इन दिनों सूर्य देव आग उगल रहे हैं। उगले भी क्यों न ... भई समय नौतपा का है। अब जिन लोगों को नौतपा के बारे में नहीं पता उन्हे हम बताते हैं कि आखिर क्या है ये नौतपा, इसके क्या प्रभाव होते हैं और ये कब खत्म होगा।
जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होते हैं तो सबसे अधिक गर्मी धरती पर पड़ती है। नौ दिन तक सूर्य रोहिणी नक्षत्र में संचार करते हैं इसलिए इन नौ दिनों का नाम पड़ गया नौतपा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो इसकी अवधि 15 दिनों की होती है, लेकिन पहले के 9 दिन नौतपा लग जाता है और इस दौरान भीषण गर्मी पड़ती है। नौतपा की अवधि में सूर्य का सीधा प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है और लोगों को प्रचंड गर्मी का सामना करना पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि नौतपा में जितनी गर्मी पड़ती है आगे उतनी ही अच्छी बारिश होती है।
कई धर्माचार्य यह भी मानते हैं कि यदि नौतपा के दौरान बारिश हो जाती है तो इससे अच्छी बारिश न होने की आशंका भी पैदा हो जाती है। प्राचीन समय में नौतपा बहुत महत्वपूर्ण समयकाल था। इस दौरान मौसम का हाल देखकर किसान फसल के भविष्य कैसा रहेगा इसका पता लगाते थे।
नौतपा 25 मई से शुरू हो चुका है जो कि 2 जून को खत्म होगा। 2 जून के बाद सूय मृगशिरा नक्षत्र में चले जाएंगे। सूर्य देव जितने समय तक रोहिणी नक्षत्र में रहते हैं उतने दिनों तक धरती पर भयंकर गर्मी पड़ती है।
ज्योतिष विद्वान बताते हैं कि नौतपा की अवधि में सूर्य देव की विशेष उपासना की जाती है। ऐसा करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। साथ ही इस दौरान व्यक्ति को हल्दी का तिलक लगाना चाहिए। ऐसा करने से मन-मस्तिष्क शांत रहता है और ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है।
नौतपा की अवधि में सुबह भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। ऐसा करने के लिए तांबे के कलश में हल्दी, कुमकुम, अक्षत अथवा लाल फूल डाल कर सूर्य देव को जल प्रदान करें। इससे भी विशेष लाभ मिलता है।
नौतपा की अवधि में सूर्य देव और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, साथ ही प्रत्येक दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। इससे भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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