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श्रद्धा हत्याकांड: आज नहीं होगा आरोपी आफताब का नार्को टेस्ट, जाने कारण

पहले होगा पॉलीग्राफ टेस्ट, कोर्ट से ली जाएगी अनुमति

नई दिल्ली। श्रद्धा हत्याकांड में आरोपी आफताब का आज नार्को टेस्ट नहीं होगा। नार्को टेस्ट से पहले आरोपी आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट होगा। इसके लिए भी कोर्ट से अनुमति ली जाएगी। कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद 10 दिन में पॉलीग्राफ टेस्ट और नार्को टेस्ट की प्रक्रिया पूरी होगी।

बता दें कि मामले के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का आज नार्को टेस्ट होना था। हालांकि, आफताब ने श्रद्धा की हत्या करने का गुनाह तो कबूल कर लिया है पर सबूत के नाम पर बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है। इसलिए पुलिस का सारा फोक्स अब श्रद्धा के शरीर के बचे टुकड़े ढूंढने के साथ सबूत जुटाने पर है, ताकि आरोपी को सजा मिल सके और श्रद्धा को इंसाफ।

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अब तक की जांच में आफताब बार-बार बयान बदल रहा। उसके बार-बार बयान बदलने से जांच की दिशा भटक रही है। इसी के चलते दिल्ली पुलिस ने नार्कों टेस्ट की मांग की थी। पुलिस की दलील सुनने के बाद साकेत कोर्ट ने आफताब का नार्को टेस्ट करवाने की अनुमति दी। इसमें आरोपी की सहमति भी जरूरी होती है। आरोपी ने भी नार्को टेस्ट करवाने की सहमति दे दी है। पुलिस हत्या करने, लड़ाई की वजह, हत्या कैसे की, योजना कब बनाई, शव काटने के लिए प्रयोग आरी, शरीर के बाकी टुकड़े कहां हैं आदि 50 सवालों की लिस्ट तैयार की गई है। पुलिस सिलसिलेवार घटना की कड़ियां जोड़ने का प्रयास करेगी। पर नार्को टेस्ट से पहले पॉलीग्राफ टेस्ट जरूरी होता है और इसकी भी अनुमति कोर्ट से लेनी पड़ती है। पुलिस ने नार्को टेस्ट की अनुमति तो ली है। पर पॉलीग्राफ टेस्ट की नहीं।

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नार्को टेस्ट अंबेडकर अस्पताल में होना था। टेस्ट रोहिणी स्थित फोरेंसिक साइंस लैब करेगी। अस्पताल सारी सुविधाएं होती हैं, अगर टेस्ट के दौरान कुछ इमरजेंसी आती है तो आरोपी को अस्पताल में समय पर इलाज मिल सकता है, इसके चलते अस्पताल में ही यह टेस्ट किया जाता है। टेस्ट के दौरान पुलिस के अधिकारी, फोरेंसिक साइंस लैब की टीम मौजूद रहेगी। फोरेंसिक साइंस लैब इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी करेगी।

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नार्को टेस्ट कैसे किया जाएगा। हम आपको बताते हैं। इंजेक्शन में साइकोएक्टिव दवा ‘ट्रूथ ड्रग’ मिलाई जाती है। इसमें सोडियम पेंटोथल नाम का केमिकल होता है। इससे आरोपी कुछ मिनट से लेकर लंबे समय के लिए बेहोशी में चला जाता है। इसके बाद आधी बेहोशी की हालत में सच बोलता जाता है। नार्को टेस्ट से पहले आरोपी की मेडिकल जांच भी होती है। इससे यह पता चलता है कि आरोपी को कोई बड़ी बीमारी तो नहीं है। अगर आरोपी को मनोवैज्ञानिक, ऑर्गन से जुड़ी या कैंसर जैसी कोई बीमारी है तो नार्को टेस्ट नहीं किया जाता है।

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