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मां बगलामुखी के भजन का इंतजार खत्म, महंत रजत गिरी करेंगे रिलीज

माता की जयंती के अवसर पर होगा विमोचन

बनखंडी। हिमाचल के कांगड़ा जिला में प्राचीन मंदिर माता श्री बगलामुखी देवी में मां बगलामुखी की जयंती धूमधाम से मनाई जाएगी। मां बगलामुखी जयंती के अवसर पर 28 अप्रैल को शाम 6 बजे ढोल नगाड़ों से महाआरती होगी।

साथ ही मां बगलामुखी भजन भी रिलीज किया जाएगा। भजन को महंत रजत गिरी 28 अप्रैल को दोपहर दो बजे रिलीज करेंगे। भजन को मां बगलामुखी ट्रस्ट के सौजन्य से टी सीरीज ने तैयार किया है।

बनखंडी: मां बगलामुखी जयंती 28 अप्रैल को, ढोल नगाड़ों के साथ होगी महाआरती

बता दें कि हिमाचल में कांगड़ा जिला के रानीताल-देहरा सड़क के किनारे बनखंडी में स्थित सिद्धपीठ माता बगलामुखी मंदिर में हर वर्ष हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों से लोग आकर अपने कष्टों के निवारण के लिए हवन,पूजा-पाठ करवाकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान एक रात में की गई थी, जिसमें सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम द्वारा युद्ध में शक्ति प्राप्त करने तथा माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की गई थी।

कालांतर से ही यह मंदिर लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है तथा वर्षभर असंख्य श्रद्धालु जो श्री ज्वालामुखी, माता चिंतपूर्णी, नगरकोट (कांगड़ा) इत्यादि के दर्शन के लिए आते हैं वे सभी इस मंदिर में आकर माता का आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है, जहां लोग माता के दर्शन के उपरांत शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं।

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मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा श्रद्धालुओं के लिए व्यापक सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं। लंगर के अतिरिक्त मंदिर परिसर में पेयजल, शौचालय, ठहरने की व्यवस्था का विशेष प्रबंध है। माता बगलामुखी का दस महाविद्याओं में 8वां स्थान है तथा इस देवी का पूजन,पाठ, हवन विशेष कर घर में शांति, व्यापार में बढ़ोतरी, मुकदमे में जीत, चुनाव में विजय और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता बगलामुखी की आराधना सर्वप्रथम ब्रह्मा एवं विष्णु भगवान ने की थी। इसके उपरांत भगवान परशुराम ने माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्धों में शत्रुओं को परास्त करके विजय पाई थी। बगलामुखी मंदिर में हवन करवाने का विशेष महत्व है, जिससे कष्टों का निवारण होने के साथ-साथ शत्रु भय से भी मुक्ति मिलती है।

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द्रोणाचार्य, रावण, मेघनाद इत्यादि सभी महान योद्धाओं द्वारा माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्ध लड़े गए। नगरकोट के महाराजा संसार चंद कटोच भी प्राय: इस मंदिर में आकर माता बगलामुखी की आराधना किया करते थे, जिनके आशीर्वाद से उन्होंने कई युद्धों में विजय पाई थी। तभी से इस मंदिर में अपने कष्टों के निवारण के लिए श्रद्धालुओं का निरंतर आना आरंभ हुआ और श्रद्धालु नवग्रह शांति, ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति सर्व कष्टों के निवारण के लिए मंदिर में हवन-पाठ करवाते हैं।

माता बगलामुखी के संपूर्ण भारत में केवल दो सिद्ध शक्तिपीठ विद्यमान हैं, जिसमें एक मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के बनखंडी में और दूसरा मंदिर मध्य प्रदेश के दतिया में स्थित है। लोगों का अटूट विश्वास है कि माता अपने दरबार से किसी को निराश नहीं भेजती हैं। केवल सच्ची श्रद्धा एवं सद्विचार की आवश्यकता है।

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