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केंद्रीय विश्वविद्यालय ‘ऑर्किड’ पर करेगा शोध-3 साल में 50 लाख होंगे खर्च

कुलपति प्रोफेसर सत प्रकाश बंसल ने हर्ष जताया

धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय अष्टवर्ग समूह में पाए जाने वाले औषधीय पौधे जीवक, ऋषभक, ऋद्धि और वृद्धि पर शोध करेगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (विज्ञान और इंजीनियरिंग बोर्ड) ने तीन साल के लिए लगभग 50 लाख रुपये की अष्टवर्ग समूह के ऑर्किड में पाए जाने वाले रासायनिक घटकों के इनविट्रो सूक्ष्म प्रचार और फाइटोकेमिकल जांच परियोजना को मंजूरी दी है। ये परियोजना पादप विज्ञान विभाग, स्कूल ऑफ लाइफ साइंस के लिए स्वीकृत की गई है। शोध परियोजना के प्रमुख अन्वेषक पादप विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. जितेन्द्र कुमार हैं।

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इस शोध कार्य को मंजूरी मिलने पर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत प्रकाश बंसल ने हर्ष जताया है। इस संबंध में उन्होंने कहा कि ये अपने आप में इस तरह का पहला प्रयास है, नया शोध कार्य है। ये शोध समाज के लिए बहुत लाभदायक साबित होगा। आने वाले समय में विश्व विद्यालय में निश्चित रूप से इस तरह के शोध कार्य को प्रोत्साहन मिलेगा ।

शोध परियोजना के प्रमुख अन्वेषक पादप विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. जितेन्द्र कुमार के अनुसार ऑर्किड दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय से उच्च अल्पाइन क्षेत्र तक पाए जाने वाले पुष्पीय पौधों का सबसे असाधारण समूह है। वे अपने फूलों के आकार और रंग में विविधता की अविश्वसनीय श्रेणी प्रदर्शित करते हैं।

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हालांकि ऑर्किड का उपयोग हर्बल दवाओं, भोजन के रूप में किया जाता है, और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न संस्कृतियों और जनजातियों द्वारा सांस्कृतिक मूल्य होता है। ऑर्किड का उपयोग दुनिया के कई हिस्सों में पारंपरिक उपचार प्रणाली में किया जाता रहा है। ऑर्किडेसी को पौधों के साम्राज्य का सबसे बड़ा परिवार माना जाता है, कई ऑर्किड अति-दोहन और निवास स्थान के नुकसान के कारण विलुप्त होने के अत्यधिक खतरे का सामना कर रहे हैं।

परियोजना में आयुर्वेद के अंतर्गत आने वाले अष्टवर्ग समूह के ऑर्किड जीवक, ऋषभक, ऋद्धि और वृद्धि, जो कि लुप्तप्राय प्रजातियां मानी जाती हैं, के संरक्षण एवं उनके एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोकेमिकल विश्लेषण हेतु कार्य किया जाएगा। वास्तव में अष्टवर्ग ग्रुप के पौधों के औषधीय गुणों की वजह से इनका अपना विशेष महत्व है।

ये पौधे पारंपरिक औषधि प्रणाली के महत्त्वपूर्ण घटक हैं जो च्यवनप्राश, स्वास्थ्यवर्द्धक और रोग निवारक टॉनिक के लिए जाने जाते हैं। ये पौधे एंटी एजिंग, मधुमय, वात, पित्त और रक्त दोष के लिए भी गुणकारी माने जाते हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल ऑफ लाइफ साइंस के अधिष्‍ठाता प्रो. प्रदीप कुमार के पास औषधि पौधों की कई वर्षों से विशेषग्यता है। उनका मार्गदर्शन इस परियोजना को निश्चित रूप से सफल बनाने में सहयोगी होगा।

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