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भटोली फकोरियां में करवाया सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार

देहरा। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नवसंवत्सर विक्रम संवत 2080 हिन्दू नववर्ष के उपलक्ष पर पंडित सचिन शर्मा द्वारा भटोली फकोरियां में  सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार (उपनयन) करवाए गए, जिसमें 8 ब्राह्मणों को शास्त्रीय विधि से यज्ञोपवीत उपनयन संस्कार का आयोजन किया गया।

वाटर सेस पर बोले सुक्खू – पड़ोसी राज्यों के जल अधिकार का नहीं हो रहा उल्लंघन

यज्ञोपवीत (जनेऊ) के तीन पवित्र धागे तीन देवियों-पार्वती (शक्ति), लक्ष्मी (धन) और सरस्वती (ज्ञान) को दर्शाते हैं। एक प्रसिद्ध मान्यता है कि एक बार जब आप जनेऊ पहन लेते हैं तो यह आपको जीवन भर किसी भी नकारात्मक ऊर्जा या विचारों से बचाता है और किए गए सभी पूजा-पाठ के संपूर्ण फल की प्राप्ति होती है।

बुधवार को समूहत शांति हवन व जूटिका वन्धन तथा गुरुवार को मुंडन संस्कार, कर्णवेध, संस्कार, हवन, दीक्षा ग्रहण, भीक्षा ग्रहण तथा शास्त्रीय विधि से यज्ञोपवीत संस्कार के कार्य को पूर्ण किया गया। यज्ञोपवीत उपनयन संस्कार पंडित कुपदीप शर्मा/ आचार्य संजीव शर्मा व पंडित सचिन शर्मा व उनके सम्पूर्ण परिवार व‌ गांव वासियों की देखरेख में संपूर्ण करवाए गए।

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हिमाचल केंद्रीय विवि में चरक अध्ययन मंडल ने मनाया हिन्दू नववर्ष

छात्रों को वितरित किया गया हलवा

शाहपुर। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्व विद्यालय के शाहपुर परिसर में चरक अध्ययन मंडल ने हिन्दू नववर्ष का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया। हिन्दू नववर्ष उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में प्रोफेसर भाग चंद चौहान उपस्थित रहे। प्रोफेसर भाग चंद ने युवाओं को अपनी  संस्कृति को संजोए रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

वाटर सेस पर बोले सुक्खू – पड़ोसी राज्यों के जल अधिकार का नहीं हो रहा उल्लंघन

प्रोफेसर भाग चंद चौहान ने बताया कि विक्रम संवत के अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे रहने का कारण है कि विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने किया था। राजा विक्रमादित्य विक्रम संवत के शुरू होने के साथ ही अपने साम्राज्य की जनता के सारे कर्जों का माफ कर उन्हें राहत प्रदान करते थे।

विक्रम संवत हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू हो जाती है। इस संवत को गणितीय नजरिए से एकदम सटीक काल गणना माना जाता है। विक्रम संवत को राष्ट्रीय संवत माना गया है। इस कार्यक्रम के दौरान छात्रों को हलवा भी वितरित किया गया।