शिमला। हिमाचल लोक सेवा आयोग ने एचआरटीसी कंडक्टर भर्ती स्क्रीनिंग टेस्ट के अस्थाई शेड्यूल के बाद सिलेबस भी जारी कर दिया है। स्क्रीनिंग टेस्ट 10 दिसंबर 2023 को है। अभ्यर्थी को आईटी टूल के बारे भी ज्ञान होना जरूरी है। इसमें जीपीएस (GPS) भी शामिल है। आईए आपको जीपीएस के बारे में कुछ जानकारी देते हैं।
Breaking : HRTC कंडक्टर भर्ती का सिलेबस जारी, जानने के लिए पढ़ें खबर
ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) एक अमेरिकी स्वामित्व वाली उपयोगिता है, जो उपयोगकर्ताओं को पोजिशनिंग, नेविगेशन और टाइमिंग (पीएनटी) सेवाएं प्रदान करती है। इस प्रणाली में तीन खंड होते हैं।
पहला अंतरिक्ष खंड, नियंत्रण खंड और उपयोगकर्ता खंड होता है। GPS कम से कम 24 उपग्रहों से बना है, जीपीएस सभी प्रकार के मौसम में लगातार 24 घंटे काम करता है।
1960 में अमेरिका की सेना द्वारा जीपीएस टेक्नोलॉजी का पहली बार इस्तेमाल किया गया था।। आरंभिक चरण में जीपीएस प्रणाली का प्रयोग सेना के लिए किया जाता था, लेकिन बाद में इसका प्रयोग नागरिक कार्यो में भी होने लगा।
शारदीय नवरात्र का आठवां दिन : ये है मां महागौरी की पूजा विधि, बीज मंत्र व आरती
GPS की शुरुआत U.S Department of Defence के द्वारा 1973 में की गई थी। पहला सेटेलाइट साल 1978 में हुआ था। आम नागरिकों के लिए GPS का इस्तेमाल 1983 करीबन में चालू किया गया था। 27 अप्रैल, 1995 से इस प्रणाली ने पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया था।
साधारण शब्दों में कहें तो GPS आपको एक जगह से दूसरे जगह तक पहुंचने में मदद करता है। इससे लोकेशन पता करने में मदद मिलती है। साथ ही ट्रैकिंग के काम भी आता है।
यानी कोई वाहन इस वक्त कहां पहुंचा। जीपीएस उपग्रह जानकारी भेजते हैं, कंट्रोल रूम उसे कंट्रोल करता है और लोगों को इससे जानकारी मिलती है। जीपीएस तकनीक अब सेल फोन, कलाई घड़ी से लेकर बुलडोजर, शिपिंग कंटेनर और एटीएम तक हर चीज में है।
शिमला : टूटीकंडी में पुराने मकान में भड़की भीषण आग, सारा सामान जलकर राख
जीपीएस अर्थव्यवस्था के व्यापक हिस्से में उत्पादकता बढ़ाता है, जिसमें खेती, निर्माण, खनन, सर्वेक्षण, पैकेज वितरण और लॉजिस्टिक आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन शामिल हैं।
प्रमुख संचार नेटवर्क, बैंकिंग प्रणालियां, वित्तीय बाजार और पावर ग्रिड सटीक समय सिंक्रनाइज़ेशन के लिए जीपीएस पर बहुत अधिक निर्भर हैं। कुछ वायरलेस सेवाएं इसके बिना काम नहीं कर सकती हैं।
जीपीएस परिवहन दुर्घटनाओं को रोककर, खोज और बचाव प्रयासों में सहायता करके और आपातकालीन सेवाओं में तेजी लाकर लोगों की जान बचाता है। जीपीएस मौसम की भविष्यवाणी, भूकंप की निगरानी और पर्यावरण संरक्षण जैसे वैज्ञानिक उद्देश्यों को भी आगे बढ़ाता है।
हिमाचल आपदा राहत कोष में रिकॉर्ड 230 करोड़ रुपए हुए जमा, 75 साल में ऐतिहासिक
अमेरिकी अंतरिक्ष बल अंतरिक्ष और नियंत्रण खंडों संचालन करता है। जीपीएस उपग्रह लगभग 20,200 किमी (12,550 मील) की ऊंचाई पर मध्यम पृथ्वी कक्षा (एमईओ) में उड़ान भरते हैं। प्रत्येक उपग्रह दिन में दो बार पृथ्वी का चक्कर लगाता है।
जीपीएस तारामंडल में उपग्रहों को पृथ्वी के चारों ओर छह समान दूरी वाले कक्षीय विमानों में व्यवस्थित किया गया है।
प्रत्येक विमान में बेसलाइन उपग्रहों द्वारा व्याप्त चार “स्लॉट” होते हैं। यह 24-स्लॉट व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि उपयोगकर्ता ग्रह पर किसी भी बिंदु से कम से कम चार उपग्रह देख सकते हैं।
जून 2011 में, वायु सेना ने जीपीएस तारामंडल विस्तार को सफलतापूर्वक पूरा किया, जिसे “एक्सपेंडेबल 24” कॉन्फ़िगरेशन के रूप में जाना जाता है।
24 स्लॉट में से तीन का विस्तार किया गया, और छह उपग्रहों को पुनः स्थापित किया गया, ताकि तीन अतिरिक्त उपग्रह तारामंडल आधार रेखा का हिस्सा बन जाएं।
3 जुलाई, 2023 तक, जीपीएस तारामंडल में कुल 31 परिचालन उपग्रह थे, जिनमें डीकमीशन किए गए, ऑन-ऑर्बिट स्पेयर शामिल नहीं थे। 25 मई, 2022 को स्पेस फोर्स ने पांचवें जीपीएस III उपग्रह को स्वस्थ (प्रयोग योग्य) स्थिति में स्थापित किया।
एससीए के एक दिन से भी कम समय में, 29 जून 2021 को, जीपीएस III एसवी05 को परिचालन स्वीकृति अनुमोदन प्राप्त हुआ जिससे 24 घंटे के भीतर एससीए हैंडओवर और परिचालन स्वीकृति प्राप्त करने वाला पहला जीपीएस III एसवी चिह्नित हुआ। लॉन्च से लेकर ऑन-ऑर्बिट परिचालन क्षमता तक का समय 97 तक कम हो गया।
2020 में जीपीएस एंटरप्राइज ने वैश्विक महामारी के बीच दो जीपीएस III एसवी लॉन्च किए। इस महामारी द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों के बावजूद, उद्यम ने डिलीवरी समयसीमा को लगातार कम करके लॉन्च से लेकर परिचालन स्वीकृति तक की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना जारी रखा।
जीपीएस उद्यम में नवाचार और टीम वर्क ने अनावश्यक ऑन-ऑर्बिट सत्यापन चरणों की तेजी से पहचान और उन्मूलन को बढ़ाया है।
हिमाचल में इन प्रवासी श्रमिकों के भी बनेंगे राशन कार्ड, करें आवेदन
SV05, जिसका उपनाम “ARMSTRONG” है, को 17 जून 2021 को स्पेसएक्स फाल्कन 9 ब्लॉक 5 वाहन पर लॉन्च किया गया था। 17 जून 2021 को पांचवें ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) III अंतरिक्ष वाहन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
जीपीएस III एसवी05 वर्तमान जीपीएस समूह में शामिल होने वाला 24वां सैन्य कोड (एम-कोड) उपग्रह है, जिसमें 31-ऑपरेशनल अंतरिक्ष यान शामिल हैं, जो एम-कोड पूर्ण परिचालन क्षमता के लिए आवश्यक अंतिम है।
अमेरिकी अंतरिक्ष बल और उसके मिशन भागीदारों ने 30 जून 2020 को तीसरे ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) III उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। GPS III SV08 में 2022 में लॉन्च हुआ।
भारत में भी इस प्रणाली के प्रयोग बढ़ते जा रहे हैं। दक्षिण रेलवे ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम पर आधारित यात्री सूचना प्रणाली वाली ईएमयू आरंभ कर रहा है। ऐसी पहली ईएमयू (बी-26) ट्रेन ताम्बरम स्टेशन से चेन्नई बीच के मध्य चलेगी।
हिमाचल : 5 विषयों के टैट की शैक्षणिक योग्यता में आंशिक संशोधन- पढ़ें खबर
इस ईएमयू में अत्याधुनिक ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम आधारित यात्री सूचना प्रणाली होगी जिसमें आने वाली ट्रेन का नाम, उस स्टेशन पर पहुंचने का अनुमानित समय, जनहित से जुड़े संदेश तथा यात्री सुरक्षा से संदेश प्रदर्शित किए जाएंगे।
दिल्ली में दिल्ली परिवहन निगम की लो-फ्लोर बसों के नए बेड़े जुड़े हैं इनकी ट्रैकिंग हेतु यहां भी जीपीएस सुविधा का प्रयोग आरंभ हो रहा है।
धर्मशाला-ज्वालाजी-चिंतपूर्णी : HRTC की प्रथम दर्शन बस सेवा शुरू, जानें किराया और टाइमिंग
हिमाचल में इन प्रवासी श्रमिकों के भी बनेंगे राशन कार्ड, करें आवेदन
हिमाचल लोक सेवा आयोग ने SET के लिए मांगे आवेदन, यह है लास्ट डेट
बैजनाथ : बीड़ बिलिंग घाटी से भरी थी उड़ान, जान गंवा बैठा लखनऊ का पैराग्लाइडर पायलट
हिमाचल क्रिप्टो करंसी स्कैम : एक करोड़ रुपए की संपत्ति फ्रीज, 5 करोड़ की तैयारी
हिमाचल : प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के नाम पर ऐसे हो रही ठगी, रहें सावधान
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू का कांगड़ा और मंडी जिला का दौरा तय, जानें डिटेल