2 महीने की हुई अदायगी, 41 महीने की नाइट ओवरटाइम राशि देय
शिमला। ड्राइवर यूनियन की चेतावनी के बाद आखिर HRTC प्रबंधन ने चालक-परिचालकों को दो महीने का नाइट ओवरटाइम की राशि का भुगतान कर दिया है। चालक व परिचालकों फरवरी, 2023 और फरवरी, 2019 का नाइट ओवरटाइम जारी किया गया है, वहीं कर्मचारियों को अप्रैल महीने का वेतन भी जारी कर दिया गया है।
कांगड़ा जिले के दौरे पर आ रहे डिप्टी सीएम और उद्योग मंत्री
HRTC ड्राइवर यूनियन ने निगम प्रबंधन को चेतावनी दी थी कि यदि 6 मई तक उन्हें नाइट ओवरटाइम की राशि एडवांस में नहीं दी जाती है तो वहीं 7 मई से नाइट ओवरटाइम नहीं करेंगे। इसके बाद प्रबंधन ने यूनियन के साथ वार्ता तय की थी यह वार्ता 9 मई यानि मंगलवार को होनी है लेकिन वार्ता से पहले ही प्रबंधन ने चालक-परिचालकों को 2 महीनों का नाइट ओवरटाइम जारी कर दिया है।
वीडियो : शिमला पहुंचीं प्रीति जिंटा, मां हाटेश्वरी के दरबार नवाया शीश
हालांकि, ड्राइवर यूनियन 2 महीने के ओवरटाइम से खुश नहीं है। HRTC ड्राइवर यूनियन के प्रधान मान सिंह ठाकुर का कहना है कि जब कर्मचारी यूनियन को आंदोलन की धमकी देते हैं, तो कर्मचारियों को बहलाने के लिए प्रबंधन व सरकार की ओर से एक या 2 महीने का ओवरटाइम डाल दिया जाता है। इसके बाद स्थिति वैसी ही बन जाती है जैसे पहले होती है।
HPPSC Breaking: असिस्टेंट प्रोफेसर पॉलिटिकल साइंस का रिजल्ट आउट
उन्होंने बताया कि मंगलवार को होने वाली बैठक में कर्मचारी यह स्पष्ट करेंगे कि कर्मचारियों को हर महीने नाइट ओवरटाइम की राशि जारी की जाए, वहीं पुरानी लंबित राशि कर्मचारियों को मिल जाए।
यूनियन पदाधिकारियों ने बताया कि HRTC के चालक-परिचालकों को 41 महीने की नाइट ओवरटाइम की राशि देय है। यह राशि करीब 65 करोड़ रुपए के आसपास है। इसके अलावा HRTC कर्मचारियों को 50 हजार रुपए एरियर की पहली किस्त भी जारी नहीं की गई है, न ही अभी तक डीए मिला है। इसके अलावा मेडिकल बिलों रिवर्समेंट का भुगतान किया जाना भी अभी बाकी है।
Breaking: नायब तहसीलदार के पदों पर भर्ती को लेकर बड़ी अपडेट
मान सिंह ठाकुर ने कहा कि जब कर्मचारी प्रबंधन व सरकार से लंबित वित्तीय राशि के भुगतान की बात करते हैं तो उन्हें घाटे का बहाना बनाकर टाल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि HRTC को कर्मचारियों की वजह से घाटा नहीं हो रहा है। कर्मचारी दिन-रात एक कर सेवाएं दे रहे हैं।
कर्मचारियों को सरकार व प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन करने का शौक नहीं है, लेकिन कर्मचारियों को समय पर सैलरी नहीं मिलती है। मेडिकल बिलों का भुगतान नहीं हो रहा है। कर्मचारियों के परिवार को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में मजबूर होकर उनको आंदोलन करना पड़ता है।