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हिमाचल : भारी तबाही के बाद जागी सरकार, नदी किनारे अवैध गतिविधियों पर लगेगी रोक

मंत्री चंद्र कुमार बोले कैबिनेट में मामले पर होगी चर्चा

शिमला। हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश ने जमकर तबाही मचाई है। प्रदेश में नदी किनारे बने होटल और घर ताश के पत्तों की तरह ढह गए। इसके अलावा नदी के तेज बहाव में पुलों के बह जाने ने भी काम की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए।

हिमाचल कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री चौधरी चंद्र कुमार ने कहा है कि सरकार आने वाली कैबिनेट बैठक में नदी किनारे हो रही अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने पर चर्चा करेगी।

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हिमाचल प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री चौधरी चंद्र कुमार ने कहा कि अवैध निर्माण की वजह से हादसों में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि पर्यटन स्थल कुल्लू, मनाली में प्रतिस्पर्धा के चलते गलत तरीके से निर्माण कार्य हुए हैं। मिट्टी को डिस्पोज करने में भी गलत प्रक्रिया का सहारा लिया गया है।

उन्होंने कहा कि भारी बारिश की वजह से नदी किनारे बनी सेफ्टी वॉल बह गई, कई पुल भी पानी के बहाव में बहते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि इससे काम की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हुए हैं।

चौधरी चंद्र कुमार ने कहा कि जिला कुल्लू और लाहौल स्पीति में लगभग सभी पुल बह गए हैं। ऐसे में सरकार को तकनीक में सुधार की जरूरत है। प्रदेश भर में हो रहे अवैध खनन की वजह से भी भारी तबाही हुई है।

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कैबिनेट मंत्री चौधरी चंद्र कुमार ने कहा कि नदी किनारे कंस्ट्रक्शन पर रोक लगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सतलुज नदी के अलावा सभी नदी अपना रास्ता बदलती हैं। नदी कभी दाएं, तो कभी बाएं की तरफ अपना रास्ता बना लेती है।

ऐसे में नदी किनारे हो रहे निर्माण को रोकने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस बारे में आगामी कैबिनेट की बैठक में चर्चा की जाएगी। चंद्र कुमार के इस बयान के बाद हिमाचल प्रदेश की में पहले रही सरकारों और मौजूदा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होना लाजमी है।

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कृषि मंत्री चौधरी चंद्र कुमार ने कहा कि भारी बारिश की वजह से कृषि क्षेत्र में भी भारी नुकसान हुआ है। भारी बारिश की वजह से उपजाऊ भूमि बह गई। कृषि विभाग के अलावा अन्य विभागों को भी भारी नुकसान हुआ है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार के नियम के मुताबिक, कुल नुकसान की 20 फीसदी ही भरपाई हो सकती है। सरकार पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से भी मांग की है कि इस एक्ट में संशोधन किया जाए, ताकि किसानों को ज्यादा मुआवजा उपलब्ध करवाया जा सके।

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