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वीडियो स्टोरी : शिमला आईजीएमसी में खाने की नो टेंशन, अपना बॉबी है न

शिमला। मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मों पर लगा देना, हकीम बहुत हैं बाजार में अमीरों के इलाज की खातिर …. जी हां जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आ सको तो इससे बड़ा पुण्य और कोई नहीं। कुछ ऐसा ही काम कर रहे हैं ऑलमाइटी ब्लेसिंग संस्था के संस्थापक सरबजीत सिंह बॉबी। इनको गरीबों का मसीहा भी कहा जाता है। बॉबी मानवता की सेवा में लगे हैं और आईजीएमसी शिमला में मुफ्त लंगर चलाते हैं जहां पर हर दिन हजारों लोग अपना पेट भरते हैं।

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सरबजीत सिंह बॉबी ने 25 अक्टूबर, 2014 को IGMC के कैंसर अस्पताल में लंगर सेवा शुरू की थी जो आज कमला नेहरू अस्पताल में भी चलाया जा रहा है। लंगर में मरीजों के लिए दलिया, सूप और दूध की भी व्यवस्था रहती है।

ऑलमाइटी ब्लेसिंग संस्था के संस्थापक सरबजीत सिंह बॉबी बताते हैं कि लंगर में सुबह ब्रेकफास्ट दोपहर के भोजन के बाद शाम को भी लंगर सेवा चलाई जाती है जो 10 बजे तक चलती। हर रोज हजारों लोग यहां पेट भरते हैं। यह सेवा लोगों के सहयोग के साथ गुरु कृपा से चल रहा है। अब यह लंगर रात को भी चलेगा।

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उन्होंने बताया कि दूर दराज इलाकों से इलाज कराने आईजीएमसी आए गरीब असहाय कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे इसके लिए रात को 11 से 1 बजे लंगर चलाया जाएगा। हालांकि, बीच में ये लंगर सेवा राजनीति का शिकार भी हो गई थी।

17 महीने तक उन्हें यहां से लंगर बिना बिजली और पानी के चलाना पड़ा लेकिन सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह पानी की व्यवस्था बहाल कर दी गई है। उन्होंने एक रोटी बैंक भी शुरू किया है जिसमें वह स्कूल के बच्चों को रोटियां देते हैं। अभी कैंसर पीड़ितों के लिए फ्री में एंबुलेंस सेवा भी चला रहे हैं।

लंगर में आए मरीजों व उनके अटेंटडेंट्स का कहना है कि यह लंगर लोगों के लिए वरदान है। उन्हें खाने के लिए इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है और यह सब मुफ्त में है। जिसकी जेब में पैसा ना हो वह भी यहां आकर भरपेट खाना खा सकता है।

किसी को रक्त की जरूरत पड़ जाए या एम्बुलेंस की या फिर शव वाहन की, बॉबी इस काम के लिए भी 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं। वे कहते हैं, ‘गरीब का मुंह गुरु की गोलक’ यानी जरूरतमंद के मुंह में भोजन का निवाला पहुंचना ही भगवान की गुल्लक में दान के बराबर है। गुरु नानक देव जी ने यही सीख दी है। सरबजीत सिंह की इस सोच और इसे साकार कर रही उनकी संस्था अलमाइटी ब्लेसिंग के चर्चे हिमाचल ही नहीं पूरी दुनिया में है।

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