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कांगड़ा जिला में डायरिया की दस्तक, प्रशासन अलर्ट- लिए पानी के सैंपल

शीला चौक, पासू और भटेड़ गांव में मामले आए सामने

धर्मशाला/हमीरपुर। हिमाचल के हमीरपुर जिला के बाद अब कांगड़ा जिला में डायरिया ने चिंता में डाल दिया है। धर्मशाला तहसील के शीला चौक, पासू और भटेड़ गांवों में डायरिया के कुछ मामले सामने आए हैं। मामले सामने आने के बाद जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। स्वास्थ्य महकमें की टीम को भी मौके पर भेजा गया है।

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डीसी कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि धर्मशाला तहसील के शीला चौक, पासू और भटेड़ गांवों में डायरिया के कुछ मामले आने के दृष्टिगत स्वास्थ्य विभाग की टीम को मौके पर भेजा गया था। विभाग के कर्मचारियों ने घर-घर जाकर लोगों की जांच और प्रभावितों को तत्काल उपचार सुविधा उपलब्ध कराई है। हर घर जाकर लोगों की जांच के साथ ही इससे निपटने के लिए दवाइयां उपलब्ध करवाई गई हैं। उन्होंने कहा कि घरों से लिए गए पानी के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं और स्टोर किए गए पानी को फेंक दिया गया है।

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वहीं, धर्मशाला की एसडीएम शिल्पी बेक्टा ने भी प्रभावित गांवों में जाकर स्थिति का जायजा लिया, वहां लोगों से बातचीत की और प्रभावितों का कुशलक्षेम जाना। कांगड़ा डीसी डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि प्रभावित क्षेत्र के लोगों की मदद के लिए पासू स्थित स्वास्थ्य उपकेंद्र चौबीसों घंटे खुला रहेगा और वहां एंबुलेंस वाहन भी तैनात किया गया है। प्रत्येक घर में क्लोरीन गोलियों का वितरण किया जा रहा है।

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डीसी ने बताया कि स्थिति पर नजर रखने के लिए खंड स्तर पर रैपिड एक्शन टीमें गठित की गई हैं। इसके अलावा जल शक्ति विभाग को जिले में हर उपमंडल में जल स्रोतों के रैंडम सैंपल लेकर स्वच्छता मानकों पर जांचने को कहा है। पानी के टैंकों और अन्य स्रोतों में क्लोरीन और ब्लीचिंग पाउडर डालने का काम किया जा रहा है। डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के जरिए लोगों को डायरिया से बचाव और अपने आस-पास सफाई का ध्यान रखने के लिए जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की कि किसी भी व्यक्ति को डायरिया से संबंधित लक्षण दिखें तो तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच करवाएं। उन्होंने कहा कि जांच और उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें तैयार हैं।

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डीसी कांगड़ा ने कहा कि सर्दियों की बारिश के बाद अमूमन डायरिया के मामले सामने आते हैं। प्रदूषित जल और गंदगी डायरिया के मुख्य कारणों में से एक हैं। उन्होंने जिले के लोगों से आग्रह किया है कि वे अपने आस-पास सफाई का विशेष ध्यान देते हुए जल स्रोतों और पानी के टैंक को साफ रखें। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा मुख्य स्रोतों पर जल की स्वच्छता के लिए कारगर कदम उठाए जा रहे हैं। वहीं लोग भी अपने घरों में जल भंडारण के पात्रों को साफ रखें और यदि लम्बे समय से पानी स्टोर किया गया है तो उसे फेंक कर टंकियों की सफाई कर लें।

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सीएमओ कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने कहा कि जिला में जल जनित रोगों से लोगों के बचाव को स्वास्थ्य विभाग के पुख्ता प्रबंध हैं। सभी स्वास्थ्य संस्थानों में जरूरी दवाएं उपलब्ध हैं। डॉ. गुरदर्शन ने डायरिया से बचाव के उपाय बताते हुए लोगों को पानी उबाल कर (कम से कम 10 मिनट तक उबला हुआ) पीने की सलाह दी है। इसके अलावा करीब 20 लीटर पानी में 0.5 ग्राम की क्लोरीन की एक गोली घोल कर 1 घंटे बाद उस पानी को पिया जा सकता है। उन्होंने लोगों को सलाह दी कि शौच के उपरांत हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं और नाखून साफ रखें। बिना ढके रखी और मक्खियां लगी खाने-पीने की चीजों का सेवन न करें। खुले में शौच व उल्टी न करें। जल स्रोतों के पास शौच न करें न ही कपड़े धोएं।

उन्होंने लोगों से अपील की कि वे उन जल स्रोतों का पानी न पिएं जहां का पानी दूषित पाया गया हो अथवा प्रयोग में न आता हो। दस्त लगने पर ओआरएस का घोल और जिंक की गोली का प्रयोग करें तथा तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान जाएं।

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उधर, हमीरपुर डीसी देबश्वेता बनिक ने बताया कि नादौन उपमंडल के जोल सप्पड़ क्षेत्र के विभिन्न गांवों में डायरिया के मामलों में अब काफी कमी आई है और स्थिति नियंत्रण में हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने बुधवार को भी क्षेत्र के गांवों में स्क्रीनिंग जारी रखी। इस दौरान 26 लोगों में डायरिया के लक्षण पाए गए हैं। उपायुक्त ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीमें अभी तक 57 गांवों में लोगों की स्क्रीनिंग कर चुकी हैं। स्क्रीनिंग के दौरान पाए गए मामलों की कुल संख्या 999 तक पहुंच गई है, लेकिन इनमें से केवल दो लोग ही अस्पताल में उपचाराधीन हैं। अन्य लोगों को घर पर ही पर्याप्त दवाइयां और ओआरएस के पैकेट उपलब्ध करवाए गए हैं। उपायुक्त ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग और जल शक्ति विभाग के अधिकारियों को क्षेत्र में सभी आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश दिए गए हैं।

 

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