हिमाचल में अब तक लोकसभा का सफर, एक चुनाव में थी 6 सीटें- डिटेल में जानें
ewn24news choice of himachal 19 Mar,2024 4:44 pm
1951 और 1957 में तीन सीटों पर हुए थे चुनाव
शिमला। लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है। हिमाचल में अंतिम चरण में एक जून को चार सीटों पर मतदान होगा। हिमाचल को लोग अपने मत का प्रयोग करके लोकसभा चुनाव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। लोकसभा चुनावी बेला में हम आपको 1951 से अब तक के सफर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।
शुरूआत में हिमाचल में लोकसभा की तीन सीटें थीं। 1951 और 1957 में तीन-तीन सीटें थीं। 1962 में चार सीटों पर चुनाव हुए थे। अगर हम 1967 लोकसभा चुनाव की बात करें तो 6 सीटों पर चुनाव हुए थे। उस वक्त महासू, शिमला (एससी), हमीरपुर, कांगड़ा, चंबा और मंडी सीटें थीं। 1971 में शिमला (एससी), मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर सीटें अस्तित्व में आईं।
बता दें कि 1951 में तीन सीटों मंडी, महासू, चंबा सिरमौर पर चुनाव हुए थे। 1957 में महासू, मंडी, चंबा सीटों पर चुनाव हुए। 1962 में चंबा, मंडी, महासू, सिरमौर (एससी) सीटों पर चुनाव हुए थे।
यह वही चुनाव था, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की हिमाचल की सक्रिय राजनीति में एंट्री हुई थी। महासू से वीरभद्र सिंह चुनाव जीते थे। 1967 में भी वीरभद्र सिंह ने महासू सीट पर जीत दर्ज की थी। शिमला (एससी) से पी सिंह, हमीरपुर से पीसी वर्मा, कांगड़ा से एच राज, चंबा से वी चंद और मंडी से ललित सैन चुनाव जीते थे।
1971 में शिमला से एससी प्रताप सिंह, मंडी से वीरभद्र सिंह, कांगड़ा से विक्रम चंद और हमीरपुर नरैन चंद ने जीत दर्ज की थी। 1977 में हिमाचल की चारों सीटों पर भारतीय लोक दल ने प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। लगातार तीन चुनाव जीत रहे पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह को भी हरा का मुंह देखना पड़ा था।
मंडी सीट से गगन सिंह ने वीरभद्र सिंह को हराया था। शिमला (एससी) से बालक राम, कांगड़ा से दुर्गा चंद और हमीरपुर से रंजीत सिंह ने जीत दर्ज की थी। आपको बता दें कि यह इमरजेंसी के बाद वाला दौर था, जिसमें जनता ने कांग्रेस को नकार दिया था।
1977 के तीन साल बाद ही 1980 में फिर चुनाव हुए। इसमें कांग्रेस के प्रत्याशी शिमला (एससी) से कृष्ण दत्त, मंडी से वीरभद्र सिंह, कांगड़ा से विक्रम चंद महाजन व हमीरपुर नरैन चंद जीते थे।
1984 में भी कांग्रेस प्रत्याशियों शिमला (एससी) से केडी सुलतानपुरी, मंडी से पंडित सुखराम, कांगड़ा से चंद्रेश कुमारी और हमीरपुर से नरैन चंद ने चुनाव जीता था। हमीरपुर से भाजपा ने प्रेम कुमार धूमल को टिकट दी थी, लेकिन वह हार गए थे।
1989 लोकसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने एक सीट जीती थी। तीन भाजपा के खाते में गई थीं। शिमला (एससी) केडी सुल्तानपुरी जीतने में कामयाब रहे थे। मंडी से महेश्वर सिंह ने सुखराम को हराया था। कांगड़ा में शांता कुमार व हमीरपुर में प्रेम कुमार धूमल जीते थे।
1991 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला बराबरी का रहा है। दोनों पार्टियों ने दो-दो सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस ने शिमला (एससी) और मंडी तथा भाजपा ने कांगड़ा और हमीरपुर सीट पर जीत दर्ज की।
शिमला (एससी) से केडी सुलतानपुरी, मंडी पंडित सुखराम जीते। कांगड़ा से डीडी खनूरिया और हमीरपुर से प्रेम कुमार धूमल ने जीत दर्ज की।
1996 की बात करें तो कांग्रेस ने चारों सीटों पर जीत दर्ज की। शिमला (एससी) से केडी सुलतानपुरी, मंडी से पंडित सुखराम, कांगड़ा से सत महाजन और हमीरपुर से मेजर जनरल सेवानिवृत्त विक्रम सिंह जीते।
सत महाजन ने भाजपा प्रत्याशी शांता कुमार और मेजर जनरल सेवानिवृत्त विक्रम सिंह ने प्रेम कुमार धूमल को हराया। वहीं, केडी सुल्तानपुरी ने वीरेंद्र कश्यप और पंडित सुखराम ने अदान सिंह ठाकुर को मात दी थी।
1998 के लोकसभा चुनाव में मुकाबला 3-1 का रहा था। भाजपा ने तीन और कांग्रेस ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी। शिमला (एससी) से कांग्रेस के केडी सुलतानपुरी जीते थे।
मंडी से भाजपा प्रत्याशी महेश्वर सिंह ने कांग्रेस की प्रतिभा सिंह को हराया था। कांगड़ा में शांता कुमार ने कांग्रेस प्रत्याशी सत महाजन को हराया था। हमीरपुर से सुरेश चंदेल चुनाव जीतकर लोकसभा गए थे।
1999 लोकसभा चुनाव की बात करें तो शिमला (एससी) से हिमाचल विकास कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े कर्नल धनी राम शांडिल ने जीत दर्ज की थी। मंडी में भाजपा के महेश्वर सिंह ने कांग्रेस के प्रत्याशी कौल सिंह ठाकुर को हराया था।
कांगड़ा में शांता कुमार ने सत महाजन को मात दी थी। हमीरपुर से भाजपा के सुरेश चंदेल ने ठाकुर राम लाल हराकर एक बार फिर लोकसभा की दहलीज लांघी थी।
2004 के लोकसभा चुनाव में शिमला (एससी) सीट से कांग्रेस की टिकट पर कर्नल धनी राम शांडिल चुनाव लड़े और जीते थे। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी हीरा नंद कश्यप को हराया था। मंडी से प्रतिभा सिंह ने भाजपा प्रत्याशी महेश्वर सिंह को मात दी थी।
हमीरपुर से भाजपा के सुरेश चंदेल ने फिर ठाकुर राम लाल को हराया। कांगड़ा से कांग्रेस के चंद्र कुमार ने भाजपा के दिग्गज शांता कुमार को हराया था। यह चुनाव काफी रोचक रहा था। उस वक्त ऐसे नतीजे की उम्मीद कम की जा रही थी।
लोकसभा चुनाव 2009 की बात करें तो कांगड़ा से भाजपा के डॉ. राजन सुशांत ने कांग्रेस प्रत्याशी चंद्र कुमार को हराया था। मंडी से वीरभद्र सिंह ने भाजपा के महेश्वर सिंह को मात दी थी। मंडी का यह चुनाव भी काफी रोचक रहा था। वीरभद्र सिंह मात्र करीब 13 हजार 997 मतों से चुनाव जीते थे।
इस लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने मंडी संसदीय क्षेत्र में ही प्रचार किया था। वह अन्य संसदीय क्षेत्रों में भी प्रचार के लिए नहीं निकले थे। अपने संसदीय क्षेत्र के अलावा मात्र उन्होंने कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में चंबा के चौगान नंबर में दो ही जनसभा की थी।
वह भी इसलिए हुआ था कि चंबा का भरमौर क्षेत्र मंडी संसदीय क्षेत्र में पड़ता है। वह राख साइड अपने चुनाव प्रचार को पहुंचे थे। इसके चलते उन्होंने चौगान दो में जनसभा करने को हामी भरी थी।
2009 में हमीरपुर से अनुराग ठाकुर ने नरेंद्र ठाकुर और शिमला से वीरेंद्र कश्यप ने कर्नल धनी राम शांडिल को हराया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्विप करते हुए चारों सीटों पर जीत दर्ज की थी। हमीरपुर से अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा को हराया था। कांगड़ा में शांता कुमार ने चंद्र कुमार, मंडी में राम स्वरूप शर्मा ने प्रतिभा सिंह और शिमला में वीरेंद्र कश्यप ने कांग्रेस के मोहन लाल ब्राक्टा को मात दी थी।
2019 लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने चारों सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी। कांग्रेस प्रत्याशियों को बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा था। कांगड़ा से किशन कपूर, मंडी से राम स्वरूप शर्मा, हमीरपुर से अनुराग ठाकुर और शिमला से सुरेश कश्यप ने जीत दर्ज की थी।
मंडी के सांसद राम स्वरूप शर्मा के निधन के बाद 2021 में उपचुनाव हुआ। इसमें कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह ने मंडी से जीत दर्ज की। अब देखना बाकी है कि इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में स्थिति क्या रहती है। 1998 के बाद हमीरपुर सीट पर कांग्रेस को हार का मुंह ही देखती आ रही है।