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हिमाचल निजी बस ऑपरेटर बोले- डीजल पर वैट बढ़ाया, किराये में भी करो बढ़ोतरी

कहा-उठाना पड़ रहा है अत्यंत नुकसान

ऊना। हिमाचल के निजी बस ऑपरेटरों ने प्रदेश सरकार से डीजल पर वैट बढ़ाने के बाद किराये में बढ़ोतरी की मांग की है।

हिमाचल निजी बस ऑपरेटर संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पराशर, उपाध्यक्ष विरेंद्र गुलेरिया, विजय ठाकुर, अखिल सूद, महासचिव रमेश कमल, दिनेश सैनी, मनोज राणा, शिमला शहरी यूनियन के अध्यक्ष रोशन लाल, उपाध्यक्ष प्रदीप कुमार, जिला निजी बस ऑपरेटर यूनियन सोलन के अध्यक्ष रणजीत ठाकुर, जिला निजी बस ऑपरेटर यूनियन सिरमौर के अध्यक्ष मामराज शर्मा, जिला कांगड़ा निजी बस ऑपरेटर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि दत्त शर्मा, बिलासपुर जिला अध्यक्ष राजेश पटियाल, सोलन से रंजीत ठाकुर, ऊना से राम कृष्ण शर्मा, चंबा से रवि महाजन, सिरमौर से मामराज शर्मा, कुल्लू से रजत ठाकुर और मंडी से सुरेश ठाकुर आदि ने हिमाचल प्रदेश में परिवहन व्यवसाय को उद्योग का दर्जा दिए जाने की मांग की है।

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उन्होंने कहा कि ऐसी प्राकृतिक आपदा की घड़ी में प्रदेश के निजी बस ऑपरेटर सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, लेकिन जिस तरह से पिछले 6 माह में डीजल के मूल्य में 6 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है और बसों के कलपुर्जे, चेसी के रेट इंश्योरेंस के प्रीमियम आदि में वृद्धि हुई है, उससे निजी बस ऑपरेटर को अत्यंत नुकसान का सामना करना रहा है।

उन्होंने कहा कि देश में सबसे कम न्यूनतम किराया हिमाचल प्रदेश में 5 रुपये है, जबकि पड़ोसी राज्य पंजाब सहित अन्य राज्यों में न्यूनतम किराया 10 से 15 रुपये है।

हिमाचल पहाड़ी राज्य होने के कारण भौगोलिक स्थिति भी अलग है और बसों के रखरखाव में अधिक खर्च आता है। रिक्शा और ऑटो रिक्शा का न्यूनतम किराया भी 20 रुपए है। सुलभ शौचालय में भी 10 रुपए लिए जाते हैं।

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चाय का कप 20 रुपये का है। ऐसे हालात में 35 लाख की बस प्रति लीटर डीजल पर चला कर न्यूनतम बस किराया 5 रुपये न्याय संगत नहीं है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और परिवहन मंत्री मुकेश अग्निहोत्री से तत्काल प्रभाव से न्यूनतम किराया 15 रुपए करने की मांग की है। साथ ही सामान्य किराये में 25 फीसदी वृद्धि की मांग की है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में निजी बस ऑपरेटरों को 12 वर्ष तक पुरानी बस को रिप्लेसमेंट मिलती थी, जिसे पिछली स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की बैठक में घटाकर 8 वर्ष कर दिया है।

एक मिनी बस जिसका परमिट सौ से डेढ़ सौ किलोमीटर तक का है, उसकी आमदन बड़ी मुश्किल से 1000 रुपए प्रति दिन है, वह नई बस चलाकर अपने रूट को कैसे चला पाएगा। ऐसे में उसे नई बस डालनी पड़ती है तो उसकी किस्त 50000 से 70000 रुपए होगी।

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इसी प्रकार बस अड्डा मैनेजमेंट कमेटी ने 40  से 50 फीसदी बस अड्डा पर्ची में बढ़ोतरी की है, जोकि निजी बस ऑपरेटरों के साथ अन्याय है। एक साथ इतनी बढ़ोतरी करना बिल्कुल भी उचित नहीं है, जबकि किसी भी बस अड्डे पर निजी बस ऑपरेटरों के स्टाफ व निजी बस ऑपरेटरों के बैठने की या किसी अन्य प्रकार की सुविधा प्राप्त नहीं है।

इसी प्रकार प्रदेश में एसी बसों का किराया साधारण बस के बराबर कर दिया गया और ऊपर से महिलाओं को किराए में 50 फीसदी छूट हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में उपलब्ध कर दी गई। इससे निजी बस ऑपरेटरों की कमर टूट चुकी है।

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