हरिपुरधार। हिमाचल प्रदेश के गिरिपार क्षेत्र के लोगों (हाटी) को जनजातीय दर्जे के लिए अभी और इंतजार करना होगा। राज्य सभा सत्र के अंतिम दिन भी सदन में गतिरोध जारी रहा, जिसके चलते यह महत्वपूर्ण बिल राज्यसभा में पेश नहीं हो पाया। हाटी समिति की केंद्रीय कार्यकारिणी ने स्थिति को स्पष्ट किया है।
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समिति के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. अमीचंद कमल और महासचिव कुंदन सिंह शास्त्री ने कहा कि आज हमारे हाटी समुदाय से संबंधित हिमाचल प्रदेश तृतीय जनजातीय संशोधन बिल कार्यसूची में आने के बावजूद संसद सत्र के अन्तिम दिन भी गतिरोध के चलते राज्यसभा में प्रस्तुत नहीं हो सका। इससे कार्यकर्ताओं और सहयोगियों को निराशा हुई।
केन्द्रीय जनजातीय मंत्री के सार्थक प्रयासों और सभी अनुकूलताओं के बावजूद हमें संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करने के लिए अब थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। 28 मार्च को सांसद सुरेश कश्यप और पूर्व विधायक बलदेव सिंह तोमर के नेतृत्व में जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा तथा जनजातीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह के साथ बैठक हुई।
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हाटी समिति के पदाधिकारियों को बैठक में स्पष्ट आश्वासन मिला कि यह बिल अवश्य पास करवाया जाएगा। हाटी मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा के लिए तथ्यपूर्ण जानकारी भी उपलब्ध करावा दी गई थी और हाटी समिति बराबर संपर्क में भी थी, लेकिन संसद सत्र का गतिरोध आज अंतिम दिन भी बना रहा।
इस स्थिति के चलते कुछ लोग जनता को भ्रमित कर सकते हैं। उन अफवाहों से स्वयं को बचाते हुए हमें अपने हाटी समुदाय के लोगों को भी आश्वस्त करना होगा कि हमारे जनजातीय अधिकार मिलने का मार्ग बिल्कुल स्पष्ट है। इसमें कोई बाधा आने वाली नहीं है, लेकिन आगे का कार्य संसद सत्र में ही होगा, जिसके लिए हमें प्रतीक्षा करनी ही होगी।