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जिलुमोल मैरिएट की हौसलों की उड़ान : जन्म से नहीं दोनों हाथ, चलाएंगी कार- मिला ड्राइविंग लाइसेंस

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने पलक्कड़ में सौंपा

अगर आप कुछ ठान ले तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है केरल की जिलुमोल मैरिएट (32) ने। इडुक्की की मूल निवासी जिलुमोल मैरिएट को ड्राइविंग लाइसेंस मिला है।

अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें क्या बड़ी बात है। गाड़ी चलाना सीखों, ड्राइविंग टेस्ट पास करो और लाइसेंस प्राप्त करो।

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पर हम आपको बता दें कि जिलुमोल मैरिएट के दोनों हाथ नहीं हैं। बिना हाथों से जन्म लेने वाली मैरिएट अब चारपहिया वाहन चला सकती हैं। ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के साथ ही जिलुमोल मैरिएट एशिया की पहली ऐसी महिला बन गई हैं, जिनके हाथ न होने के बावजूद उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस मिला है।

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने पलक्कड़ में एक कार्यक्रम के दौरान जिलुमोल मैरिएट को ड्राइविंग लाइसेंस सौंपा।

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X (पहले ट्विटर) में फोटो सहित पोस्ट भी डाली है। उन्होंने पोस्ट डालते लिखा कि जिलुमोल मैरिएट थॉमस की अदम्य भावना की सराहना।

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हाथों के बिना पैदा होने के बावजूद, वह अपना ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने में सफल रही। यह गर्व का क्षण था जब मैंने पलक्कड़ में उनका लाइसेंस सौंप दिया। जिलुमोल का दृढ़ संकल्प वाकई सराहनीय है। उनकी यात्रा में निरंतर सफलता की कामना।

बता दें कि बिना हाथों से जन्म लेने वाली जिलुमोल मैरिएट का सपना था कि एक दिन वह गाड़ी चलाएं और इसके लिए कानून से अनुमति भी मिले। वह कोच्चि में ग्राफिक आर्ट डिजाइनर के रूप में काम करती हैं।

वह कुछ वर्ष से ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए प्रयास कर रही थीं। वह वाहन चलाने की ट्रेनिंग भी ले रही थीं। मैरियट उनके इस सपने को राज्य सरकार और एक स्थानीय स्टार्ट-अप ने नई उड़ान दी।

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स्टार्ट-अप ने कार के लिए खास तौर पर ऑपरेटिंग इंडिकेटर्स, वाइपर और हेडलैंप के लिए वॉयस कमांड-बेस्ड सिस्टम डेवलप किया।

तकनीकी और सिस्टम की मदद से मैरिएट को कार चलाने के लिए हाथों का इस्तेमाल नहीं करना होगा। वह एक आवाज से कुछ चुनिंदा फीचर्स को ऑपरेट कर सकेंगी। कार चलाने के लिए मैरियट पैरों का इस्तेमाल करती हैं।

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पैरों से स्टीयरिंग व्हील संभालती हैं। उन्होंने खुद को हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार किया है। मैरियट साइन भी पैर से करती हैं। कार चलाने का प्रशिक्षण लेने के बाद मैरियट ने जरूरी अनिवार्य ड्राइविंग टेस्ट पास किया।

उन्होंने लिखित और ‘H’ टेस्ट सफलतापूर्वक पास किया। इसके बाद दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत उन्हें लाइसेंस जारी किया गया।

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