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हिमाचल : सरकार के खिलाफ जेबीटी प्रशिक्षुओं का हल्ला बोल, मांगें न मानी तो करेंगे अनशन

बीएड डिग्री धारकों को नौकरी देने पर गुस्साए

शिमला । हिमाचल प्रदेश में बीएड पास को जेबीटी भर्ती में शामिल करने का मामला फिर गरमाया गया है। जेबीटी प्रशिक्षुओं ने बीएड पास प्रशिक्षुओं को जेबीटी के पदों पर भर्ती करने के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया है। जेबीटी के पदों में बीएड डिग्री धारकों को नौकरी देने पर गुस्साए प्रशिक्षु रविवार को सचिवालय से चंद कदम दूर पूरी रात धरने पर बैठे रहे। सोमवार सुबह भी ये लोग सचिवालय के पास जुटे रहे।

जेबीटी प्रशिक्षुओं ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। प्रशिक्षु बोले कि जब जेबीटी प्रशिक्षुओं को नौकरी नहीं देनी तो सरकार जेबीटी ट्रेनिंग क्यों करवा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए जेबीटी ट्रेनिंग पैसे कमाने का धंधा बनकर रह गई है।

3500 प्राथमिक स्कूलों में पद खाली चल रहे हैं। 2019 से कोई भर्ती  नहीं हुई है। अब बैच वाइस भर्ती शुरू होने पर बीएड को भर्ती किया जा रहा है जो कि सरकार नाइंसाफी है। सरकार फैसले को वापस ले अन्यथा जेबीटी प्रशिक्षु अनशन पर बैठेंगे।

जेबीटी प्रशिक्षु शिमला पहुंच कर राज्य सचिवालय में धरने पर बैठ गए हैं, वे इस मसले को लेकर मुख्यमंत्री से मिलेंगे। जेबीटी प्रशिक्षुओं ने चेताया है कि अगर यह मामला नहीं सुलझा को वे आंदोलन तेज कर देंगे।

इससे पहले मंडी में जेबीटी प्रशिक्षुओं ने धरना प्रदर्शन किया था।जेबीटी, डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त बेरोजगार संघ के प्रदेशाध्यक्ष मोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में 40 हजार से अधिक जेबीटी बेरोजगार युवा है, जो भर्ती का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सरकार बीएड पास को भी जेबीटी के पदों पर नियुक्तियां दे रही है जबकि यह मामला भी कोर्ट में है।

उनका कहना है कि जेबीटी की बैच वाइज भर्ती 2020 में करवाई गई, इसके बाद इसकी काउंसलिंग मार्च में हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना दस्तावेज देखे जेबीटी के पदों पर बीएड के प्रशिक्षुओं को नियुक्तियां दी गई हैं। मोहित ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों से पहले वादा किया था कि सरकार बनने पर जेबीटी भर्ती से बीएड को बाहर करेंगे, लेकिन इसके बाद अब उनको नियुक्तियां दी जा रही हैं।

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वे कई बार मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के सामने यह मामला उठा चुके हैं, लेकिन अभी तक इस पर कोई भी फैसला सरकार नहीं ले पाई है। जेबीटी प्रशिक्षुओं का कहना है कि बीएड पास प्रशिक्षुओं को योग्य करार देना सरासर गलत है।