रेखा चंदेल/ झंडूता। बिलासपुर जिला के घुमारवीं में कविताओं के माध्यम से चिट्टे के खिलाफ अलख जगाई गई। साथ ही गांव के बुद्धिजीवियों, बड़े बजुर्गो से आग्रह किया कि अपने गांव व आस पड़ोस में किसी भी अनजान या संदिग्ध व्यक्ति को न आने दें। अगर कोई आए तो उसकी सूचना तुरंत पुलिस को दें। चिट्टा सप्लायर और पुलिस पर अगर सामाजिक दबाव बढ़ेगा, तभी पुलिस और प्रशासन हरकत में आएगा।
बता दें कि अगेंस्ट 'चिट्टा' के तहत संस्कार सोसाइटी घुमारवीं ने रैन बसेरा में कवि सम्मेलन का आयोजन किया। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ लेखक कुलदीप चंदेल उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि संस्कार संस्था जैसी समाजसेवी संस्थाओं की समाज को बहुत जरूरत है। हिंदुस्तान के युवा को नशे से खोखला करने के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ हो सकता है। हमें चिट्टा सप्लायरों की चेन को तोड़ना होगा।
अपने बच्चों के साथ मित्र की तरह रहें और बच्चों से दूरी बिल्कुल भी न बनाएं। कार्यक्रम अध्यक्ष लेखक महासंघ महासचिव रविन्द्र शर्मा ने कहा कि संस्था नशे के खिलाफ समाज में जागरूकता कर नेक कार्य कर रही है। पुलिस चाहे तो चिट्टा बिकना बंद हो जाए, अगर ईमादारी से काम करे। सहानुभूति से बच्चों से नशे को छुड़ाएं।
कवि सम्मेलन में जिला के प्रख्यात कवियों व युवा कवियों ने भाग लिया। कवि सम्मेलन में कविताओं के माध्यम से लोगों को जागरूक किया। 'नाम ही है चिट्टा, काम है काले', 'नशे से दुखने लगी हड्डियां, मत फसा इस चिट्टा रे नशा, नहीं तो हो जाना बर्बाद', 'चिट्टा-चिट्टा गली मोहल्ले च बिकदा, तस्कर बेची बेची नी रजदा, फिटे मुंह चिटुआ', 'शर्म करो चिट्टे रे वपारियो पुड़िया च मत बेचो मौत, मौत रे बपरिया' 'चिट्टे के खिलाफ समाज में अलख जगाना है, बच्चा अपना हो या पराया सब को बचाना है', चिट्टा है मीठा जहर और 'चिट्टे रे नशे ज्यूंदे ही मारे, किने बगाड़े मारे गबरू' आदि कविताएं से चिट्टे के प्रति जागरूक किया।
संस्कार सोसाइटी घुमारवीं के संस्थापक महेंद्र धर्माणी ने कहा कि चिट्टे से आज हमारे बच्चे ऐसे मर रहे हैं, जैसे पेड़ों से पत्ते झड़ रहे हों। इसे रोकने के लिए नशा माफिया पर नकेल लगाना और चिट्टा के नशे में फंस चुके बच्चों को काउंसलिंग की मदद से बाहर निकालने का काम करना होगा, तभी हमारी युवा पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित होगा। उन्होंने कहा कि बच्चों की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है।
अब भाषण से काम नहीं चलेगा, बच्चों को चाहे शौक में या दोस्तों ने चिट्टा पिलाया हो, उसके बारे में हमें धारणा बदलनी पड़ेगी। हमें उसकी काउंसलिंग करनी होगी और बच्चों को ऐसा माहौल देना होगा कि वह अपने दिनचर्या की हर बात अपने माता-पिता से सांझा करें। छोटे बच्चों को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है।