ऋषि महाजन/नूरपुर। कांगड़ा जिला के इंदौरा विधानसभा क्षेत्र के माजरा गांव में एक वीडियो वायरल होने के बाद जहां पूरे क्षेत्र में चिंता और भावनात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली, वहीं प्रशासनिक जांच के बीच अब घटना से जुड़े कई तथ्यों और दावों पर भी नई रोशनी पड़ रही है।
वीडियो में कुत्तों द्वारा एक घायल गाय पर हमला किए जाने की घटना ने लोगों को विचलित किया, लेकिन बाद में सामने आए कई बयानों ने स्पष्ट किया कि पूरी स्थिति उतनी सीधी नहीं है, जितनी सोशल मीडिया पर दिखाई जा रही है।
कुछ ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि पठानकोट की एक महिला द्वारा चलाई जा रही संस्था “वॉइस लैस फाउंडेशन” में जिंदा गायों को कुत्तों के सामने फेंका जाता है। यह दावा वायरल वीडियो के चलते और भी जोर पकड़ता दिखा।
हालांकि एसडीएम इंदौरा सुरेंद्र ठाकुर ने स्पष्ट किया कि संस्था में कुत्तों के शेल्टर और गौशाला अलग-अलग हिस्सों में स्थित हैं और उनके बीच पार्टीशन भी बना हुआ है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, गाय पार्टीशन वाले हिस्से से गलती से कुत्तों के एरिया में पहुंच गई जिससे यह हादसा हुआ। अधिकारी ने यह भी कहा कि पूरी घटना की निष्पक्ष जांच की जा रही है इसलिए किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए।
डीएसपी चंद्रपाल सिंह के अनुसार वीडियो सामने आते ही पुलिस मौके पर पहुंची घायल गाय को सुरक्षित निकालकर उपचार के लिए गौशाला भेजा गया एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि तथ्य सामने आने पर उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
घटना पर फाउंडेशन के संचालक भारत चौधरी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि संस्था पिछले तीन साल से सक्रिय है। उनके पास 300 के करीब आवारा कुत्ते और 11 गायें थीं। संबंधित गाय को दो वर्ष पहले घायल अवस्था में सड़क से उठाकर अपनी गौशाला में लाया गया था।
गाय का शेड टूट गया और वह गलती से कुत्तों वाले हिस्से में चली गई, यह एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसा था। घटना के बाद सभी गायों को पंजाब के देहरीवाल स्थित सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया है। भारत चौधरी ने अपील की कि घटना को राजनीतिक रंग देकर समाजसेवा को बदनाम न किया जाए।
सामाजिक संगठनों का कहना है कि सड़क पर असंख्य बेसहारा पशु रोज़ तड़पते हैं, लेकिन उनकी मदद को बहुत कम लोग आगे आते हैं। ऐसे में यदि कोई संस्था पशुओं के लिए शेल्टर संचालित कर रही है, तो बिना जांच के उसके खिलाफ माहौल बनाना अनुचित है।
मानवाधिकार संगठन ने जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग की
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संघ के सह निदेशक राजेश पठानिया ने कहा कि पहले भी कुछ शिकायतें दर्ज की गई थीं, इसलिए प्रशासन को इस बार तथ्यात्मक और स्पष्ट जांच सुनिश्चित करनी चाहिए। जनहित में अपील जब तक पुलिस-प्रशासन की जांच पूरी नहीं होती, किसी भी पक्ष के आरोपों पर तुरंत विश्वास करने या घटना को राजनीतिक रूप देने से बचें।
ऐसी घटनाओं को लेकर जल्दबाजी में बनाई गई राय कई बार समाजसेवा करने वाले लोगों का मनोबल तोड़ देती है, और इसका नुकसान अंततः उन्हीं बेसहारा पशुओं को होता है जिनके लिए ये प्रयास किए जाते हैं।