शिमला। हिमाचल में बरसात का कहर जारी है। प्रदेश में मंगलवार रात और बुधवार को हुई बारिश ने खूब तबाही मचाई है। मलबे आदि में दबकर एक बच्चे सहित 10 से अधिक लोगों की जान गई है। कुछ लोग लापता हैं।
जिला शिमला के मशोबरा ब्लॉक की पंचायत पीरन के डुमैहर में निर्माणाधीन गेट गिर गया और वहां खेल रहा पांच साल का बच्चा उसकी चपेट में आ गया। पांच वर्षीय हर्षित शर्मा पुत्र नारायण दत्त शर्मा की मौके पर मौत हो गई। हिमाचल में 17 मकान ढह गए हैं। 100 से अधिक घरों को नुकसान पहुंचा है।
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राजधानी शिमला के नजदीक बल्देयां के शोल गांव में झारखंड के पति और पत्नी की मलबे में दबने से मौत हो गई। दोनों कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रहे थे। जिला मंडी के सराज क्षेत्र में भारी बारिश ने तबाही मचाई है। यहां पर भारी बारिश से बाढ़ आ गई। बाढ़ के साथ आए मलबे में दबने से छह लोगों की मौत हो गई।
पंचायत जैंशला में पूर्णा देवी पत्नी गुलाब सिंह और ममता देवी पुत्री खेम सिंह निवासी हलेन की भूस्खलन की चपेट में आकर दबने से जान चली गई। दोनों रिश्ते में ताई और भतीजी थीं। दोनों गोशाला में मवेशियों को चारा डालने गई थीं। पंचायत कलहनी के डगैल में परमानंद (65) पुत्र नरसू राम और गोपी (15) पुत्री मीनू राम की मकान गिरने से दबकर मौत हो गई। दोनों आपस में नाना और दोहती थे।
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सराज क्षेत्र की अनाह पंचायत के झौट गांव में तेज सिंह के मकान पर मलबा गिर गया। मलबे में तेज सिंह की दबकर मौत हो गई। तेज सिंह घर के पिछले कमरे में था। आगे वाले कमरे में रह रहे बाकी परिजन समय रहते बाहर निकल गए थे।
वहीं, कुकलाह में बड़ा बुनाड गांव में गौशाला गिरने से नोक सिंह (22) की दबकर मौत हो गई। मंडी के कोटला कमांद के अरनेहड़ संगलेहड़ गांव में महिला लच्छमी देवी (52) पत्नी तुल्लू राम के नाले में बहने से मौत हो गई। महिला नाले के पानी के रुख को मोड़ रही थी ताकि पानी घर की तरफ न जाए। इसी दौरान उसका पैर फिसला और नाले के तेज पानी के बहाव में बह गई।
प्रदेश में बुधवार शाम तक पांच नेशनल हाईवे समेत 709 सड़कें बंद रहीं। 1,366 बस रूट और 636 पेयजल योजनाएं बाधित रहीं।
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राजधानी शिमला में हो रही बारिश से जगह-जगह लैंडस्लाइड की घटनाएं सामने आ रही हैं। भट्टाकुफर वार्ड में लैंडस्लाइड के चलते भारी मलबा घरों पर आ गिरा, जिसके चलते घरों को खतरा पैदा हो गया है और चार घरों को खाली करवा दिया गया है।
मलबे के साथ ऊपर से पेड़ भी नीचे आ गिरे हैं। हालांकि पेड़ों को काटने के लिए काफी समय से स्थानीय लोग नगर निगम से गुहार लगा रहे थे, लेकिन समय रहते इन पेड़ों को नहीं काटा गया, जिसके चलते यह पेड़ नीचे आ गिरे हैं और नुकसान हुआ है।
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