ऋषि महाजन/नूरपुर। पौंग बांध में पंडोह डैम से बहकर आई लकड़ी डैम के गेट खुलने से ब्यास नदी में बह गई। वन्य प्राणी विभाग का तर्क है कि लकड़ी काम लायक नहीं थी। वहीं, विभाग ने लोगों को भी लकड़ी न उठाने की हिदायत दी है।
हालांकि, स्थानीय लोगों और पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि लकड़ी की गुणवत्ता बेहतरीन थी। देवदार और कायल की यह लकड़ी बांध के अलग-अलग नालों में दो महीने से जमा थी, लेकिन विभाग ने इसे न तो खुद उठाया और न ही स्थानीय लोगों को उठाने दिया। जब कुछ लोगों ने प्रयास किया, तो विभाग ने उन पर कार्रवाई की धमकी दी।
खटियाड़ पंचायत के प्रधान सुरजीत सिंह और ग्रामीण रमेश सिंह ने कहा कि विभाग अगर खुद इसे नहीं उठा सकता तो कम से कम मछुआरों और स्थानीय लोगों को इजाजत दी जाए, ताकि यह लकड़ी उपयोग में लाई जा सके। पिछली बार भी ऐसी ही लापरवाही के चलते लाखों की लकड़ी पानी में सड़ गई थी।
स्थानीय लोगों ने विभाग के उस बयान को भी हास्यास्पद बताया, जिसमें कहा गया कि यह लकड़ी सड़ चुकी है और निर्माण योग्य नहीं है। लोगों का कहना है कि लकड़ी की स्थिति दो महीने पहले भी विभाग को बताई गई थी, लेकिन समय रहते कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जनता अब सरकार से मांग कर रही है कि या तो विभाग खुद लकड़ी उठाए या फिर स्थानीय लोगों को इसकी अनुमति दी जाए, ताकि बहुमूल्य संसाधन यूं ही बर्बाद न हो।
डीएफओ रेजिनॉल्ड रायस्टन ने कहा कि यह लकड़ी काम लायक नहीं है और अगर कोई व्यक्ति इसे उठाता है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि यह लकड़ी मंडी के पंडोह डैम से पानी के साथ बहकर पौंग बांध में पहुंची थी और इसमें अधिकतर सड़ी हुई लकड़ी शामिल है।