ऋषि महाजन/नूरपुर। हिमाचल-पंजाब सीमा पर स्थित चक्की रेल पुल का निर्माण कार्य शुरू हुए लगभग चार वर्ष बीत चुके हैं। सूत्रों की माने तो पुल दो सप्ताह पहले ही तैयार हो चुका है, लेकिन अभी तक इसका ट्रायल तक नहीं हो पाया है। बता दें कि चक्की पुल बंद होने के बाद ट्रेनों का संचालन जसूर से किया जा रहा था।
जुलाई 2024 में ट्रेन जसूर तक आई। दिसंबर में दो जोड़ी ट्रेनें दोबारा चलाई गई, लेकिन मात्र छह महीने बाद जुलाई में फिर सेवा बंद हो गई। लोगों ने कहा कि अंग्रेजी शासन ने तीन वर्ष में कांगड़ा घाटी में ट्रैक बिछाकर 1929 में रेल सेवा शुरू कर दी थी, लेकिन आज चार साल में एक पुल शुरू नहीं हो पा रहा। विभागीय सूत्रों की माने तो गुलेर से कोपड़ लाहड़ तक ट्रैक बाधित है। यह कारण भी हो सकता है कि अभी तक पुल का ट्रायल नहीं हुआ है।
कांगड़ा घाटी रेल सेवा लगातार चरमराई हुई: नूरपुर भारत जोड़ो एवं लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान की राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्य पीसी विश्वकर्मा ने कांगड़ा रेल वैली की दयनीय स्थिति पर कड़ा रोष व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा है। उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 के बाद से कांगड़ा घाटी रेल सेवा लगातार चरमराई हुई है। विश्वकर्मा ने कहा कि 1973 में पौंग डैम के कारण रेल लाइन डूब क्षेत्र में गई तो रेलवे ने तीन साल में नया ट्रैक, चक्की पुल समेत पांच बड़े पुल और कई छोटे पुल पूरे कर 1976 में रेल सेवा बहाल कर दी थी, लेकिन नए भारत की आधुनिक तकनीक तीन साल में एक पुल भी समय पर पूरा नहीं कर पाई।
रेलवे सेफ्टी इंस्पेक्शन लंबित होने के कारण संचालन में अभी एक महीने से अधिक समय लग सकता है। 15 नवंबर को बैजनाथ-कांगड़ा और नूरपुर रोड-गुलेर तक ट्रायल किया गया, लेकिन सेवा शुरू होने को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।
विभागीय सूत्रों अनुसार पठानकोट सिटी में ट्रैफिक जाम से निपटने के लिए रेलवे नैरोगेज ट्रेनें शहर से 8 किमी दूर डलहौजी रोड स्टेशन से चलाने की योजना बना रहा है। डीआरएम जम्मू के आदेश पर फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। सर्वे में स्टेशन पूरी तरह फिजिबल बताया गया है, जहां वर्तमान में में दो लाइनें हैं और तीन नई लाइनें बनाई जाएंगी।