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कांगड़ा : वजूद तो खो ही रही गुलेर रियासत की राजधानी हरिपुर, अब संस्कृति पर भी संकट

चौगान में नहीं होगा मेले का आयोजन

हरिपुर। गुलेर रियासत और उसकी राजधानी हरिपुर को कौन नहीं जानता होगा। इतिहास में भी इनका जिक्र आता है। हरिपुर कांगड़ा जिला के विधानसभा क्षेत्र देहरा के तहत पड़ता एक कस्बा है। हरिपुर वर्तमान में वजूद की जंग लड़ रहा है। यहां बेशकीमती प्राचीन धरोहरें हैं, जोकि खंडहरों में तब्दील हो चुकी हैं।

अब संस्कृति की पहचान कहलाने वाले हरिपुर बाबा धुडू छिंज मेले पर भी संकट पैदा हो गया है। मेला हरिपुर चौगान में आयोजित नहीं होगा। इसका कारण हरिपुर चौगान का शिक्षा विभाग के अधीन होना है।

हिमाचल हाईकोर्ट ने स्कूल के मैदानों में ऐसे आयोजन पर रोक लगाई है। ऐसा बच्चों की पढ़ाई के मध्यनजर लिया गया है।

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इसके चलते मेले का आयोजन हरिपुर अस्पताल के पास निजी भूमि पर किया जाएगा। निजी भूमि पर मेला कब तक आयोजित होता रहेगा इस पर भी सवाल है। अब कारण प्रशासनिक, राजनीतिक या आपसी खींचतान कुछ भी हो, पर मेले के अस्तित्व पर तो संकट जरूर है।

हालांकि, शिक्षा विभाग की एनओसी के साथ चौगान में मेला आयोजन की अनुमति ली जा सकती थी। ऐसे प्रयास किए जाते तो चौगान में मेला हो सकता था। क्योंकि आयोजन से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित तो नहीं हो रही आदि को देखते हुए एजुकेशन अथॉरिटी एनओसी दे सकती है।
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हरिपुर चौगान की बात करें तो यहां आयोजन पर बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान पड़ने के कम चांस हैं, क्योंकि स्कूल चौगान के आखिरी कोने में है। मैदान काफी बड़ा है। पर जानकारी के अनुसार इस बार मेले का आयोजन करने वाली कमेटी हरिपुर चौगान में मेले का आयोजन करवाने से इंकार करते हुए किसी और जगह मेला करवाने की अनुमति ली है।

बता दें कि हरिपुर बाबा धुडू छिंज मेले का आयोजन हर वर्ष 10 अप्रैल को आयोजित होता है। पहले मेला सूखा तालाब में आयोजित किया जाता है। पर सूखा तालाब में जगह की कमी के चलते मेले को हरिपुर चौगान में शिफ्ट किया गया था।

उस वक्त भी मेला शिफ्ट करने का कुछ लोगों ने विरोध किया था और शिफ्ट होने के साल दो जगह मेला आयोजित किया गया था। इसके बाद से मेला चौगान में ही आयोजित होता था।  हरिपुर में यही एक मात्र बड़ा मैदान है।

देहरा एसडीएम शिल्पा बेक्टा ने कहा कि ग्राउंड रेवेन्यू या पंचायत के अधीन होता तो मेले का आयोजन हो सकता था। ग्राउंड शिक्षा विभाग के अधीन है। हाईकोर्ट ने स्कूल मैदानों में ऐसे आयोजन पर रोक लगाई है।

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यहां आयोजन की अनुमति एजुकेशन अथॉरिटी की एनओसी के बाद ही दी जा सकती है। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित तो नहीं हो रही आदि को ध्यान में रखते हुए एनओसी दी जाती है।

हरिपुर में 10 अप्रैल को मेला आयोजन की अनुमति के लिए लोग उनके पास आए थे। उन्होंने हरिपुर ग्राउंड में मेले का आयोजन करने से इंकार करते अन्य जगह मेला आयोजन की अनुमति ली है। मेला किसी प्राइवेट जगह करवाया जा रहा है।

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सिंघवी बोले- हिमाचल की संस्कृति में ऐसा रिवाज नहीं, सुक्खू के बोल- अल्पमत में नहीं सरकार

बागियों का मन बदलना अचानक नहीं हुआ

शिमला। हिमाचल प्रदेश की एक राज्यसभा सीट पर दिलचस्प राजनीतिक खेल देखने को मिला है। सत्ताधारी कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है, जिसकी बदौलत बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशियों को बराबर 34-34 मत पड़े। इसके बाद लॉटरी से फैसला हुआ और भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन की जीत हुई। अब ऐसे में प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर भी संकट पैदा हो गया है। भाजपा कांग्रेस के अल्पमत में होने का दावा भी कर रही है।

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राज्यसभा का चुनाव हारने के बाद अधिवक्ता और कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि भाजपा ने बेशर्मी से राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए वह सब किया, जिसकी कानून में इजाजत नहीं है। 40 विधायकों वाली कांग्रेस के सामने 25 विधायकों वाली भाजपा का प्रत्याशी खड़ा करना उनकी इसी मानसिकता को दर्शाता है।

उन्होंने कहा यह पूरा प्रकरण हिमाचल की संस्कृति के बिल्कुल विपरीत है। विधायकों के बागी होने को लेकर मनु सिंघवी ने कहा कि उनका मन बदलना अचानक नहीं है। सिंघवी  ने कहा कि रात को ये विधायक हमारे साथ डिनर कर फोटो खिंचवा रहे थे। सुबह ब्रेकफास्ट कर निकले थे। हिमाचल की संस्कृति में ऐसा रिवाज नहीं था।

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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि डिनर और ब्रेकफास्ट के समय यह विधायक कसमें खाते रहे, लेकिन जब पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को मत देने का वक्त आया तो इन विधायकों ने अपना ईमान बेच दिया। उन्होंने कहा कि तीन निर्दलीय विधायकों को लेकर उन्हें कुछ नहीं कहना है, लेकिन कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जीत कर विधानसभा पहुंचने वाले विधायकों ने अपना ईमान बेचकर क्रॉस वोटिंग की।

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वहीं, फ्लोर टेस्ट को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अभी अल्पमत में नहीं है। कांग्रेस के पास 34 विधायक हैं। हालांकि इन विधायकों पर भी दबाव बनाया गया प्रलोभन दिया गया, लेकिन सभी 34 विधायक पार्टी के साथ मजबूती से खड़े हैं। उन्होंने कहा कि अल्पमत का फैसला विधानसभा के फ्लोर पर होगा।

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शिमला गेयटी थिएटर में संगोष्ठी, साहित्यकारों के जीवन पर डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शित

कुल्लू स्थित बहस नाट्य व कला मंच द्वारा किया आयोजन

शिमला। कुल्लू स्थित बहस नाट्य व कला मंच द्वारा प्रदेश भाषा कला व संस्कृति विभाग के सहयोग से आज शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। दो दिवसीय संगोष्ठी में प्रदेश के साहित्यकारों के जीवन और कार्यों को  डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है, जिस पर आधारित गोष्ठी का भी आयोजन किया जा रहा है। मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए भाषा , कला और संस्कृति विभाग के निदेशक पंकज ललित ने बताया कि साहित्यकारों और कलाकारों के जीवन को वृत्तचित्र के माध्यम से संजोना अथवा प्रदर्शित करना एक बेहतरीन पहल है।

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पंकज ललित ने बताया कि संस्कृति व कला को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर शिमला में विभिन्न आयोजन विभाग द्वारा किए जाते हैं और आने वाले समय में भी इस तरह के प्रयासों को लगातार जारी रखा जाएगा। पंकज ललित ने बताया कुल्लू की संस्था बहस नाट्य व कला मंच द्वारा साहित्यकारों के साहित्यिक कार्य और जीवन को लेकर डॉक्यूमेंट्री बनाई गई है, जो एक बेहतरीन कार्य है।

इस तरीके से इन साहित्यकारों के बारे में अथवा इनके जीवन के बारे में जानकारी हम आने वाली पीढ़ी तक संजो कर पहुंचा सकते हैं। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा भी साहित्य व कला को बढ़ावा देने को लेकर समय-समय पर शिमला में विभिन्न आयोजन किए जाते हैं और ऐसे ही कार्य करने वाली अन्य संस्थाओं या व्यक्तियों को सहयोग भी किया जाता है ताकि साहित्य व कला को संजो कर आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाया जा सके।

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