लगेज पॉलिसी से 30 लाख रुपए की इनकम
शिमला। घाटे में चल रही एचआरटीसी (HRTC) की आय में अक्टूबर और नवंबर 2023 में साढ़े सात करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। लगेज पॉलिसी से निगम ने 30 लाख की इनकम प्राप्त की है। ढाबा नीति में संशोधन के बाद एचआरटीसी की आय में 5 लाख रुपए की बढ़ोतरी हुई है।
लॉग रूट पर जाने वाले बसें भोजन आदि पर ढाबों पर रुकती हैं। एचआरटीसी ने सभी रूटों पर ढाबे चिन्हित किए हैं। हाल ही में निगम ने ढाबा नीति में संशोधन किया था। इसके अलावा अक्टूबर और नवंबर माह में प्रति किलोमीटर आय में भी बढ़ोतरी हुई है।
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घाटे में चल रही एचआरटीसी (HRTC) के लिए एक और राहत भरी खबर है। अगस्त से नवंबर 2023 तक डेड माइलेज का एक लाख 33 हजार 709 किलोमीटर कम हुआ है। यानी डेड माइलज कम कर भी एचआरटीसी ने पैसे बचाए हैं। आगे भी डेड माइलज पर काम जारी रहेगा।
क्या होता है डेड माइलेज
डेड माइलेज का मतलब है कि बस तो चलेगी, लेकिन एचआरटीसी को किसी प्रकार की कमाई नहीं होती है। ऐसा भी कहा जा सकता है कि बस को अंतिम स्टॉप के बाद खड़ी करने के लिए तय की जाने वाली दूरी भी डेड माइलेज में आती है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई एचआरटीसी बस शिमला से घुमारवीं रूट पर चलती है।
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घुमारवीं बस स्टैंड बस का अंतिम स्टॉप है। बस अब अगले दिन रूट पर निकलेगी। यहां सवारियां उतारने के बाद खाली बस को किसी अन्य स्थान पर खड़ा करने ( पार्किंग) के लिए ले जाया जाता है। इसे डेड माइलेज कहा जाता है, क्योंकि इसकी किसी प्रकार की इनकम एचआरटीसी को नहीं होती है।
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कई बार कोई रूट समाप्त होने के बाद चालक बस को अपने घर ले जाता है या फिर वर्कशॉप ले जाया जाता है। उसे भी डेड माइलेज कहते हैं।
या फिर कई बार रास्ता बंद होने से बस को किसी और मार्ग से ले जाया जाता है, मार्ग वास्तविक रूट मार्ग से 15 किलोमीटर ज्यादा है तो यह 15 किलोमीटर भी डेड माइलेज में अकाउंट होंगे। क्योंकि बस सवारियों से तो रूट के मुताबिक ही टिकट के पैसे लिए होते हैं। इसका बोझ एचआरटीसी को उठाना पड़ता है।
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