रेखा चंदेल/झंडूता। अखिल भारतीय साहित्य परिषद (हिमाचल प्रदेश) जिला बिलासपुर इकाई द्वारा महान संत कवि गोस्वामी तुलसीदास एवं प्रसिद्ध उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर राज्य स्तरीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी गूगल मीट पर आयोजित की गई।
इसमें मुख्य अतिथि प्रदेश अध्यक्षा डॉ रीता सिंह व कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ अनेकराम सांख्यान (प्रदेश सलाहकार परिषद) रहे। मंच संचालन का दायित्व शीला सिंह ने बखूबी निभाया। अध्यक्ष महोदय की अनुमति से कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। सर्वप्रथम मां सरस्वती के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए रेखा गक्खड़ (चम्बा इकाई) द्वारा मधुर लय में वंदना प्रस्तुत की गई।
तत्पश्चात किरण कुमार (इकाई चम्बा) द्वारा परिषद गीत गाया गया। कार्यक्रम की रूपरेखा को आगे बढ़ाने से पहले हिमाचल में आई त्रासदी में जान गंवा चुके लोगों को श्रंद्धाजलि देते हुए दो मिनट का मौन रखा। काव्य प्रस्तुतियों से पहले अध्यक्ष इकाई डा0 रविन्द्र कुमार ठाकुर अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला बिलासपुर द्वारा इस पावन दिवस पर मुख्य अतिथि, अध्यक्ष महोदय कार्यक्रम एवं राज्य भर से उपस्थित सभी सम्माननीय साहित्यकारों का सादर अभिनंदन व स्वागत करते हुए गोस्वामी तुलसीदास एवं मुन्शी प्रेम चंद की शिक्षाओं को समाज के लिए अति उपयोगी बताया।
इन महापुरुषों के कार्यों ने भारतीय संस्कृति, साहित्य और समाज पर गहरा प्रभाव डाला है । इसके पश्चात प्रदेश भर से उपस्थित साहित्यकारों द्वारा काव्य प्रस्तुतियाँ दी गई। जिला मण्डी से सुरेन्दर मिश्रा, ऊना से मधु ठाकुर, रचना शर्मा, स्वपना जसवाल। कांगड़ा से इन्दु बाला ,शक्ति चड्ढा बिलासपुर से सुषमा खजूरिया, भीम सिंह नेगी, रविन्द्र साथी, प्रवीण शर्मा, धर्म चंद, डा0 हेमा देवी ठाकुर, शीला सिंह, डा0 रविन्द्र कुमार ठाकुर, रविन्द्र कुमार शर्मा और चन्दर ठाकुर सभी ने अपनी-अपनी सुन्दर प्रस्तुतियों से कार्यक्रम काव्यमय और भक्तिरसमय कर दिया।
लगभग आधी से ज्यादा प्रस्तुतियों के बाद मुख्य अतिथि कार्यक्रम प्रदेश अध्यक्षा डा0 रीता सिंह का अति प्रभावी अभिभाषण हुआ उन्होने अपने वक्तव्य में कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने समाज को मर्यादा, भक्ति, और लोक कल्याण की शिक्षा दी। रामचरितमानस के माध्यम से रामराज्य की कल्पना प्रस्तुत की, जो समानता, त्याग और बलिदान पर आधारित था।
उन्होंने जातिगत भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और सामाजिक समरसता का संदेश दिया तथा उपन्यास सम्राट मुन्शी प्रेम चन्द ने भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं जैसे गरीबी, सामाजिक अन्याय और किसानों की दुर्दशा को अपने लेखन में उजागर किया है भारतीय साहित्य में उनका योगदान अतुलनीय है। अन्तिम प्रस्तुतियों के बाद अध्यक्षीय भाषण में जिला बिलासपुर के प्रसिद्ध मानव विज्ञानी डा0 अनेकराम सांख्यान (प्रदेश सलाहकार अ0भा0सा0प0)ने अपने वक्तव्य में दोनों महापुरुषों की जीवनी पर दोहों, छंदों के माध्यम से प्रकाश डाला।
उन्होने कहा कि जगत प्रसिद्ध 'रामचरितमानस' महाकाव्य ग्रंथ आज की हिंसा व युद्धों से धिरी, धृणा भरी आतंकवादी दुनिया के लिए शान्ति, प्रेम भक्ति व मर्यादाओं में खुशहाल जीवन यापन के लिए एक महान संदेश है। दूसरी ओर महान उपन्यासकार मुन्शी प्रेम चन्द द्वारा लिखी सामाजिक कुरीतियों व कुप्रथाओं पर चोट करती कहानियों व उपन्यासों में समाज सुधार का सजीव चित्रण है।
कार्यक्रम के अन्तिम चरण में रविन्द्र कुमार शर्मा उपाध्यक्ष इकाई बिलासपुर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रेषित करते हुए सम्माननीय साहित्यकारों, पदाधिकारियों, कलमकारों की महत्वपूर्ण उपस्थिति पर हार्दिक आभार व्यक्त किया। अंत में राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान की धुन पर काव्य गोष्ठी का समापन हुआ।