रेखा चंदेल/ झंडूता। पिछड़े और दूरदराज क्षेत्र के छात्रों को उच्च शिक्षा की सुविधा दे रहे बिलासपुर जिला के झंडूता कॉलेज में बॉटनी के प्रोफेसर नहीं हैं।
कॉलेज में साइंस स्ट्रीम 2017 में शुरू की गई। 2017 से लेकर आज तक इस कॉलेज में बॉटनी पढ़ाने के लिए कोई भी प्रोफेसर नहीं आए। इसके चलते कई छात्र मजबूरन शिक्षा ग्रहण करने अन्य कॉलेज में चले गए। अभी बॉटनी के प्रोफेसर डेपुटेशन पर सेवाएं दे रहे हैं।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला का गवर्नमेंट कॉलेज झंडूता 2007 से अपनी सेवाएं दे रहा है। शुरुआती दिनों में तो यह कॉलेज स्कूल में चला, क्योंकि पहले कॉलेज की बिल्डिंग नहीं बनी थी। पर 12 जुलाई 2016 में भवन का उद्धघाटन किया गया और कक्षाएं कॉलेज में लगाई गई। इस कॉलेज में तीनों स्ट्रीम आर्टस, कॉमर्स और साइंस (को एजुकेशन ) की पढ़ाई होती है।
यह कॉलेज लगभग 14 से 15 पंचायतों के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा का अवसर प्रदान करता है। और कोट धार से लेकर दूर दराज पिछड़े इलाकों के छात्र यहां पर शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते हैं।
इस कॉलेज में 70 फीसदी छात्राएं पढ़ती हैं, जो ग्रामीण और पिछड़े इलाकों से आती हैं। गांव के अधिकतर लोग इतने अमीर नहीं होते ना ही उनके पास ज्यादा पैसे होते हैं, क्योंकि वह सभी ज्यादातर खेती-बाड़ी पर निर्भर करते हैं और बेटियों को दूर भेजना उनके लिए संभव नहीं होता है।
जब से यह कॉलेज यहां पर बना है तो दूर दराज इलाकों से बेटियां यहां पढ़ने आती हैं और इस साल भी इस कॉलेज से एक बेटी ने हिमाचल में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। साइंस स्ट्रीम यहां पर 2017 में शुरू की गई और 2017 से लेकर आज तक इस कॉलेज में बॉटनी पढ़ाने के लिए कोई भी प्रोफेसर नहीं आए।
पिछले साल भी यहां से कुछ विद्यार्थी जब यहां पर प्रोफेसर बॉटनी के प्रोफेसर नहीं थे तो यहां से दूसरे कॉलेजों में चले गए। प्रिंसिपल संजय कुमार का कहना है कि कई बार सरकार से इसके बारे में बात कर चुके हैं, क्योंकि जब तक यहां पर साइंस स्ट्रीम पूरी नहीं होती तब तक छात्रों की पढ़ाई पर असर होता रहेगा।
अभी उन्होंने डेपुटेशन पर बॉटनी के लिए घुमारवीं कॉलेज से प्रोफेसर को बुलाया है, क्योंकि जब तक बॉटनी प्रवक्ता नहीं होंगे तब तक छात्रों का पढ़ाई में नुकसान होता है।