हरिपुर। देहरा विधानसभा क्षेत्र के चंद्र धर गुलेरी राजकीय महाविद्यालय हरिपुर (गुलेर) पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। कॉलेज में छात्रों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। अब करीब 90 छात्रों में से 15 और छात्रों ने कॉलेज को बाय-बाय कह दी है।
कॉलेज में 75 के आसपास छात्र रह गए हैं। अंतिम वर्ष में ही 42 छात्र हैं। इन छात्रों के कॉलेज से पास आउट होने के बाद संख्या और भी कम हो जाएगी। ऐसे में नई एडमिशन पर कॉलेज का भविष्य निर्भर करता है।
पर बड़ा सवाल यह है कि जब कॉलेज में स्टाफ ही नहीं है तो छात्र दाखिला क्यों लेंगे। हरिपुर कॉलेज में आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस संकाय हैं। साथ ही बीसीए की एफिलेशन भी है। कॉलेज में प्रिंसिपल का पद खाली चल रहा है।
अंग्रेजी, हिंदी, पॉलिटिकल साइंस, केमिस्ट्री, जियोग्राफी, फिजिकल एजुकेशन, म्यूजिक का प्रोफेसर नहीं है। कॉमर्स के दो पद मंजूर हैं। इसमें एक भरा है और एक प्रोफेसर डेपुटेशन पर सोलन में सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि, उनका वेतन हरिपुर कॉलेज से जारी हो रहा है।
साइकोलॉजी का प्रोफेसर भी डेपुटेशन पर बीएड कॉलेज धर्मशाला में सेवाएं दे रहा है। बीसीए की बात करें तो कॉलेज में बीसीए की कक्षाएं शुरू नहीं हो पाई हैं। बीसीए की 40 सीटें हैं।
दो छात्रों ने दाखिला लिया था, लेकिन दो छात्रों के लिए कक्षाएं शुरू नहीं की जा सकती थीं। क्योंकि बीसीए सेल्फ फाइनेंस प्रोग्राम है। छात्रों की फीस से ही सारा खर्च उठाना पड़ता है। इसके लिए सरकार से किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिलती है।
गैर शिक्षण स्टाफ की बात करें तो सुपरिटेंडेंट ग्रेड 1-2, सीनियर असिस्टेंट, क्लर्क का एक, एलए के 5 में से तीन, चपरासी के 6 में से एक, लाइब्रेरी असिस्टेंट का एक पद खाली है।
बता दें कि कॉलेज में आर्ट्स में सबसे अधिक छात्र हैं। लड़कियों की संख्या अधिक है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्र ही हरिपुर कॉलेज में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। ऐसे में अगर कॉलेज बंद होता है तो इन छात्रों को खासकर लड़कियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
हरिपुर कॉलेज 1994 में भारत एजुकेशन सोसाइटी द्वारा एक निजी कॉलेज के रूप में शुरू किया गया था। 20 अप्रैल 2007 को कॉलेज का सरकारी हुआ। जब कॉलेज प्राइवेट था तो यहां छात्रों की संख्या काफी अधिक थी। कॉलेज में 400 तक छात्र शिक्षा ग्रहण करते थे।
हरिपुर के आसपास क्षेत्रों के छात्रों के अलावा नगरोटा सूरियां, जवाली, लंज आदि क्षेत्रों से छात्र यहां शिक्षा ग्रहण करने आते थे। कॉलेज से सरकारी होते ही यहां छात्रों की संख्या में कमी आने लगी। वर्तमान में तो हालात कॉलेज के बंद या मर्ज होने के आ गए हैं।
कॉलेज में स्टाफ की कमी इसका कारण माना जा सकता है। वहीं, युवाओं का खासकर लड़कों का वोकेशनल एजुकेशन की तरफ रुझान भी इसका कारण है।
हरिपुर कॉलेज प्रिंसिपल का कार्यभार संभाल रहे प्रोफेसर प्रभात शर्मा ने बताया कि कॉलेज में इस सत्र में करीब 90 छात्र थे, उनमें से भी 15 ने कॉलेज छोड़ दिया है। ऐसे में छात्रों की संख्या 75 के आसपास रह गई है। अंतिम वर्ष में 42 छात्र हैं। इस बार इन छात्रों से पास आउट होने के बाद कॉलेज में छात्रों की संख्या और भी कम हो जाएगी।
ऐसे में कॉलेज के बंद या मर्ज होने की तलवार लटकी हुई है। स्टाफ की कमी को लेकर समय-समय पर उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया जाता रहता है। कम छात्र होने से बीसीए की कक्षाएं नहीं शुरू हो सकी हैं।