्बाई 410 मीटर है और रोपवे संचालन के दौरान बिजली गुल होने पर 250 किलोवाट का जनरेटर बैकअप सिस्टम के तौर पर कार्य करता है और यदि जनरेटर में भी खराबी आ जाए तो दूसरे बैकअप सिस्टर रेस्क्यू इंजन पर मोटर ऑटोमेटिक शिफ्ट हो जाती है ।

 

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Video : शिमला समर हिल लैंडस्लाइड, हाईकोर्ट के वकील ने आपदा प्रबंधन की खोली पोल

हादसे में 13 लोगों के शव हुए हैं बरामद

शिमला। राजधानी शिमला के समरहिल में बीते सोमवार को बड़ा हादसा पेश आया। मंदिर पर लैंडस्लाइड होने से पूजा करने गए काफी लोग मलबे में दब गए। इनमें से 13 के शव बरामद कर लिए गए हैं। बाकी की तलाश को सर्च ऑपरेशन जारी है। वहीं, पूर्व डिप्टी एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट के वकील विनय शर्मा ने आपदा प्रबंधन की पोल खोली है।

अगर अधिवक्ता विनय शर्मा के आरोप सही हैं तो यह काफी चिंतनीय विषय है। क्योंकि मॉक ड्रिल से वास्तविकता काफी भयानक और पीड़ादायक होती है। अपनों की जिंदगी बचाने के लिए लोगों पर एक-एक पल भारी पड़ता है। थोड़ी जल्दी किसी जिंदगी को बचा सकती है और देरी छीन सकती है। ऐसे में हमें आपदा प्रबंधन को और मजबूत करना होगा। इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे। हमारा इस खबर का मकसद किसी की आलोचना या किसी का मनोबल कम करना नहीं है।

बल्कि अगर कोई कमी हो तो भविष्य के लिए उन्हें दूर करना है। क्योंकि प्राकृतिक आपदाओं को किसी भी कवच से रोका नहीं जा सकता है। यह कहां और किस रूप में आएंगी मनुष्य को कुछ पता नहीं।

हाईकोर्ट के अधिकवक्ता विनय शर्मा ने क्या आरोप लगाए हैं, आपको बताते हैं। उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट डालकर लिखा कि शिमला के समर हिल स्थित शिव मंदिर में सावन महीने के आखिरी सोमवार को सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर भोलेनाथ की पूजा कर रहे 30-35 लोग, जिनमें हमारे हाईकोर्ट के युवा वकील भाई हरीश वर्मा और उनकी पत्नी, उनके मकान मालिक के परिवार के 7 लोग, यूनिवर्सिटी में मैथ के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट, उनकी पत्नी और बेटा सहित काफी लोग, अचानक हुए लैंड स्लाइड की चपेट में आ गए।

आसपास के लोग रेस्क्यू के लिए दौड़े। खुद अपने हाथों से मलबा हटाकर रोते बिलखते लोग अपनों को खोज रहे थे। एक घंटे बाद लोकल आर्मी की यूनिट ने रेस्क्यू की कमान संभाली और घटना के दो घंटे बाद आपदा प्रबंधन वाले पहुंचे, वो भी खाली हाथ।

बदइंतजामी के हाल यह थे कि वहां गिरे पेड़ों को काटने के लिए लोगों ने अपने कटर दिए तब पेड़ कटे। मलबा हटाने के लिए जेसीबी पांच घंटे बाद पहुंची। कई जाने तो इसलिए चली गई कि रेस्क्यू ढंग से हुआ ही नहीं। किसी को बचाना तो दूर की बात 30 घंटे बाद भी 15-20 लोग मलबे में दबे पड़े हैं।

फिर किसलिए और किसके लिए बनाया गया आपदा प्रबंधन बोर्ड ? हर दूसरे दिन यह लोग स्कूल यूनिवर्सिटी, कॉलेज, हॉस्पिटल और सड़कों पर मॉक ड्रिल कर रहे होते हैं और आपदा के टाइम यह लोग राजधानी में दो घंटे बाद पहुंच रहे हैं, तो बाकी जगह क्या हाल होंगे ?