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कांगड़ा : कड़ी मशक्कत के बाद निकाला पोलैंड के पायलट आंद्रेज विक्टर का शव

10 दिन तक चले अभियान में ढूंढ निकाले विदेशी पायलट
धर्मशाला। कांगड़ा जिला के बीड़ बिलिंग से पैराग्लाइडिंग की एकल उड़ान भरने के बाद राह भटक चुके विदेशी पायलटों को भारतीय सेना, वायुसेना और अन्य बचाव दलों के सहयोग से ढूंढ निकाला गया है। करीब दस दिन तक चले इस खोज अभियान की जानकारी धर्मशाला में पत्रकारों से साझा करते हुए डीसी डॉ. निपुण जिंदल ने यह बात कही।
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उन्होंने बताया कि बिलिंग से एकल उड़ान के दौरान गायब हुए पायलटों में से रूस के एक पुरुष और अमेरिका की एक महिला पायलट को दो दिन के भीतर ही निजी हेलीकॉप्टर्स की मदद से सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया था।
वहीं दस दिन से धर्मशाला की ऊपरी पहाड़ियों में खबरोटू के पास एक खड़ी चट्टान में फंसे पोलैंड के 74 वर्षीय पायलट आंद्रेज विक्टर की बॉडी को भी आज वीरवार को भारतीय सेना और वायु सेना की मदद से निकाल लिया गया है।
डीसी ने बताया कि बिलिंग पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन ने गायब हुए पायलट्स की सूचना जिला प्रशासन से 23 अक्टूबर को दी थी। उन्होंने बताया कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बिलिंग पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन से समन्वय स्थापित कर निजी हेलीकॉप्टर्स के द्वारा 24 अक्टूबर से पायलट्स को ढूंढना शुरू किया।
उन्होंने बताया कि पायलट्स की लोकेशन पता चलने के बाद अमेरिकी महिला पायलट को थमसर पास और एक रूसी पायलट को रेड रूफ टेंपल के पास से दो दिन के भीतर सुरक्षित रेस्क्यू किया गया।
वहीं पोलैंड के पायलट आंद्रेज विक्टर की लोकेशन धर्मशाला की ऊपरी पहाड़ियों में खबरोटू के पास एक खड़ी चट्टान के पास समूद्र तल से करीब 3650 मीटर ऊंचाई पर ट्रैक की गई।
डीसी ने बताया कि विक्टर ऊंचे पहाड़ों के बीच एकदम खड़ी चट्टान पर फंसे थे, जहां पहुंचना बहुत कठिन था। उन्होंने बताया कि विक्टर को बाहर निकालने के लिए भारतीय सेना और वायुसेना से संपर्क साधा गया। उन्होंने बताया कि भारतीय वायुसेना ने रेस्क्यू के लिए अपने दो चीताह हेलीकॉप्टर्स को मौके पर भेजा।
उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम को इसकी मदद से उस पहाड़ी के ऊपर उतारा गया। उन्होंने बताया कि 26 अक्टूबर से यह टीमें उसी पहाड़ी पर मौजूद रहीं और पायलट को निकालने का प्रयास करती रहीं, लेकिन रास्ता न होने की वजह से वहां तक पहुंचने में असमर्थ रहीं।
कांगड़ा के डीसी डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि विक्टर के पास पहुंचने में आ रही कठिनाई को देखते हुए जिला प्रशासन ने भारतीय वायुसेना के गरुड़ कमांडो और गुलमर्ग स्थित ‘हाई अल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल’ से संपर्क किया।
उन्होंने बताया कि वहां से आए भारतीय सेना और वायुसेना के पैराट्रूपर्स ने एक नवम्बर को मोर्चा संभाला और आज दो नवम्बर (वीरवार) को पोलैंड के पायलट आंद्रेज विक्टर की बॉडी को बाहर निकालकर जिला प्रशासन को सौंप दिया।
उन्होंने बताया कि विक्टर की बॉडी को जोनल अस्पताल धर्मशाला में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, जिसके बाद उनके परिवारजनों को उसे सौंप दिया जाएगा।
डीसी ने भारतीय सेना और वायुसेना का आभार व्यक्त करते हुए उनके प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित की। उन्होंने कहा कि इस वर्ष जिला कांगड़ा में कईं महत्वपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशंस को अंजाम दिया गया। उन्होंने कहा कि इस दौरान भारतीय सेना और वायुसेना ने जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों का अप्रतिम सहयोग किया है।

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भारतीय वायुसेना के दो लड़ाकू विमान क्रैश : एक पायलट की मौत, दो रेस्क्यू

मुरैना। मध्य प्रदेश के मुरैना में शनिवार सुबह एक दुखद हादसा पेश आया है। यहां पर भारतीय वायुसेना के दो लड़ाकू विमान सुखोई-30 और मिराज 2000 दुर्घटनाग्रस्त हो गए। एक विमान में दो पायलट और दूसरे में एक पायलट था।

हादसे में एक पायलट की मौत हो गई है और दो पायलट को रेस्क्यू किया गया है। विमान आपस में ये टकाराए या नहीं इसकी जांच के लिए वायु सेना ने जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया है।

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हादसे की सूचना मिलते ही मौके पर राहत एवं बचाव दल पहुंच गया। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, दोनों विमानों ने मध्यप्रदेश के ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरी थी, जहां अभ्यास चल रहा था। रक्षा मंत्री ने एयरफोर्स चीफ से इस हादसे को लेकर बातचीत की है। वहीं, फाइटर जेट क्रैश को लेकर वायुसेना ने जांच बैठा दी है साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मामले पर नजर बनाए हुए हैं।

जानकारी के अनुसार सुखोई और मिराज 2000 ग्वालियर के एयरबेस से आज सुबह अभ्यास के लिए उड़ान भरी थी। उड़ान भरने के तुंरत बाद दोनों विमान क्रैश होकर जंगल में गिर गए। ग्रामीणों के अनुसार, घटना सुबह लगभग दस बजे की है।

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पहाड़गढ़ इलाके में ग्रामीणों ने आसमान में एक विमान जलते हुए देखा और फिर उसके टुकड़े जमीन में गिरते हुए देखा। इसके बाद आसपास हड़कंप मच गया। लोगों ने उस तरफ दौड़ लगाई जिस तरफ विमान के टुकड़े जलकर गिर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ईश्वर महादेव मंदिर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

लोगों का कहना है कि इन विमानों में जब आग लगी तब वे मुरैना जिले के कैलारस कस्बे के ऊपर से गुजर रहे थे। तभी लोगों ने हवा में उन्हें आग से जलते देखा तो हड़कंप मच गया कि अगर इसका मलबा नीचे गिरा तो पूरा कस्बा तबाह हो सकता है। लेकिन मलबा काफी दूर जंगल मे गिरा। माना जा रहा है कि पायलट ने अपनी जान की बाजी लगाकर कस्बे को जलने से बचाया।

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घटना की सूचना मिलते ही मुरैना के कलेक्टर और एसपी मौके पर पहुंचे और बड़ी संख्या में डॉक्टर और पुलिस के दल भी वहां पहुंच गए। घटना के बाद ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस सेंटर से आधा दर्जन से ज्यादा हेलीकॉप्टर रवाना हुए। इसमें रेस्क्यू दल के सदस्य थे। दिल्ली और इलाहवाद से भी वायुसेना के वरिष्ठ अफसर मौके के लिए रवाना हुए।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा, “मुरैना के कोलारस के पास वायुसेना के सुखोई-30 और मिराज-2000 विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर अत्यंत दुखद है। मैंने स्थानीय प्रशासन को त्वरित बचाव एवं राहत कार्य में वायुसेना के सहयोग के निर्देश दिए हैं। विमानों के पायलट के सुरक्षित होने की ईश्वर से कामना करता हूं।”

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