रेखा चंदेल/झंडूता। हिमाचल के बिलासपुर में एम्स जैसे संस्थान को बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है। दूसरी तरफ जिला के ऐसे भी क्षेत्र हैं, जहां पिछले करीब 40 साल से लोग एक बस के सहारे हैं।
हम बात कर रहे हैं जब्बलु और आसपास के चार से पांच गांव की। आज दिन तक यहां के लोगों की परेशानी किसी को नजर नहीं आई। लोग सुबह इसी बस से सफर करते हैं और वापसी के लिए भी इसी बस का सहारा रहता है। वहीं, रविवार के दिन तो यह एकमात्र बस भी नहीं चलती है।
बता दें कि जब्बलु क्षेत्र चारों ओर गोविंद सागर झील से घिरा है। इसकी भौगोलिक स्थिति भी थोड़ी दुर्गम है। यह झंडूता तहसील हेड क्वार्टर से करीब 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। एचआरटीसी की यह बस सुबह 8 बजे झंडूता को जाती है और शाम को 4 बजकर 30 मिनट पर वापस आती है।
हैरानी की बात तो यह है कि आज तक इस क्षेत्र में कोई भी अन्य निजी या सरकारी बस का रूट नहीं चलता है। लोग सुबह काम पर निकलते हैं और शाम को इसी बस से लौटने को मजबूर होते हैं। किसी भी प्रकार के चिकित्सा व अन्य कार्यों को जाने के लिए पूरा दिन भर इंतजार करना पड़ता है।
कई बार लोगों को आपात स्थिति में निजी वाहनों का प्रयोग करना पड़ता है। इस बारे में गांव के निवासियों विनोद कुमार, अजय कुमार, हाकम सिंह और जगदंबा ने बताया कि यह बस रविवार को बंद कर दी गई है।
गांव वासियों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनके क्षेत्र की भी सुध ली जाए, ताकि लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़े। लोगों ने यह भी बताया कि कई बार इस विषय में वर्तमान विधायक से भी बात की है। पर आज तक इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।
अब गांव के निवासियों ने एकजुट होकर फैसला किया है कि अगर हमारी इस समस्या पर सरकार का ध्यान नहीं गया तो अगले चुनाव में मतदान का बहिष्कार करेंगे।