सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की टिप्पणी
शिमला। राजधानी शिमला के मॉल पर स्थित टाउन हॉल में कैफे का मामला हाईकोर्ट पहुंचा है। मामले को लेकर बुधवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि टाउन हॉल में कैफे हाई एंड कैफे नहीं है, बल्कि फूड कोर्ट है। हाई एंड कैफे का मतलब ऐसी महंगी जगह, जहां महंगा खानपान और महंगी बैठने की व्यस्था हो।
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कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए अगली तारीख तक फूड कोर्ट के संचालन पर रोक लगा दी है। आयुक्त नगर निगम शिमला को इस आदेश का शीघ्र अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च 2024 को होगी।
हिमाचल के एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने मामले को लेकर बताया कि पहले जनहित याचिका दायर हुई थी। उसमें कहा गया था कि शिमला टाउन हॉल का ऑफिस के लिए प्रयोग न हो और इसका यूज जनहित में किया जाए। इस पर हाईकोर्ट ने कहा था कि यहां हाई एंड कैफे, सूचना केंद्र और बुटिक आदि होना चाहिए।
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इसको ध्यान में रखकर शिमला नगर निगम ने टाउन हॉल के ग्राउंड फ्लोर में एक कैफे खोला था। कोर्ट के आज के फैसले के अनुसार यह कैफे हाई एंड कैफे न होकर मात्र फूड कोर्ट है।
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सुनवाई के दौरान उन्होंने (एडवोकेट जनरल) कोर्ट में दलिल दी थी कि शिमला के हिसाब से यह कैफे हाई एंड कैफे (High End Cafe) की श्रेणी में आता है। अगर वाइल्ड फ्लावर हॉल और सिसिल की तर्ज पर बहुत हाई एंड कैफे खोला जाए तो शिमला की अधिकतर जनता इसका लाभ नहीं ले पाएगी।
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अधिकतर जनता कैफे में बैठने और कॉफी पीने से वंचित रह जाएगी। कोर्ट ने उनकी दलीलों को अस्वीकार कर दिया। कहा कि यह मात्र फूड कोर्ट है। आदेशों में अगली तारीख तक फूड कोर्ट पर रोक लगा दी है। साथ ही कहा है कि हेरिटेज एडवाइजरी कमेटी दौरा करेगी तथ्य को देखेंगे सुंदरता इतिहात मध्यनजर रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करेंगे।
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