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कांगड़ा : राजस्व अधिनियम संशोधन को लेकर सहमत नहीं पटवारी-कानूनगो, मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन

बोले: केवल कानून बनाने से नहीं होगा कुछ
कांगड़ा। संयुक्त पटवार एवं कानूनगो महासंघ तहसील इकाई कांगड़ा की ओर से गुरुवार को तहसीलदार कांगड़ा मोहित रत्तन के माध्यम से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को ज्ञापन भेजा।
इसमें महासंघ की ओर से संशोधित राजस्व अधिनियम की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए आग्रह किया है कि इस संशोधन के माध्यम से राजस्व कार्यों को निपटाए जाने के लिए बनाई गई समय सीमा से महासंघ सहमत नहीं है।
 लोगों को समय पर सुविधा मिले इसका महासंघ स्वागत  करता है, मगर यह केवल कानून बनाने से नहीं होगा अपितु धरातल पर आवश्यक सुधार करने होगा। वर्तमान समय में पटवारी, कानूनगो, नायब तहसीलदार व तहसीलदार स्तर तक के लगभग 25 से 70 फीसदी पद खाली चल रहे हैं। इसके अलावा पटवारी, कानूनगो को अपने राजस्व कार्य करने का तो समय ही नहीं मिल पाता है।
हर रोज विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्रों की रिपोर्ट, फोन द्वारा विभिन्न -विभिन्न सूचनाओं को तैयार करके भेजना, पीएम किसान सम्मान से जुड़े काम,  स्वामित्व योजना, 1100 सीएम सकंल्प शिकायत विवरणी के निपटारे , राहत कार्य, फसल गिरदावरी, निर्वाचन कार्य के अलावा बीएलओ व सुपरवाइजर के काम, लोक निर्माण , वन, खनन, उद्योग आदि अनेकों परियोजनाओं के मौका कार्य एवं संयुक्त निरीक्षण शामिल है।
साथ ही इंतकाल दर्ज करना, उच्च अधिकारियों तथा माननीयों के भ्रमण में हाजिर होना, विभिन्न न्यायालयों में पेशियों व रिकॉर्ड पेश करने बारे हाजिर होना, राजस्व अभिलेख को अपडेट करना, कार्य कृषि गणना, लघु सिंचाई गणना, धारा 163  के तहत मिसल कब्जा नाजायज तैयार करना, जमाबंदी की नकलें सत्यापित करना शामिल है।
 साथ ही जो रिकॉर्ड वर्ष 2000 से पहले का कम्प्यूट्रीकृत नहीं हुआ है, उसकी लिखित रूप में नकलें तैयार करना, मौक़ा पर ततीमा तैयार करना, टीआरएस गिरदावरी करना , आरएमएस पोर्टल अपडेट करना, भूमि विक्रय हेतु दूरी प्रमाण पत्र, बीपीएल सर्वेक्षण कार्य, आरटीआई से संबंधित सूचना तैयार करना, 2/3 बिस्वा अलॉटमेंट, धारा 118 की रिपोर्ट तैयार करना शामिल है।
इसके अतिरिक्त बैंकों के लोन संबंधित रपटें दर्ज करना,  भूमि की कुर्की संबंधित रपटें दर्ज करना, प्रतिदिन एनजीडीआरएस, मेघ , मेघ चार्ज क्रिएशन,  मन्दिर व मेला ड्यूटी , क्राप कटिंग एक्सपेरिमेंट, लैंड एक्यूजेशन वर्क, पेंशन फार्म,  मंदिर में चढ़ावा गणना, जनगणना कार्य, जल निकाय गणना, भू-हस्तांतरण संबंधित कार्य, वांरट वेदखली, रिकवरी, अटैकमैंट, व प्रतिदिन Whatsapp के माध्यम से मांगी जाने वाली विभिन्न प्रकार की  सूचनाओं को तैयार करने में ही समय व्यतीत हो जाता है और माह के अंत में  प्रोग्रेस निशानदेही व तकसीम की मांगी जाती है।
तय समय सीमा में कैसे होगा काम
ज्ञापन के माध्यम से महासंघ सरकार के ध्यान में लाना चाहता है कि प्रदेश में पटवारी, कानूनगो को सप्ताह में तीन  दिन कार्यालय में जरूरी तौर पर बैठने के अतिरिक्त फसल, घास व वर्षा के समय के बाद साल में 3-4 महीने  ही फील्ड संबंधी कार्य करने को मिलते हैं। एक कानूनगो ज्यादा से ज्यादा पांच-सात निशानदेही के मामले एक माह में निपटा सकता है, जबकि उसके पास निशानदेही के प्रतिमाह 30 से 40 मामले आते हैं, ऐसी सूरत में सरकार द्वारा तय की गई समय सीमा में काम कैसे होगा,  इस पर विचार किया जाए।
काम की मात्रा तय करे सरकार
महासंघ आग्रह करता है कि  पटवारी, कानूनगो को इस बिल से कोई आपत्ति नहीं है। सरकार पटवारी-कानूनगो एक माह में कौन-कौन से काम कितनी मात्रा में करेगा, इस बारे एक बिल लाने की कृपा करें। महासंघ चाहता है कि संशोधित बिल को लागू करने से पहले एक बार राज्य कार्यकारिणी के साथ बैठक करने की कृपा करें।
महासंघ यह भी कहना चाहेगा कि यदि कार्यकारिणी के साथ चर्चा किए बिना इसको थोपने की कोशिश की गई तो महासंघ किसी भी प्रकार का आंदोलन करने  पर विवश होगा।

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