शिमला। हिमाचल प्रदेश भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से राजभवन में मिला।
इस मौके पर उनके साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल, प्रदेश प्रभारी श्रीकांत शर्मा, सह प्रभारी संजय टंडन और समस्त सांसद, विधायक उपस्थित रहे। भाजपा ने यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के दिवंगत चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मृत्यु से संबंधित सबूतों से न तो छेड़छाड़ हो और न ही उन्हें नष्ट किया जाए।
हाईकोर्ट में पुलिस महानिदेशक एवं अन्य रिपोर्ट में सबूतों से छेड़छाड़ के साक्ष्य हैं, संबंधित अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। छुट्टी पर भेजे पुलिस अधीक्षक शिमला द्वारा उच्च अधिकारियों पर लगाए गए आरोपों की जांच भी सीबीआई से करवाई जाए।
सीबीआई की जांच का दायरा बढ़ा कर हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPPCL) में व्याप्त भ्रष्टाचार की भी जांच करवाई जाए या इसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) से करवाई जाए। अफसरशाही में अनुशासन लाने की दृष्टि से छुट्टी पर भेजे एसपी शिमला संजीव गांधी को बर्खास्त किया जाए।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि 26 मई, 2025 को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा प्रेस वार्ता में हाईकोर्ट के निर्णय पर टिप्पणी कर न्यायालय की अवमानना करने का मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री ने हाईकोर्ट के उस निर्णय पर असहमति जताई, जिसमें जांच टीम में हिमाचल कैडर के अधिकारियों को शामिल न करने की बात कही गई थी। यह बयान उनकी हताशा और अहंकार को दर्शाता है।
नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि कांग्रेस सरकार की कार्यशैली और नीतियां संदेहास्पद हैं। सरकार ने सीबीआई जांच को स्वीकार तो किया, लेकिन तथ्यों से स्पष्ट है कि सरकार इस जांच में सहयोग नहीं कर रही। कई मामलों में सबूतों के साथ छेड़छाड़ और उन्हें नष्ट करने के प्रयास किए गए हैं।
उदाहरण के तौर पर पेन ड्राइव गायब करना, महत्वपूर्ण सबूतों के साथ छेड़छाड़, पेखूवाला सोलर प्रोजेक्ट परियोजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप, अतिरिक्त मुख्य सचिव की रिपोर्ट को नजरअंदाज करना, महत्वपूर्ण तथ्यों को दबाने का प्रयास, आरोपियों को संरक्षण: केस में दर्ज आरोपियों को गिरफ्तार न कर उन्हें अग्रिम जमानत लेने का समय देना, ईमानदार अधिकारियों का उत्पीड़न: दो वरिष्ठ अधिकारियों से उनके विभाग छीन लिए गए, जिनकी रिपोर्ट से महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई थी।
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, छुट्टी पर भेजे पुलिस अधीक्षक शिमला संजीव गांधी द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों पर लगाए गए आरोपों से प्रशानिक पतन का सरकारी चेहरा सामने आता है, जो सरकार की अनुशासनहीनता को भी दर्शाता है।
यह प्रेस वार्ता एसपी शिमला ने मुख्यमंत्री की अनुमति से की है ऐसा स्पष्ट प्रतीत होता है। ऐसी सरकार, जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हो, ईमानदार अधिकारियों को हाशिए पर धकेलती हो और आपराधिक घटनाओं पर ठोस कार्रवाई न करती हो, उसे सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।