शिमला। राजधानी शिमला की ढली सब्जी मंडी में रसीली चेरी की धूम है। चेरी के अच्छे दाम मिलने से बागवानों के चेहरे खिले हुए हैं। वीरवार को राजधानी शिमला की ढली मंडी में बागवानों की चेरी प्रति बॉक्स 350 रुपए से 600 रुपए बिकी। वहीं, हाफ बॉक्स 150 से 450 रुपए तक बिका।
बागवानों को फसल के अच्छे दाम मिलने के बाद बागवानों की चांदी हो गई है। चेरी की शुरुआत धन्नापनी से हुई थी। अब ऊपरी क्षेत्रों से भी चेरी आना शुरू हो चुकी है।
ढली सब्जी मंडी के दुकानदार यशवंत शर्मा ने बताया कि आज चेरी का छोटा बॉक्स 150 से 450 रुपये बिका है। वहीं, बड़ा बॉक्स 350 से 600 रुपए तक बिका है। मौजूदा समय में चेरी की आमद करीब 3 हजार बॉक्स की है। आगामी एक सप्ताह में यह आमद 10 हजार बॉक्स तक जा सकती है। इसके बाद ही चेरी का सीजन पूरी तरह से शुरू होगा।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में चेरी की सप्लाई मुंबई, बेंगलूरु और कोलकाता के लिए हो रही है। आगामी एक सप्ताह में चेरी का सीजन पूरी तरह से शुरू हो जाएगा और प्रतिदिन करीब 10 हजार बॉक्स मंडी में पहुंचेंगे। आमद के बढ़ने के बाद चेरी की सप्लाई हैदराबाद और गोवा के लिए भी शुरू कर दी जाएगी।
धर्मशाला।कांगड़ा जिला के धर्मशाला के रक्कड़ में प्रस्तावित हेलीपोर्ट के निर्माण के लिए वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) के तहत पहले चरण की स्वीकृति मिल गई है। डीसी कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि रक्कड़ में हेलीपोर्ट निर्माण के लिए लगभग 25 कनाल भूमि के लिए वन स्वकृति वांछित थी।
उन्होंने बताया कि रक्कड़ में हेलीपोर्ट निर्माण को लेकर एफसीए के तहत लगाई गई आपत्तियों का प्रशासन द्वारा निराकरण करने के बाद स्टेज वन की स्वीकृति प्राप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि अब वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत दूसरे चरण की स्वीकृति मिलने के बाद रक्कड़ में हेलीपोर्ट निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
डीसी ने बताया कि प्रदेश सरकार ने प्रत्येक जिला मुख्यालय में हेलीपोर्ट बनाने का निर्णय लिया है, लेकिन पर्यटन राजधानी कांगड़ा में दो स्थानों में हेलीपोर्ट बनाए जाने प्रस्तावित हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देशानुसार धर्मशाला के रक्कड़ और पालमपुर में इसका निर्माण किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इसके लिए पालमपुर में चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय में लगभग 82 कनाल भूमि पर्यटन विभाग को हस्तांतरित कर दी गई है। पालमपुर में हेलीपोर्ट के निर्माण में लगभग 9 करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे। पालमपुर में चयनित स्थान पर हेलीकॉप्टर के लिए हैंगर का निर्माण भी किया जाएगा।
वहीं धर्मशाला के रक्कड़ में लगभग 6 करोड़ रुपए की लागत से 25 कनाल भूमि में हेलीपोर्ट बनकर तैयार होगा। उन्होंने बताया कि पालमपुर में हेलीपोर्ट निर्माण के लिए पर्यटन विभाग द्वारा डीपीआर तैयार की जा रही है तथा धर्मशाला में स्टेज टू की वन स्वीकृति मिलने के बाद निर्माण कार्य किया जाएगा।
डीसी ने कहा कि इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में भी यह उपयोगी होगा। इससे मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में मरीजों को एयरलिफ्ट करने में भी मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त इन हेलीपोर्ट को किसी भी प्राकृतिक आपदा के दौरान निकासी स्थल के रूप में उपयोग किया जा सकता है और संकट के समय में राहत प्रदान की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा ने यह साबित कर दिया है कि क्षेत्र में हेलीपोर्ट से जुड़ी सेवाएं अत्यंत आवश्यक हैं। डीसी ने बताया कि पर्यटन राजधानी कांगड़ा में एयर क्नेक्टिविटी को सुदृढ़ करने के लिए महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि हवाई सेवाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से हेलीपोर्ट निर्माण के अलावा कांगड़ा एयरपार्ट के विस्तार की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार का कार्य प्रगति पर है और रनवे की लम्बाई 1372 मीटर से बढ़ाकर 3010 मीटर की जाएगी, ताकि यहां पर बड़े विमान भी उतर सकें।