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मंडी: पैसे लेकर नौकरी लगवाने के नाम पर धोखाधड़ी मामले में तीन को सजा

अतिरिक्त मुख्य दंडाधिकारी, सरकाघाट की कोर्ट ने सुनाया फैसला

मंडी। पैसा लेकर नौकरी लगवाने के नाम पर करीब 7 लाख की धोखाधड़ी करने के तीन आरोपियों को अतिरिक्त मुख्य दंडाधिकारी, सरकाघाट मोनिका सोम्बाल की अदालत ने सजा सुनाई है। मामला 24 सितंबर 2019 का है। मंडी जिला के पुलिस थाना धर्मपुर में 24 सितंबर 2019 को अच्छर सिंह पुत्र रामानंद गांव खेड़ी, डाकघर कमलाह, तहसील संधोल, जिला मंडी ने शिकायत दर्ज करवाई थी।

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शिकायत में कहा था कि वह वर्ष 2017 में हमीरपुर गया था, जहां पर उसे विधि चंद पु़त्र गरीब दास निवासी बल्डोह, डाकघर चमलेहड़, जिला हमीरपुर मिला। उसने बताया कि उसका भांजा अनिल कुमार सचिवालय, शिमला में नौकरी करता है व लोगों को नौकरी पर लगवा रहा है। इसके बाद शिकायतकर्ता अच्छर सिंह ने अनिल से संपर्क किया, जिसने बताया कि प्रत्येक नौकरी के दो लाख पचास हजार रुपए लगेंगे।

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शिकायतकर्ता ने अपने बेटे व दोनों बहुओं को नौकरी लगवाने के लिए अनिल कुमार पुत्र कांति राम, निवासी अमनेहड़ बरठयाणा तहसील व जिला हमीरपुर द्वारा बतलाए गए खातों में 30 अगस्त 2017 को पांच लाख रुपए डाल दिए। उसके बाद अनिल ने आरोपी रोहित कुमार पुत्र सुभाष का खाता नंबर दिया जिसके कहने पर शिकायतकर्ता ने 29 अगस्त 2017 को 49,000 रुपए व दोबारा 4,9000 रुपए डाले।

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17 सितंबर 2017 को 50,000 रुपए व 20 अगस्त 2017 को भी 50,000 रुपए डाले। शिकायतकर्ता से नौकरी के नाम पर कुल 6,98,000 रुपए धोखाधड़ी से ले लिए, लेकिन कोई नौकरी शिकायतकर्ता के बेटे व बहुओं को न लगवाई। शिकायतकर्ता की शिकायत पर थाना धर्मपुर में मामला दर्ज किया गया। मामला दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी। जांच पूरी होने पर आरोप पत्र आरोपियों रोहित गुप्ता, सुभाष कायस्था, अनिल कुमार व विधि चंद के खिलाफ धारा 420, 120बी, आईपीसी के अंतर्गत अदालत में दायर किया गया।

 

सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 25 गवाहों के बयान दर्ज करवाए। अदालत ने 30 दिसंबर 2022 को अपने फैसले में आरोपी रोहित गुप्ता, विधि चंद व अनिल कुमार को दोषी पाया। साथ ही सुभाष कायस्था को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया। 16 जनवरी को अदालत ने तीनों आरोपियों रोहित गुप्ता, विधि चन्द व अनिल कुमार को धारा 420 आईपीसी के तहत तीन साल की सजा व दस हजार रुपया जुर्माना लगाया। धारा 120बी आईपीसी के तहत एक साल की सजा व दस हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक लोक अभियोजक सुभाष चंद ने केस की पैरवी की।

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